एम. एससी. (अंतिम वर्ष में पढ़ रही रुचि की ये दो रचनाएं इस अपेक्षा के साथ यहाँ छाप रहे हैं कि ये इनके आगे बढ़ने का वक्त है. ''अपनी माटी'' वेब मंच उनके लगातार आगे बने रहते हुए उनसे ज्य़ादा धारादार लेखन की कामना करता है.वे अभी तक कई पत्रिकाओं में छप चुकी है जैसे गुलाबी जगत,राज.परिषद् ,राज ज्योति, आगम सोची, प्रयास, दृष्टिकोण , दीप ज्योति कुछ नाम हो सकते हैं उनकी रुचि रेखाचित्र एवं जल रंगकला में भी है-सम्पादक
प्रस्तुत है रचनाएं
नन्ही परी
देख तेरे आँगन आई नन्ही परी
हर तरफ से देखो
वह प्रेम से भरी,
सुनकर उसकी कोयल सी आवाज
चला आए तू उस आगाज
जहाँ वह खेल रही
देख तेरे आँगन
आई नन्हीं परी,
वह ले जाती तुझे
किसी और लोक में
जब होती वह
तेरी कोख में
तेज आवाज सुन
वह दुनिया से डरी
देख तेरे आँगन
आई नन्हीं परी,
रौनक वह आँचल
में लेकर आई,
पास है उसके
चंचलता की झांई
जिसको छूकर
तू हो गई हरी
देख तेरे आँगन
आई !!नन्ही परी
संघर्ष
जीवन संघर्ष है हर्ष है,
संघर्ष को देख हर्षोल्लास
बना रहा नया आकाश ,
इस संघर्ष को धरती
भी कहती है अविनाश ,
उस चुनौती को स्वीकार करो
कल की कमी का सुधार करो
पल-पल इम्तहान होगा
आगे संघर्ष का मैदान होगा,
अगर नींद चैन छोड़कर
खरे उतरोगे तुम तो यह काज
चरित्र महान् होगा
आज नहीं तो कल यह
तुम्हारा जहान होगा !!
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंThnku ji
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