26-27 मार्च 2011 को राजस्थान की पावन नगरी श्रीनाथद्वारा में राजस्थान साहित्य अकादमी और साहित्य एवं भाषा परिषद के संयुक्त तत्वावधान में उदयपुर संभाग स्तरीय काव्योपनिषद का आयोजन किया गया, जिसमें मेवाड़ संभाग के वरिष्ठ और युवा कवियों ने भाग लिया। इस काव्योपनिषद का उदघाटन राजस्थान के सुपरिचत कवि-आलोचक नंद भारद्वाज ने किया, जिसकी प्रादेशिक समाचार पत्रों में व्यापक चर्चा रही। उसी आयोजन पर प्रदेश के प्रमुख पत्र "राजस्थान पत्रिका" में प्रकाशित एक रिपोर्ट की छाया प्रति और कुछ छवियां यहां प्रस्तुत की जा रही है। पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट का पाठ यहां पुनर्प्रस्तुत है
'मनुष्य से मनुष्य को जोड़ती है कविता'
वरिष्ठ साहित्यकार नंद भारद्वाज ने कहा कि 'कविता अपनी संवेदनात्मकता के कारण मनुष्य को मनुष्य से जोड़ती है और वसुधैव कुटुम्बकम की भावना साकार करती है। कविता ही एक ऐसी सर्जनात्मक विधा है जो सही का समर्थन और गलत का विरोध करने की सामर्थ्य रखती है।' वे शहर में शनिवार (26मार्च) को प्रारंभ हुए उदयपुर संभागीय काव्य उपनिषद के उदघाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। श्रीनाथद्वारा के जिला पुस्तकालय के सभागार में राजस्थान साहित्य अकादमी और साहित्य एवं भाषा परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित समारोह में श्री भारद्वाज ने कहा कि कविता हर युग में मनुष्य का मनोबल बढाती रही है और आज भी वह उतनी ही प्रासंगिक है।
मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए डॉ जगदीश चौधरी ने कहा कि यदि कविता मानव समुदाय को आप्लावित करती है, तो वह निश्चय ही प्रासंगिक है। इसी अवसर पर युवा समीक्षक डॉ हुसैनी बोहरा ने कविता की प्रासंगिकता विषय पर अपना आलेख प्रस्तुत करते हुए कहा कि कविता सामाजिक सरोकारों से गहरे स्तर पर जुड़ी रही है और वह हर युग में मनुष्य का मनोबल बढ़ाती रही है।
उदघाटन सत्र में श्रीनाथ ट्रस्ट के प्रबंध निदेशक अशोक पारीख और कवि किशन कबीरा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे और अध्यक्षता श्रीजी मंदिर के बड़े मुखिया नरहरि ठक्कर ने की। इस अवसर पर साहित्य एवं भाषा परिषद के अध्यक्ष माधव नागदा काव्य उपनिषद की गतिविधियों तथा समारोह के बारे में संक्षिप्त जानकारी भी प्रस्तुत की। इसी उदघाटन के क्रम में अगली संगोष्ठी में समकालीन हिन्दी कविता और आज का यथार्थ विषय पर जहां कुंदन माली ने अपना पत्र प्रस्तुत किया, वहीं किशन कबीरा, नंदकिशोर चतुर्वेदी और सदाशिव श्रोत्रिय ने अपनी कविताओं का पाठ किया। इस जीवंत संगोष्ठी का संचालन डॉ हेमेन्द्र चंडालिया ने किया। समारोह की प्रथम रात्रि को नगर के काव्य-प्रेमियों की भावनाओं का आदर करते हुए रात्रि आठ बजे से कवि सम्मेलन का आयोजन किया जिसमें संभाग के कवियों ने अपनी सुरुचिपूर्ण कविताओं का पाठ किया।
इस दो दिवसीय आयोजन के तीसरे सत्र में अगले दिन प्रात समकालीन हिन्दी कविता और उदयपुर संभाग का काव्य-सर्जन विषय पर डॉ रजनी कुलश्रेष्ठ ने जहां पत्र-वाचन किया वहीं नरेन्द्र निर्म्रल, कुंदन माली, विमला भंडारी और भूपेन्द्र तनिक ने अपनी कविताओं का पाठ किया। जिनपर उपस्थित साहित्यकारों ने अपने विचार भी प्रस्तुत किये। समारोह के अंत में आयोजित समापन समारोह में परिषद के महामंत्री मुरलीधर कनेरिया ने सभी साहित्यकारों ,अतिथियों और नगर के साहित्यप्रेमियों के प्रति हार्दिक आभार प्रकट किया।
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