जिन्दगी है छोटी,
मगर हर पल में खुश हूँ,
स्कूल में खुश हूँ.
घर में खुश हूँ,
आज पनीर नही है,
दाल में ही खुश हूँ
आज कार नही है,
तो दो कदम चल के ही खुश हूँ
आज दोस्तों का साथ नही,
किताब पढ़के ही खुश हूँ
आज कोई नाराज है
उसके इस अंदाज़ में भी खुश हूँ
जिसे देख नही सकती उसकी आवाज़ सुनकर ही खुश हूँ
जिसे पा नही सकती
उसकी याद में ही खुश हूँ
बीता हुआ कल जा चूका है,
उस कल की मीठी याद में खुश हूँ
आने वाले पल का पता नही,
सपनो में ही खुश हूँ
मैं हर हाल में खुश हूँ
ज्योति चौहान
उत्तर प्रदेश की हैं और दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं.साथ एम एस सी,बी एड,बी एल आई एस सी और पी जी डी सी ए करने के बाद एक
वहु राष्ट्रीय कंपनी में कार्यरत हैं . नोएडा में अनुसंधान और विकास विभाग में एक वैज्ञानिक के रूप में काम कर रही हैं.इनका पता है :बी-२७,सेक्टर-२२, नॉएडा-२०१३०१
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