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मूल्य -250/- |
पल्लव जैसा नाम मेरी नज़र में आज साहित्य और संस्कृति के मंच पर सशक्त युवा रचनाकार के रूप में उभर कर निकला है.बहुत ज्यादा तारीफ़ ना भी की जाए तो भी उन्होंने अपनी शिक्षा-दीक्षा के ज़रिए एक गहरी सोच के साथ अपने सफ़र को तय करने का मन बनाया है,ऐसा जान पड़ता है.मूल रूप से चित्तौड़ में ही अपनी कोलेज शिक्षा तक की तालीम के बाद उन्होंने सिरोही के शोध निदेशक डॉ.माधव हाड़ा के निर्देशन में देश के जानेमाने कथाकार स्वयंप्रकाश की जनवादी कहानियों पर शोध किया है.
अपने आरम्भ में विज्ञान का विद्यार्थी होते हुए भी हिंदी में अपनी गहरी रूचि के चलते वे शुरू से ही स्कूल,कोलेज और शहर के पुस्तकालय के बेहद रुचिशील पाठक रहे हैं.अपने साथी मित्रों को सदैव प्रेरणा फूंकने की कोशिश में रहते हुए पल्लव ने बहुत लम्बे समय तक स्पिक मैके जैसे सांस्कृतिक आन्दोलन और साहित्य अकादेमी की पाठक मंच ओजना का बेहतरी के साथ समन्वयन -संचालन किया है.जितना मैं जानता हूँ उन्होंने चित्तौड़ के बाद,बेगूं और फिर उदयपुर में कोलेज शिक्षा में बतौर हिंदी प्राध्यापक ठोस परिणाम वाली सेवाएं दी. है.तेज़ वाले चहरे के धनी पल्लव ने अपनी अबतक की योगदान भरी ज़िंदगी से चित्तौड़ जैसे मझोले शहर को देश में एक पहचान दी है ये बात भले ही आज चित्तौड़ के बहुतेरे लोग नहीं जानते हों.
हमें इस बात की खुशी है कि उनके सम्पादन में पिछले सालों से निकल रही अनियतकालीन साहित्यिक-सांस्कृतिक पत्रिका 'बनास' के दो अंकों ने ही देश के हिंदीपट्टी के पाठकों में चर्चित बन पडी है.पहले 'साठ पार स्वयं प्रकाश' और बाद वाले अंक में वरिष्ठ साहित्यकार काशीनाथ सिंह पर केन्द्रित अंक 'काशी का अस्सी' हमेशा संभाल कर रखने लायक अंक बने रहेंगे.उनकी पहली पुस्तक जो मीरा पर केन्द्रित 'मीरा:एक पुनर्मूल्यांकन' थी कि समीक्षा भी आप यहाँ पढ़कर उनकी मेधा को जान सकते हैं.
बेहद खुला बोलने वाले पल्लव हमेशा से विचारों के स्तर पर स्पष्टवादी रहे हैं.खुद के साथ अपने आसपास को साफझग करने के हिमायती पल्लव वर्तमान में दिल्ली स्थित हिन्दू कोलेज में बतौर हिंदी विषय में सहायक आचार्य अपनी सेवाएं दे रहे हैं.देश की लगभग तमाम नामचीन पत्रिकाओं में छप चुके हैं.ये यात्रा आगे भी अनवरत जारी है.उन्नती के पथ पर बढ़ते पल्लव को जो 'अपनी माटी' वेबपत्रिका के सम्पादन मंडल के सलाहकार भी हैं,को हम सभी की तरफ से अग्रीम जीवन के हित बहुत सी शुभकामनाएं.
हाल ही में उनकी पहली आलोचना पुस्तक प्रकाशित हुए है
जिसे मंगवाने हेतु आप यहाँ संपर्क कर सकते हैं.
आधार प्रकाशन प्राईवेट लिमिटेड
एस.सी.ऍफ़.267,सेक्टर-16 पंचकूला-1340113 (हरियाणा)
Phone-0172-2566952, 2520244,
Email:aadharyrakashan@yahoo.com
Website-www.aadharprakashan.com
उनकी कवितायेँ आदि उनके ब्लॉग 'माणिकनामा' पर पढी जा सकती है.वे चित्तौड़ के युवा संस्कृतिकर्मी के रूप में दस सालों से स्पिक मैके नामक सांकृतिक आन्दोलन की राजस्थान इकाई में प्रमुख दायित्व पर हैं.
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