मालवा में बाई बेन
णा
को सबसे प्यारो तेवार होई
हे "दिवसों"
| "दिवासों" सारु सगली लड़की
होण जिनको
बियाव हुई
गयो हे
उनके मायका
जाने तो
टेम होई
हे "दिवासो"
|" दिवासा" सारू सगळी
छोरी होण
भोत दन
पेला से
तैयार होवे
| नवा
नवा कपडा
ने ,सिन्गार
करी ने पियर जावा को
मजो जो
ले विज
जाने | महिना
भर पेला
से चूड़ी
ने कपडा
की
खरीदी चालू हुई जावे | जिनको
बियाव नि
हुवो वि
भी दिवासा
की तयारी
करे
ने कपडा ने सिन्गार को
सामान ख़रीदे
| चूड़ी
वालो आवे ओ आखा गाँव
की छोरी
णा भेली
हुई जावे
| अकहा गाँव
में छोरी
होण की
रमक झमक
चालू हुई
जावे |
सगली
सहेली होण दिवासा
पे आपस
मिले ने
अपनी
अपनी सासरा ने अपना पति,सासु
,ससरा ,देवर
,ननद
होण की बात करे ने
भोत खुस
होवे | माँ
होण बेटी
होण का लाड
करे
| अखा गाँव को माहोल बदली
जावे | बचपन
का साथी
होण आपस
में मिले
ने अपना
अपना घर
,पति ,सासरा
की बात
करे ने
सुने | यो
तेवार जा
असाड़ महिना
से शुरू
होवे तो
राखी तक
चले | इमे
सावन का
झुला बंधे
ने छोरी
होण दो
दो का
जोड़ा से
झूले | झूलते
झूलते गीत
भी गावे
|
लिम ने लिम्बोली
पाकी सावन
महीनो आयो
रे
कारे तेली का
छोरा म्हारी
बेन्या के
देख्यो थो
देख्यो थो भाई
देख्यो थो
झुला झूलते
देख्यो थो
एक दन तलाव
की पाल
पे भेला
होई ने
फुन्दी| फटका
,खो खो,
मुक्का मार खेले
| पानी , बरसात
की रिम
जिम
,सगळी जगे हरयाली, भूगड़ा की मुक्का
मार ने
आखा गाव
की छोरी
होण कई
छोटी ने
कई बड़ी
सब खुली
के पियर
में जी
भरी के
खेले | एसो
लगे के
बाई बेन
णा का
रूप में लखमी ने पार्वती
होण आई
गयी हो
| दिवासा पे
छोरा होण
भी फ्री
हुई जावे
क्योकि उनकी
बइरा होण
भी पियर
जावे तो
कुवार महीने माता पूजा
तक वि भी फ्री
रे |
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