आज का जीवन इतना सरल, सफल और असहज हो गया है तो इसका कारण आप सभी
जानते हैं .....जी हां सेलफोन। हर आदमी के
कर की शोभा बना सेल अपने आप में एक दिव्यास्त्र की तरह शोभायमान और सदैव सेवा
में तत्परता लिये हुए विष्णु के सुदर्शन चक्र की भांति निरंतर चलायमान रहता
है। विष्णु तो जब चाहते थे तभी सुदर्शन
चक्र उनकी तर्जनी में दर्शन देता और दुष्टों का काम तमाम करता पर सेलफोन तो कर की
शोभो बन हर एक का काम हमेशा तमाम करने पर लगा रहता है।
पत्नी का फोन आया तो कह दिया आफिस की
मीटिग में व्यस्त हूं बाद में फोन करता हूं भले ही अपने सेक्रेटरी के साथ आप
काफी शॉप में हों। बार में बैठे हों और
बॉस का फोन आया तो कह दिया कि सर मैं अपने घर में कंप्यूटर पर कल की मीटिग के
प्रेजेंटेशन्स बना रहा हूं। आपका काम भी
बन गया और बॉस भी खुश। गर्लफ्रेंड ने फोन
किया और आप नहीं मिलना चाहते क्योंकि आप ने उसकी मांग (सिन्दूर वाला नहीं) पूरी नहीं की, क्योंकि महीने के
आखिरी दिन जो हैं और तनख्वाह मिलने में चार पांच दिन का समय जो है। आप कह देते हैं कि ऑफिस में हूं बॉस के साथ
जबकि आप होते हैं अपनी किसी पुरानी दोस्त के साथ रामकृष्णा बीच में मुर्री
मसाला खाते हुए। अर्थ यह है कि आपको समस्याओं
से बचाने वाला जो यंत्र है सेल फोन। ये
अलग बात है कि आप सारे दिन में सच कम या नहीं के बराबर बोलते हैं और झूठ के
शहंशाह बन जाते हैं।
साथ ही एक और खास बात यह भी है कि आपकी
सर्जना शक्ति अजी वही क्रियेटिविटी बढ जाती है। बस बिना तैयारी के आप झूठ बोलने में ऐसे माहिए
हो जाते हैं कि सामने वाला आपको विश्व में सबसे अधिक ईमानदार और कर्मठ मानने
लगता है, क्योंकि आप इतना विश्वसनीय और आत्मविश्वास
से भरे अंदाज में बोलते हैं कि सामने वाले की बोलती बंद हो जाती है। सेल फोन आपको इतना अधिक कॉन्फिडेंट बना देता
है कि आप झूठ भी ऐसे बोलते हैं कि सच को भी कभी कभी अपने आप पर शक होने लगता है
कि वह सच है या झूठ का प्रतिबिब। व्यक्ति
चाहे जैसा भी हो उसमें आमूलचूल परिवर्तन लाने में सेल फोन का महत्व नकारा नहीं
जा सकता। यह ऐसा चंदन है जिस पर विष व्याप
जाता है लिपटे हुए सेलफोन रूपी भुजंग की वजह से।
सेलफोन का महत्व ही कारण है कि सेलफोन लेने वाले सभी कमोबेश एक जैसे ही
हो जाते हैं। वैसे ही जैसे खरबूजा खरबूजा
को देखकर रंग पकडता है। और एक बार चढ गया
यह रंग तो फिर चढे न दूजो रंग। सेलफोन की
करामात या है कि जाने अंजाने में हम उसके दास हो जाते हैं, ठीक उसी तरह जिस तरह जादुई चराग का जिन उस चराग
के मालिक का गुलाम होता है।
कभी कभी जब
हम सेलफोन कहीं भूल जाते हैं या खो देते हैं तो ऐसा लगने लगता है कि शरीर का कोई
अंग कट गया है या छूट गया है, कोई कमी है जो हमें
लगातार परेशान कर रही है किसी देनदार की तरह, शादी के लिये पीछे
पडी पुरानी प्रेमिका की तरह और दवाइयों के बावजूद न छूटने वाली मर्ज की तरह। तो जीवन का अभिन्न अंग बना सेलफोन खतरे भी कम
पैदा नहीं करता। गलती से कभी जब आप धडल्ले
से अपना सेलफोन नंबर किसी अजनबी को दे दिये तो बस वही गलती शादी की गलती की तरह
आपको त्रस्त करती रहेंगी। कोई नारी आपसे
बात करेगी और कहेगी कि आपको फलां फलां रिसॉट या अमुक अमुक योजना के अंतर्गत चुना
गया है और आपको अपने परिवार के साथ उनके द्वारा आयोजित रात्रिभोज (जो कि उनका बिजिनेस प्रमोशन का तरीका है) में आमंत्रित किया जा रहा है। यदि नारी स्वर के मोह में फंसकर या ‘चुने’ जाने की लालच के
कीचड में धंसकर आप नये तो समझिये जितना पैसा वे लोग ऐंठ लेंगे उससे आप बीस
सेलफोन तो आराम से खरीद सकते हैं। ये है
खतरा नंबर एक।
गलती नंबर दो पर आयें। अपनी ही रौ मे सेलफोन पर हम इतने झूठ बोलते हैं
कि पकड में आने की संभावनायें बढ जाती हैं।
जैसे बीवी से कह दिये दफ्तर में हूं और अपनी महिला मित्र के साथ आप किसी
शापिग माल में उसके लिये साडियां खरीदते हुए और आपकी बीवी ने देख लिया आपको
वहां उस ममि (महिला मित्र) के साथ महंगी साडी
खरीदते हुए तो बस अठारह दिन में समाप्त महाभारत के युद्ध से भी बडा युद्ध आपको
कुरुक्षेत्र का मैदान बनने पर विवश करेगा और आप जीवन भर सेल (कोशिका) विहीन हो
जायेंगे। आपको अपने सारे झूठों पर यह एक
मात्र झूठ भारी पडेगी बहुत भारी।
इसी तरह कभी बॉस के हत्थे चढ गये किसी झूठ
के कारण तो बस। उदाहरण के लिये बॉस से कह
दिया कि आप घर में कंप्यूटर पर दफ्तर का काम कर रहे हैं लेकिन आप जो हैं कॉफी
शाप में आपके आफिस की मिस लोलिता के साथ पिज्जा और कॉफी का इंतजार कर रहे
हैं। अचानक एक हाथ आपके कंधे पर पडता है
और आप देखते हैं कि आपके बॉस अपनी पत्नी और बेटे के साथ पास ही के मेज पर
हैं। बॉस की पत्नी को नमस्ते भाभीजी
कहते हैं और उनके बेटे के गालों पर हाथ फिराते हैं लेकिन मिस लोलिता को बॉस
पहिचान लेते हैं और इंट्रोडयूस कराते हैं कि ये हैं मिस्टर फलाना और ये हैं
इनकी गर्लफ्रेंड लोलिता। ये वही लोलिता
है जिसके बारे में तुम परेशान थीं कि इसके साथ मेरा अफेयर चल रहा है। अब सचाई जान गई हो न? भाभी जी क्रोध भरी आंखों से आपकी ओर देखती है और
कहती हैं सुभद्रा जैसी शालीन, सुंदर और अच्छी पत्नी
के होते हुए भाई साहब ये सब आपको शोभा देता है क्या? और वे लोग दूसरे टेबल पर जाकर बैठ जाते
हैं। लोलिता पांव पटकती हुई बाहर चली
जाती है। आप सोचते रह जाते हैं कि अपनी
पत्नी अपने को क्यों अच्छी नहीं लगती।
दुनिया सारी उसके गुण गाती फिरती है और हमें ही क्यों अच्छी नहीं लगती? इतने में बेयरा दो बडे पिज्जा लाकर टेबल पर
रखता है आप उसे निरीह भाव से देखते हैं और कहते हैं पार्सल करवा दो और लो ये बिल
के पैसे। आप देखते हैं कि दूर टेबल पर
बॉस अपने परिवार के साथ बडे अच्छे मूड में बातें करते हुए कनखियों से आपकी ओर
देखकर कुटिल मुस्कुराहट बिखेर रहा है।
एक झूठ का ल्रंबा एपीसोड बन गया न? आप जान जायेंगे कि
टी वी सीरियल कैसे बनती हैं ....सिर्फ अपने सेलफोन की वजह से।
सेलफोन के कारण जीवन एक और बहुत अधिक सुविधामय
हो गया है लेकिन दूसरी ओर गले में फंसे कांटे की तरह जी का जंजाल भी। ऐसा हो रहा है कि लोग सच बोलने से कतरा रहे
हैं और सिवाय झूठ के कुछ नहीं बोल रहे हैं।
मैं ने कैलाश गिरि पार्क में एक युवती को अपने पुरुष मित्र के साथ सटकर
बैठे देखा। वह सेल फोन से अपनी मम्मी से
बातें कर रही थी मम्मी आप क्यों परेशान होती हो मैं अपनी सहेली के साथ मंदिर
में हूं। यहां भीड बहुत है और मैं एक घंटे
में घर पहुंचती हूं। इस बीच वह लडका इस
लडकी से सटे जा रहा था। लडकी ने फोन ऑफ किया
और कहा तेरे को जरा भी सब्र नहीं मम्मी से बात कर रही हूं और तू मुझे प्राब्लम
में डालने की सोच रहा है और हंसती हुई वह लडकी भी उससे लिपट गई। वाह री दुनिया। मां सोच रही होगी कि लडकी पूजा करके पुण्य
कमा रही है और यह लडकी भी तो पूजा ही कर रही है, प्रेमपूजा अब यह अलग
बात है कि उससे पुण्य मिलता है या भविष्य में पाप।
सेल का शब्दकोश में कई अर्थों में प्रयोग
होता है। टोली, कक्षिका, कोटर, बैटरी, गर्भ गृह, तहखाना, शराब भंडार आदि। अर्थ यह है कि सेल अपने विराट प्रयोजनमूलक
अर्थ के कारण व्यापक है और विशाल है।
भाई जी सेल राखिये
बिन सेलफोन सब सून
सेल के बिना न बाजे
है जिदगी की यह धुन

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएं--
यहाँ पर ब्रॉडबैंड की कोई केबिल खराब हो गई है इसलिए नेट की स्पीड बहत स्लो है।
बैंगलौर से केबिल लेकर तकनीनिशियन आयेंगे तभी नेट सही चलेगा।
तब तक जितने ब्लॉग खुलेंगे उन पर तो धीरे-धीरे जाऊँगा ही!
डॉ. महादेव जी,
जवाब देंहटाएंसेलफोन पर आपने बहुत सुन्दर और रोचक लेख लिखा है। बधाई हो। मैं भी सेलफोन के खतरों पर एक लेख लिख रहा हूँ। 2 3 दिन में मेरी साइट पर पढ़ लेना। अपनी राय भी देना। अभी तो आप अलसी के बारे में पढ़ सकते हैं।
http://flaxindia.blogspot.com
धन्यवाद।
आपका
डॉ. ओम वर्मा