महाराष्ट्र राज्य हिन्दी
साहित्य अकादमी
के सहयोग
से कथा
यू.के.
लन्दन एवं
एस.आई.ई.एस.
कॉलेज (मुंबई)
के हिन्दी
विभाग के
संयुक्त तत्वावधान
में ‘प्रवासी
हिन्दी साहित्य
उपलब्धियां और अपेक्षाएं’ विषय पर
आयोजित दो-दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय
परिसंवाद आयोजित
किया गया।
प्रसिद्ध कथाकार
और कथा
यू.के.
के महासचिव
तेजेन्द्र शर्मा ने विषय प्रवर्तन
करते हुए
कहा, “परंपरागत
आलोचना प्रवासी
साहित्य के
साथ पूरा
न्याय नहीं
कर सकती.
उन्होंने सवाल
किया कि
लेखक तो
प्रवासी हो
सकता है,
क्या किसी
भाषा का
साहित्य भी
प्रवासी हो
सकता है?
साहित्य को
अलग अलग
ख़ांचों में
बांटना घातक
सिद्ध हो
सकता है।”
एस.एन.डी.टी. महिला
विद्यापीठ की पूर्व कुलगुरु डॉ.
चंद्रा कृष्णमूर्ति
की अध्यक्षता
में महाराष्ट्र
राज्य हिन्दी
साहित्य अकादमी
के कार्याध्यक्ष
डा. दामोदर
खड़से ने
परिसंवाद का
उद्घाटन करते
हुए कहा
कि प्रवासी
साहित्यकारों ने विश्व स्तर पर
हिन्दी भाषा
के विकास
में महत्वपूर्ण
भूमिका निभाई
है। विशेष
अतिथि के
रूप में
लन्दन (यू.के.) से
पधारी कथाकार
ज़किया ज़ुबैरी
ने कहा
कि आलोचक
हमें बताएं
कि उनकी
प्रवासी साहित्य
से क्या
अपेक्षाएं है। मुख्य अतिथि डॉ.
असग़र वजाहत
ने बीज
वक्तव्य में
कहा कि
प्रवासी लेखन
ने विगत
दो दशकों
में अपनी
विशिष्ट पहचान
बना ली
है। उसे
किसी से
अपनी जगह
पूछने की
जरूरत नहीं
है।. उन्होंने
जोर दिया
कि प्रवासी
साहित्य के
दायरे में
पाकिस्तान और बंगला देश को
भी शामिल
किया जाना
चाहिए। परिसंवाद
के आरम्भ
में प्राचार्या
डॉ. हर्षा
मेहता ने
महाविद्यालय एवं हिन्दी विभाग द्वारा
किये जा
रहे उल्लेखनीय
कार्यों की
चर्चा करते
हुए अतिथियों
का स्वागत
किया। हिन्दी
विभागाध्यक्ष डॉ.संजीव दुबे ने
परिसंवाद में
मेहमानों का
स्वागत किया।
सत्र की
शुरूआत में
काउंसलर ज़किया
ज़ुबैरी ने
कथा यू.के. की
ओर से
डा. संजीव
दुबे को
एक लैपटॉप
उपहार में
भेंट किया।
अंतर्राष्ट्रीय परिसंवाद के
प्रवासी साहित्य
की अवधारणा
पर केंद्रित
प्रथम सत्र
में डॉ.रामजी तिवारी
(पूर्व हिन्दी
विभागाध्यक्ष, मुंबई विश्वविद्यालय), डॉ. श्याम
मनोहर पाण्डेय
(पूर्व प्रोफ़ेसर,
ओरिएंटल विश्वविद्यालय),
श्री सुंदरचंद
ठाकुर (सम्पादक,
नवभारत टाइम्स)
ने महत्वपूर्ण
विचार रखे।
प्रवासी लेखकों
में श्रीमती
ज़किया ज़ुबैरी
(यू.के.),
श्री तेजेंद्र
शर्मा (यू.के.), श्रीमती
नीना पॉल
(यू.के.),
श्री उमेश
अग्निहोत्री (यू.एस.ए.), डॉ.अनीता कपूर
(यू.एस.ए.), श्रीमती
देवी नागरानी
(यू.एस.ए.), श्रीमती
अंजना संधीर
(यू.एस.ए.) एवं
श्रीमती स्नेह
ठाकुर (कनाडा)
ने प्रवासी
साहित्य के
विविध पक्षों
पर महत्वपूर्ण
वक्तव्य दिए।
प्रवासी साहित्य पर
अंतर्राष्ट्रीय परिसंवाद के पहले दिन
की शाम
प्रवासी कवि
सम्मेलन एवं
सांस्कृतिक कार्यक्रमों के कारण यादगार
बन गयी।
श्री देवमणि
पाण्डेय के
संचालन में
श्रीमती ज़किया
ज़ुबैरी (यू.के.), श्रीमती
नीना पॉल
(यू.के.),
श्रीमती देवी
नागरानी (यू.एस.ए.),
डॉ. अंजना
संधीर(यू.एस.ए.),
श्रीमती स्नेह
ठाकुर (कनाडा)
एवं श्री
तेजेंद्र शर्मा
(यू.के.)
ने अपनी
ताज़ा कविताओं
एवं ग़ज़लों
का पाठ
किया। महाविद्यालय
के विद्यार्थियों
ने रंगारंग
नृत्य-गीत
प्रस्तुतियों से दर्शकों का मन
मोह लिया।
इस रंगारंग
कार्यक्रम की विशेष प्रस्तुति रही
एक नेत्रहीन
बच्चों के
बैण्ड का
कव्वाली गायन।
कथा यू.के. की
संरक्षक काउंसलर
ज़किया ज़ुबैरी
ने संस्था
की ओर
से इस
बैण्ड का
उत्साह बढ़ाने
के लिये
उन्हें पांच
हज़ार रुपये
की राशि
प्रदान की।
प्रवासी साहित्य कि
अवधारणा, प्रवासी
हिन्दी कविता,
प्रवासी हिन्दी
कहानी, प्रवासी
हिन्दी उपन्यास
तथा विविध
विधाओं में
लिखे जा
रहे प्रवासी
साहित्य पर
केंद्रित विभिन्न
सत्रों में
कथाकार श्रीमती
सूर्यबाला, श्रीमती सुधा अरोड़ा, डॉ.
हरियश राय,
डॉ.एम.विमला (बंगलोर),
डॉ.शांति
नायर (केरल),
डॉ.विजय
शर्मा (जमशेदपुर),
डॉ.लालित्य
ललित (दिल्ली)
ने अपने
विचार रखे।
सुश्री अजंता
शर्मा (दिल्ली),
डॉ. सुमन
जैन, डॉ.
सतीश पाण्डेय,
डॉ.एस.पी.दुबे,
डॉ. अनिल
सिंह, डॉ.
शशि मिश्रा,
डॉ. उषा
राणावत, डॉ.
उषा मिश्रा,
श्रीमती मधु
अरोड़ा, श्रीमती
रेखा शर्मा,
डॉ. मिथिलेश
शर्मा, श्री
दिनेश पाठक,
डॉ.मनीष
मिश्रा, डॉ.
अशोक मरडे,
डॉ.संदीप
रणभिरकर, सुश्री
गीता सिंह,
श्री एस.एन.रावल,
डॉ.श्यामसुन्दर
पाण्डेय, डॉ.जयश्री सिंह,
श्रीमती तबस्सुम
ख़ान आदि
ने अनेक
प्रवासी रचनाकारों
के अवदान
पर केंद्रित
प्रपत्र प्रस्तुत
किये।
इन प्रपत्रों में
उषा प्रियम्वदा,
सुषम बेदी,
ज़किया ज़ुबैरी,
सुधा ओम
ढींगरा, सुदर्शन
सुनेजा, रेखा
मैत्र, जय
वर्मा, नीना
पॉल, दिव्या
माथुर, उषा
राजे सक्सेना,
पुष्पा सक्सेना,
उमेश अग्निहोत्री,
अर्चना पैन्यूली
एवं तेजेन्द्र
शर्मा आदि
प्रवासी साहित्यकारों
के अवदान
पर चर्चा
की गयी।
उक्त प्रपत्रों
के अतिरिक्त
प्रवासी साहित्य
की विभिन्न
प्रवृत्तियों पर भी वक्ताओं ने
अपने विचार
रखे। परिसंवाद
में मुंबई
के प्रतिष्ठित
रचनाकारों, समीक्षकों, पत्रकारों एवं प्राध्यापकों
की उपस्थिति
उल्लेखनीय रही। “प्रपत्र वाचक” खास
तौर पर
बधाई के
पात्र हैं,
क्योंकि उन्होनें
कठिन प्रयासों
से प्रवासी
लेखन को
पढ़ा, चिंतन-मनन करके
अपने चुनाव
के प्रवासी
भारतीय रचनाकार
के बारे
में डूबकर
उनके काव्य,
कहानी, उपन्यास
की कड़ियाँ
जोड़कर, अपने
प्रपत्र को
सोच और
शब्दों में
बुनकर बहुत
ही स्रजनात्मक
ढंग से
अपने-अपने
विषयों पर
रौशनी डाली।
यह इस
सम्मेलन की
अपने आप
में एक
विशिष्ट उपलब्धि
है।
समापनन सत्र की
अध्यक्षता की एस.आई.ई.एस. कॉलेज
की प्राचार्या
डॉ॰ हर्षा
मेहता ने,
विशेष अतिथि
रहे डॉ॰
लालित्य ललित
(संपादक, नेशनल
बूक ट्रस्ट,
नयी दिल्ली),
जबकि प्रमुख
वक्ता थे
कथाकार तेजेन्द्र
शर्मा ।
अंत में
इस अधिवेशन
के संयोजक
एवं हिन्दी
विभागाध्यक्ष डॉ॰ संजीव दुबे ने
सभी विशेष
मेहमानों, वरिष्ठ साहित्यकारों के प्रति
आभार प्रकट
किया। कथा
यू.के.
एवं एस.आई.ई.एस. कॉलेज
के सफल
प्रयासों के
लिए प्राचार्या
डॉ॰ हर्षा
मेहता, इस
अधिवेशन के
संयोजक एवं
हिन्दी विभागाध्यक्ष
डॉ॰ संजीव
दुबे, कथा
यू.के
के महासचिव
एवं कथाकार
श्री तेजेंद्र
शर्मा को
बधाई।परिसंवाद के आयोजन
में डॉ.
उमा शंकर,
प्रो. रजनी
माथुर, प्रो.
लक्ष्मी, प्रो.
कमला, प्रो.
सुचित्रा, प्रो. सीमा, प्रो. शमा,
प्रो. वृशाली
एवं विद्यार्थियों
ने उल्लेखनीय
भूमिका निभाई।
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