''आमिर खान नेअपने नएकार्यक्रम 'सत्यमेव जयते' में कन्या
भ्रूण हत्या
के मुद्दे
को उठाकर
उसे राष्ट्रीय
चर्चा का
विषय बना
दिया है.
लेकिन इसी
मुद्दे को
हमारे कथाकार
मित्र डॉ
श्रीगोपाल काबरा काफी पहले बहुत
संवेदनशीलता के साथ उठा चुके
हैं. उनकी
चर्चित कृति
'अंतर्द्वन्द्व' (प्रकाशित 2011) में
एकाधिक आलेखों
में यह
मुद्दा बहुत
कुशलता के
साथ उठाया
गया है.यहां देखें इसी
पुस्तक का
एक आलेख:
सभ्य समाज!''-
डॉ. दुर्गा प्रसाद अग्रवाल (अपनी माटी वेबपत्रिका सलाहकार )
सभ्य समाज
![]() |
डॉ श्रीगोपाल काबरा,15, विजय नगर, डी-ब्लॉक, मालवीय नगर, जयपुर – 302017, टेलीफोनः 0141 2721246 |
मेघराजजी सरकार में
बडे़ अफसर
रह चुके
हैं। गर्भपात
के कट्टर
समर्थक हैं।
अनचाहे गर्भ
को गिराने
के अधिकार
और स्वतंत्रता
में किसी
भी प्रकार
की बाधा
या सीमा
के वे
सख्त विरोधी
हैं। उनके
तर्क हैं
कि हमारे
सामाजिक परिवेश
में गर्भिणी
होने की
महिला की
बाध्यता है,
गर्भ वहन
करने की
भी बाध्यता
है। फिर
गरीबी के
कारण संतान
पालन एक
बड़ी त्रासदी
है। प्रसव
में होने
वाली मृत्युदर
भी बहुत
अधिक है।
अतः गर्भ
वहन करना
या गिराना
महिला का
प्रजनन अधिकार
है। और
जन संख्या
विस्फोट, कितने
तो गंभीर
कारण गिनाते
हैं वे।
वे तो
देश, विकास
और समाज
के हित
में दो
बच्चो के
बाद अनिवार्य
गर्भपात के
भी समर्थक
हैं। अधिक
बच्चे पैदा
करने वालों
को वे
देशद्रोही तो नहीं लेकिन इससे
कम भी
नहीं समझते।
गर्भपात के
अधिकार को
वे महिला
स्वतंत्रता के लिए अनिवार्य मानते
हैं। मेरी
उनसे कई
बार इस
बारे में
बहस हो
चुकी है
लेकिन मेरे
किसी भी
विचार और
तर्क को
वे मेरी
महिला विरोधी
मानसिकता से
अधिक कुछ
नही मानते।
कुछ सुनने
को ही
तैयार नहीं
होते, समझने
का तो
सवाल ही
नहीं है।
मेघराजजी पास ही
में रहते
हैं। इतवार
को सुबह
घूमने के
बाद वे
अक्सर चाय
पीने मेरे
यहां आ
जाते हैं।
आज आये
तो आते
ही बडे
गंभीर और
आक्रामक लहजे
में सवाल
दागा: यह
पार्शियल बर्थ
अबोर्शन क्या
होता है?
‘‘
उनके हाव-भाव
देख कर
लगा वे
इस विषय
में मुझे
उकसा कर
व्यर्थ की
बहस में
उलझाना चाहते
हैं। अतः
उत्तर देने
की जगह
मैंने आज
के अखबार
में छपी
पी.सी.पी.एन.डी.टी
एक्ट के
तहत डाक्टरों
के खिलाफ
कार्यवाही का जिक्र किया। मैं
जानता था
इस बारे
में उनके
बडे़ सख्त
और सीधे
ख्याल हैं।
इस एक्ट
के प्रावधानों
के खिलाफ
अल्ट्रासाउन्ड मशीन का उपयोग करने
वालो को
वे मादा
भ्रूण हत्या
का दोषी
मानते हैं।
ऐसे जघन्य
अपराध को
करने वाले
को बख्शना
नहीं चाहते।
ऐसे डाक्टर
को जेल
होनी चाहिए,
उसका लाईसेन्स
कैंसिल होना
चाहिए। वे
उत्तेजना में
धारा प्रवाह
बोलते रहे।
इस कानून
की खामियां
बताने पर
वे कहने
लगे यह
तो आप
पहले भी
बता चुके
हैं। यह
सब बेकार
की बातें
हैं। मादा
भ्रूण हत्या
के अपराधी
को सजा
नहीं देना
तो इस
जघन्य अपराध
में सहयोग
करने के
बराबर है।
प्रतिवाद करना
व्यर्थ था।
इसके पहले
कि मैं
कुछ और
कहता, उन्हें
ध्यान आ
गया और
उन्होंने अपना
प्रश्न दोहरा
दिया: आपने
बताया नहीं,
यह पार्शियल
बर्थ अबोर्शन
क्या होता
है? ‘‘
‘‘क्यों क्या हुआ?
‘‘
‘‘हुआ कुछ नहीं।
प्रेसिडेन्ट बुश ने इसे अमेरिका
में निषिद्ध
किया है।‘‘
‘‘क्यों? ‘‘
‘‘वे कहते हैं
किसी भी
सभ्य समाज
के लिए
पार्शियल बर्थ
अबोर्शन मान्य
नही होना
चाहिए।‘‘
‘‘जिस समाज में
यह अभी
तक मान्य
था उसमें
अब क्या
परिवर्तन आ
गया? क्या
अमरीकी समाज
अब सभ्य
हुआ है?
इतने दिन
नहीं था?
‘‘
‘‘उनका कहना है
कि इस
बारे में
पहले जानकारी
नहीं थी।
यह तो
जब वहां
की मीडिया
ने सचित्र
इस बारे
में विस्तार
से प्रकाशित
किया तब
सबको मालूम
हुआ। मालूम
होने के
बाद कोई
भी सभ्य
समाज इसकी
इजाजत नहीं
दे सकता।
वे कहते
हैं यह
बड़ी क्रूर
और जघन्य
विधि है।‘‘
‘‘चलिए, अमेरिकन प्रेसीडेन्ट
के यह
समझ में
तो आया,
देर से
ही सही।‘‘
‘‘है क्या यह
पार्शियल बर्थ
अबोर्शन? आप
तो डाक्टर
हैं हमें
भी तो
समझाइये।‘‘
‘‘क्या करियेगा समझ
कर? यह
द्वितीय तिमाही
और उसके
बाद के
गर्भ को
नष्ट करने
की विधियों
में से
एक विधि
है।‘‘
‘‘इसमें क्रूर और
जघन्य क्या
है? ‘‘
‘‘यह तो अपनी
अपनी संवेदनशीलता
की बात
है। गर्भ
की दूसरी
तिमाही में
गर्भ विकसित
होकर शिशु
बन जाता
है। हिलता,
डुलता, रोता,
मुस्कुराता जीवंत प्राणी। उसे नष्ट
करना.......चलिए छोडिये इसे। जान
कर बहुत
अच्छा नहीं
लगेगा। आप
चाय लीजिए।‘जो व्यक्ति
जन संख्या
वृद्धि के
नाम पर
जबरन गर्भपात
करने की
वकालत कर
सकता है,
उसकी गर्भस्थ
शिशु के
प्रति किसी
प्रकार की
संवेदनशीलता की आशा मुझे नहीं
थी अतः
मैं टालना
चाहता था।
लेकिन उन्होंने
चाय का
प्याला नहीं
उठाया। एक
टक मेरी
और देखते
रहे, फिर
बोले: आप
बतलाइये तो
सही।‘‘
‘‘क्या आप सच-मुच जानना
और समझना
चाहते हैं?
मैं फिर
कह रहा
हूं, आप
जैसे गर्भपात
के घोर
समर्थक को
भी यह
जानकर अच्छा
नहीं लगेगा।‘‘
‘‘बुरा लगे या
अच्छा आप
बताइये तो।
मैं जानना
चाहता हूं
बुश को
उसमें क्या
बुरा लगा।
जो व्यक्ति
इराक और
अफगानिस्तान में लाखों निरीह लोगों
की हत्या
करवा सकता
है उसे
पार्शियल बर्थ
अबोर्शन में
क्या ऐसी
संवेदनहीनता नजर आयी? हम भी
तो देखें।‘‘
‘‘उस हिसाब से
तो यहां
भारत में
जहां आप
50 लाख गर्भपात
प्रति वर्ष
करवाते हैं,
आपको भी
उसमें कोई
संवेदनहीनता नजर नहीं आयेगी। इन
50 लाख में
से 40 लाख
जहां अवैध,
असुरक्षित और अनैतिक होते है
वहां कैसी
संवेदनशीलता? यहां तो लाखों गर्भस्थ
शिशु ही
नहीं हजारों
महिलायें भी
गर्भपात की
बलि चढती
हैं।
‘‘अब आप बुश
की हिमायत
तो छोडिये,
और बताइये
क्या होता
है पार्शियल
बर्थ अबोर्शन।‘‘
‘‘चलिये तो फिर
चाय खत्म
करिये। कम्प्यूटर
पर आपको
सचित्र दिखा
देता हूं
जो बुश
को वहां
की मीडिया
ने दिखाया।‘‘
चाय खत्म कर
कम्प्यूटर रूम में गए। मैंने
कम्प्यूटर चालू कर गूगल सर्च
खोला और
फिर उसमें
पार्शियल बर्थ
अबोर्शन का
एक साइट
खोला जिस
में इस
अबोर्शन विधि
का सचित्र
वर्णन था।
चित्रों में
दिखाया गया
था कि
अबोर्शन कर्ता
कैसे गर्भाशय
के मुख
को चौड़ा
कर एक
फोरसेप अंदर
डालता है
और फिर
गर्भस्थ शिशु
की दोनो
टांगे पकड
कर नीचे
खींच लेता
है। शिशु
का बाकी
शरीर बाहर
आ जाता
है, और
सर आकर
गर्भाशय की
ग्रीवा में
अटक जाता
है। यह
हुआ पार्शियल
बर्थ। फिर
एक कैंची
लेकर शिशु
के सर
में घुसेड़
कर मस्तिष्क
को नष्ट
कर उसको
सक्शन कर
बाहर निकाला
जिससे खोपड़ी
पिचक गई
और पूरा
शिशु हर
आ गया।
यह हुआ
अबोर्शन।
मेघराजजी का चेहरा
फक्क हो
गया। काफी
देर तक
कुछ नही
बोले। एक
टक कम्प्यूटर
स्क्रीन को
ताकते रहे।
चेहरे पर
वितृष्णा के
भावों को
भरसक छुपाने
की चेष्टा
करते हुए
आखिर पूछा:
‘हमारे यहां
तो इस
विधि से
अबोर्शन नहीं
होते? ‘‘
‘मुझे नही मालूम!
वैसे यह
विधि भारत
में निषिद्ध
नहीं है।
हां यहां
जिस शल्य
विधि से
दूसरी तिमाही
के गर्भ
नष्ट किये
जाते हैं
वह इससे
भी अधिक
क्रूर है।
उसे डाइलेटेशन
और इवेक्यूएशन
विधि कहते
है। इससे
गर्भ को
टुकडे टुकडे
कर गर्भाशय
को इवेक्युएट
यानी खाली
किया जाता
है।‘‘
यह कह कर
मैने डी
एन्ड ई
विधि का
साइट खोल
दिया जिसमें
इस गर्भपात
विधि का
सचित्र विवरण
था।तभी टेलीफोन की
घन्टी बजी
और मैं
उन्हें डी
एण्ड ई
की विधि
देखते हुए
छोड़ कर
टेलीफोन सुनने
चला गया।
मुझे बात
करते हुए
शायद कुछ
ज्यादा समय
लग गया।
लौटा तो
वे कम्प्यूटर
रूम से
जा चुके
थे। बिना
कुछ कहे।
ओर आज
छः महीने
हो गये
कभी चाय
पीने घर
नहीं आये।
ई-2/211, चित्रकूट, जयपुर- 302 021.
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