साहित्यिक दस्तावेज़:विदेशों में लिखित हिन्दी साहित्य का इतिहास/ डॉ.अभिषेक रौशन

    चित्तौड़गढ़ से प्रकाशित ई-पत्रिका
  वर्ष-2,अंक-23,नवम्बर,2016
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साहित्यिक दस्तावेज़:विदेशों में लिखित हिन्दी साहित्य का इतिहास/ अभिषेक रौशन

                , यह महत्वपूर्ण नहीं है, उसमें क्या सृजित हो रहे हैं, यह महत्वपूर्ण है। विदेशों में रचे जा रहे हिन्दी साहित्य पर चिंतन-मनन करें तो एक महत्वपूर्ण तथ्य निकलकर सामने आता है कि इसने हिन्दी साहित्य-सर्जन के अनुभव और उसके विचार की दुनिया का विस्तार किया है। किसी भी रचना के अनुभव-लोक के निर्माण में रचनाकार के अनुभव-लोक के साथ-साथ उसके सामाजिक-अस्तित्व एवं ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विभिन्न देशों में रह रहे हिन्दी लेखकों के अनुभव-लोक, उनके सामाजिक अस्तित्व एवं ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य भारत के हिन्दी लेखकों से भिन्न हैं, इसलिए इनकी रचनाएँ कई स्तरों पर भारत के हिन्दी लेखकों से भिन्न हैं। शिक्षा और नौकरी के लिए खुले विविध क्षेत्रों एवं बदलती हुई वैश्विक, आर्थिक परिस्थितियों से विदेशों में रह रहे इन लेखकों को काम करने के नए अवसर प्राप्त हुए हैं। इन लेखकों में एक ओर भारतीय समाज की सच्चाई, दूसरी ओर विदेशों में रह रहे इन हिन्दी लेखकों की स्थानीय सच्चाई, इन दो सच्चाइयों की टक्कर से जो रचनाएँ निकलकर सामने आई हैं, वे हिन्दी साहित्य को समृद्धि प्रदान करती हैं।
हिन्दी साहित्य के लंबे इतिहास में उसमें कई बदलाव आए हैं। इन बदलावों में एक महत्वपूर्ण बदलाव उसके लेखन की भूमि का बदलना है। अब हिन्दी साहित्य-लेखन भारत देश तक ही सीमित नहीं है बल्कि विदेशों में भी इसके लिए ऊर्वर भूमि तैयार हो रही है। साहित्य कहाँ सृजित होता है

1.            अंजना संधीर :- अंजना संधीर का हिन्दी साहित्य-लेखन में मुख्य हस्तक्षेप काव्य-लेखन में है।  तुम मेरे पापा जैसे नहीं हो’, ‘धूप, छाँव और आँगनऔर बारिशों का मौसमइनके काव्य-संकलन हैं। सात समुन्दर पार से’, ‘ये कश्मीर है’, ‘प्रवासी हस्ताक्षर’, ‘प्रवासिनी के बोलएवं प्रवासी आवाजआदि इनके द्वारा संपादित रचनाओं के संग्रह हैं। अंजना संधीर की कविताओं में प्रकृति-चित्रण के साथ-साथ मनुष्य की आंतरिक दुनिया का चित्रण हुआ है।

2.            अचला शर्मा :- अचला शर्मा के बर्दाश्त बाहर’, ‘सूखा हुआ समुद्रएवं मध्यांतरकहानी-संग्रह हैं। इनके रेडियो नाटकों के संकलन पासपोर्टएवं जड़ेंनाम से प्रकाशित हैं। इनके साहित्य में प्रवासी जीवन का अंतर्द्वंद्व उद्घाटित हुआ है। इसके अलावा अचला शर्मा ने कविताएँ भी लिखी हैं। वे भारतीय समाज और सत्ता के बीच हाशिए पर धकेल दिए गए मनुष्य के दर्द को उद्घाटित करती है। दो सुर्ख़ गुलाब गुजरात के नामशीर्षक कविता सांप्रदायिकता का उभार और इसमें पिसते आम जनता की पीड़ा को अभिव्यक्त करती है।

3.            अनिल जनविजय :-  अनिल जनविजय मुख्यतः कवि और अनुवादक हैं। कविता नहीं है यह’, ‘माँ, बापू कब आएँगे’, ‘रामजी भला करेंइनके प्रमुख कविता-संग्रह प्रकाशित हैं। इनकी कविताओं में बेटियों का गीत’, ‘वह लड़की’, ‘नया वर्ष’, ‘बदलावआदि शीर्षक कविताएँ महत्वपूर्ण हैं।

4.            अनिल प्रभा कुमार :- अनिल प्रभा कुमार मुख्यतः कहानीकार और कवयित्री हैं। इनकी घर’, ‘तीन बेटों की माँ’, ‘दीवाली की शाम’, ‘उसका इंतजार’, ‘फिर से’, ‘बहता पानीएवं मैं रमा नहींआदि शीर्षक कहानियाँ उल्लेखनीय हैं। इनकी कहानियाँ प्रवासी मन के द्वंद्व, मानवीय संवेदनाओं के साथ-साथ व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के चलते पारिवारिक संबंधों में टूटन का यथार्थ-चित्रण करती हैं।

5.            अभिमन्यु अनत :- विदेशों में हिंदी साहित्य-लेखन की दिशा में अभिमन्यु अनत एक बड़े रचनाकार हैं। उन्होंने कविता, नाटक, कहानी, उपन्यास आदि विधाओं के अलावा निबंध, जीवनी, संस्मरण, आत्मकथा, यात्रा-वृत्तांत आदि साहित्यिक विधाओं में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इन्होंने पच्चीस से ज्यादा उपन्यास लिखे हैं जिनमें लाल पसीना’, ‘लहरों की बेटी’, ‘मार्क ट्वेन का स्वर्ग’, ‘एक बीघा प्यार’, ‘जम गया सूरज’, ‘तीसरे किनारे पर’, ‘पसीना बहता रहा’, ‘हम प्रवासीमहत्वपूर्ण हैं। खामोशी की चीत्कार’, ‘एक थाली समंदर’, ‘इन्सान और मशीन’, ‘वह बीच का आदमीऔर अब कल आएगा यमराजइनकी कहानियों के संग्रह हैं। काव्य-संग्रहों में गुलमोहर खौल उठा’, ‘नागफनी में उलझी साँसें’, ‘कैक्टस के दाँतएवं एक डायरी बयानप्रमुख हैं। अभिमन्यु अनत के नाटकों में विरोध’, ‘तीन दृश्य’, ‘गूँगा इतिहास’, ‘रोक दो कान्हा’, ‘देख कबीरा हाँसीहैं। उन्होंने यादों का पहला पहरनाम से एक यात्रा-वृत्तांत भी लिखा है।

अभिमन्यु अनत के साहित्य में गिरिमिटिया मजदूर के अस्तित्व और अधिकार एवं त्रासदी और प्रताड़ना का यथार्थ-चित्रण मिलता है। लाल पसीनाउपन्यास उनकी कालजयी कृति है।

6.            अमरेंद्र कुमार :- अमरेंद्र कुमार मुख्यतः कहानीकार हैं। इनके कहानी-संग्रह चूड़ीवाला और अन्य कहानियाँऔर गाँधी जी खड़े बाज़ार मेंशीर्षक से प्रकाशित हैं। ये अमेरिका से प्रकाशित हिन्दी पत्रिका क्षितिजका संपादक भी रहे हैं। इनकी कहानियों में अनुभूति की सच्चाई है, साथ ही अपनी मिट्टी की महक भी।

7.            अर्चना पैन्यूली :- अर्चना पैन्यूली की अनेक कहानियाँ एवं कविताएँ भारत की प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। परिवर्तनइनके द्वारा रचित महत्वपूर्ण उपन्यास है। हाइवे ई-7’, ‘एक छोटी-सी चाह’, ‘वह उसे क्यों पसन्द करती है’, ‘अगर वो उसे माफ़ कर देइनकी प्रमुख प्रकाशित कहानियाँ हैं। इनकी कहानियाँ स्त्री-जीवन की सच्चाई, दाम्पत्य जीवन में बनते-बिगड़ते रिश्ते और इससे उपजे पारिवारिक विघटन को अभिव्यक्त करती हैं।

8.            अश्विन गाँधी :- अश्विन गाँधी एक सजग कहानीकार एवं कवि हैं। इनकी कहानियों में दो दुनिया की उपस्थिति स्पष्ट रूप से दिखती है एक भारत, दूसरा कनाडा। इन दोनों दुनियाओं से प्राप्त अनुभूति को अश्विन गाँधी अपनी कथा का विषय बनाते हैं। इनकी कहानियों में पिजा की पुकार’, ‘मरना है एक बारएवं अनजाना सफ़रशीर्षक कहानियाँ उल्लेखनीय हैं। काव्य-सृजन के क्षेत्र में कारवाँ’, ‘खुशी और दर्द’, ‘सूरज ढलता हैआदि शीर्षक कविताएँ प्रभावशाली हैं।

9.            इला प्रसाद :- इला प्रसाद एक सशक्त कवयित्री एवं कहानीकार हैं। इनकी कविताओं का संग्रह धूप का टुकड़ाशीर्षक से प्रकाशित हुआ है। इस संग्रह की कुछ प्रमुख कविताएँ हैं :- तलाश’, ‘अंतर’, ‘दीमक’, ‘बाकी कुछ’, ‘मूल्य’, ‘रास्ते’, ‘यात्रा’, ‘विश्वास’, ‘सूरज’, ‘प्रवासी के प्रश्न’, ‘लड़कियों से’, ‘स्त्री’, ‘कलमआदि। इनकी कविताओं में जहाँ अपने समय और समाज की सच्चाइयों की पहचान है, वहीं उससे जूझने की ताकत भी। इनकी स्त्रीशीर्षक कविता जहाँ एक ओर स्त्री-जीवन की वास्तविकता को दिखाती है, वहीं कवयित्री स्त्रियों को अपने अधिकार के लिए संघर्ष करने के लिए प्रेरणा देने वाली है। इनके कहानी-संग्रह इस कहानी का अंत नहींएवं उस स्त्री का नामशीर्षक से प्रकाशित हुए हैं। इनकी कहानियों में अपने समय और समाज के यथार्थ का चित्रण बखूबी हुआ है।

10.          उमेश अग्निहोत्री :- उमेश अग्निहोत्री एक कहानीकार एवं व्यंग्यकार होने के साथ-साथ रंगकर्मी भी हैं। अपनी कहानियों में वे अपने अनुभवों को बड़े ही सरल अंदाज में प्रस्तुत करते हैं। वे भारतीय आँखों से अमेरिका को देखते हैं जो उनके रचना-संसार को विशिष्टता प्रदान करती हैं। इनकी कहानियों का संग्रह गॉड गिवन फैमिलीहै। लकीर’, ‘भारत के वंशज’, ‘क्या हम दोस्त नहीं रह सकते’, ‘मैं विवाहित नहीं रहना चाहता’, ‘हार पर हारआदि शीर्षक कहानियाँ उल्लेखनीय हैं। अमेरिका में गुल्ली डंडा’, ‘अमेरिका में दर्पण’, ‘मैं और फेसबुकआदि उनकी व्यंग्य-रचनाएँ हैं। उन्होंने सुबह होती है, शाम होती हैऔर धर्मयुद्धशीर्षक से दो मंच-नाटक भी लिखे हैं।

11.          उषा देवी विजय कोल्हटकर :- उषा देवी विजय कोल्हटकर विदेशों में हिन्दी साहित्य-सर्जन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण हस्ताक्षर हैं। ये मुख्यतः कथाकार हैं। चाबी का गुड्डा’, ‘अँधेरी सुरंग में’, ‘बटर, टॉफी और बूढ़ा डॉलरइनकी कहानियों के संग्रह हैं। इन्होंने जमी हुई बर्फ़एवं खोया हुआ किनाराशीर्षक से दो उपन्यास भी लिखे हैं। इनकी रचनाओं का अधिकांश परिवेश अमेरिकी समाज की विडंबनाओं का है जहाँ व्यक्ति-स्वातंत्र्य के नाम पर पारिवारिक संबंध और रिश्ते हाशिए पर चले गए हैं।

12.          उषा प्रियंवदा :- उषा प्रियंवदा भारत के हिंदी साहित्य-समाज के लिए एक जाना-पहचाना नाम है। इन्होंने अनेक कहानियाँ एवं उपन्यास लिखे हैं। वनवास’, ‘कितना बड़ा झूठ’, ‘शून्य’, ‘जिन्दग़ी और गुलाब के फूल’, ‘एक कोई दूसराइनके प्रमुख कहानी-संग्रह हैं। वापसीइनकी अत्यंत चर्चित एवं मार्मिक कहानी है। इनकी कहानियों में आधुनिक युग में मानव एवं पारिवारिक मूल्यों की हो रही उपेक्षा का मर्मस्पर्शी चित्रण किया गया है। इनके प्रमुख उपन्यास रुकोगी नहीं राधिका’, ‘शेष यात्रा’, ‘पचपन खंभे लाल दीवारें’, ‘अंतर्वंशीऔर भया कबीर उदासहैं।

13.          उषा राजे सक्सेना :- उषा राजे सक्सेना ब्रिटेन से प्रकाशित हिन्दी की साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका पुरवाईकी सह-संपादिका रह चुकी हैं। ये मुख्यतः कहानीकार और कवयित्री हैं। विश्वास की रजत सीपियाँएवं इंद्रधनुष की तलाश मेंइनके प्रकाशित काव्य-संग्रह हैं और प्रवास में’, ‘वाकिंग पार्टनर’, ‘वह रात और अन्य कहानियाँइनके कहानी-संग्रह हैं। इनकी रचनाओं में व्यक्तिगत और पारिवारिक संस्कारों की टकराहट के साथ-साथ अपने देश की संस्कृति, भाषा के प्रति लगाव और विदेशी जीवन से प्राप्त अनुभवों की सच्चाई का चित्रण मिलता है।   

14.          उषा वर्मा :- उषा वर्मा के क्षितिज अधूरेकविता-संग्रह तथा सांझी कथा-यात्राकहानी-संकलन प्रकाशित हुए हैं। इनकी कहानियों में फ़ायदे का सौदा’, ‘मंज़ूर अली’, ‘रिश्ते’, ‘रौनीएवं सलमाप्रमुख हैं। इनके कथा-संसार की जमीन में विविधता है। इनकी कहानियों में मानवीयता के साथ-साथ यथार्थपरकता है। दो संस्कृतियों के भोगे हुए यथार्थ के कारण उषा वर्मा अपनी कहानियों को नई ऊँचाई प्रदान करती हैं।

15.          कमलाप्रसाद मिश्र :- कमलाप्रसाद मिश्र विदेशों में हिन्दी साहित्य-सृजन की दुनिया में एक कवि के रूप में जाने-पहचाने नाम हैं। उन्होंने कई कविताएँ लिखी हैं। उनकी कविताओं का संकलन फिजी के राष्ट्रीय कवि कमलाप्रसाद मिश्र की काव्य-साधनाहै। इस संग्रह के संपादक डॉ. सुरेश ऋतुपर्ण हैं। इन्होंने जागृतिऔर जयफीजीनामक पत्रिकाओं का संपादन कर हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। बहुमत का खतरा’, ‘जहाँ-जहाँ हैं भारतवासी’, ‘भारत की सभ्यता’, ‘सरकारी सेवा’, ‘आज के समाचार-पत्र’, ‘ताजमहल’, ‘मेरी आग’, ‘मेरी कविताआदि शीर्षक कविताएँ उल्लेखनीय हैं। श्री मिश्र का रचना-संसार बहुत विविध और व्यापक है। आज के समय और समाज में प्रजातंत्र किस तरह ताकतवर लोगों के हाथों का खिलौना बन गया है, इनकी अनेक कविताएँ इस क्रूर सच्चाई को व्यंग्यात्मक स्वर प्रदान करती हैं।

16.          कादम्बरी मेहरा :- कादम्बरी मेहरा मुख्यतः कहानीकार हैं। इनकी पुस्तक कुछ जग की...प्रकाशित है। इनकी कहानियाँ विदेशों में लिखी जा रही हिन्दी कहानियों में अपना विशिष्ट स्थान इसलिए रखती हैं कि इन कहानियों का विषय नितांत अनछुआ एवं अनजाना है। हिजड़ाशीर्षक एक ऐसी ही कहानी है। स्त्री-पुरुष से संबंधित अनेक कहानियाँ मिलती हैं पर हिजड़ा जैसे विषय पर कहानी लिखना और उसके जीवन की सच्चाइयों का चित्रण करना बड़ी बात है। साथ ही यह कहानी हिन्दी कथा-संसार के अनुभवों का विस्तार करती है।

17.          कृष्ण कुमार :- कृष्ण कुमार के रचना-संसार में वैविध्य है। वे कहानी, कविता, बाल-साहित्य एवं निबंध-लेखन के क्षेत्रों में सक्रिय हैं। त्रिकालदर्शनऔर नीली आँखों वाले बगुलेइनकी कहानियों के संग्रह हैं। इनकी कहानियों में अपने समय और समाज की सच्चाइयों का सजीव चित्रण हुआ है। इनकी कहानियाँ मनुष्य के जीवन के विभिन्न पहलुओं और विविधताओं को उद्घाटित करती हैं। अँधियारा’, ‘विषधर’, ‘वह मेरा बेटा है’, ‘लेकिन क्यों’, ‘रिश्ते’, ‘सपना अपनाशीर्षक कविताएँ महत्वपूर्ण हैं। इन्होंने अब्दुल मजीद का छुराशीर्षक यात्रा-वृत्तांत भी लिखा है। इन्होंने आज नहीं पढ़ूँगाशीर्षक से बाल-साहित्य भी लिखा है। कृष्ण कुमार के निबंध के विषय में विविधताएँ हैं पर उनके अधिकांश निबंधों का संबंध शिक्षा जगत से है। विचार का डर’, ‘शैक्षिक ज्ञान और वर्चस्व’, ‘राज, समाज और शिक्षा’, ‘शिक्षा और ज्ञान’, ‘स्कूल की हिंदी’, ‘गुलामी की शिक्षा और राष्ट्रवादएवं बच्चे की भाषा और अध्यापकप्रमुख निबंध हैं।

18.          कृष्ण बिहारी :- कृष्ण बिहारी ने कहानी, उपन्यास, कविता के अलावा नाटक की भी सर्जना की है। दो औरतें’, ‘पूरी हक़ीकत पूरा फ़सानाएवं नातूरइनके प्रमुख कहानी-संग्रह हैं। मेरे मुक्तक : मेरे गीत’, ‘मेरे गीत तुम्हारे हैं’, ‘मेरी लम्बी कविताएँशीर्षक से इनके कविता-संग्रह भी प्रकाशित हुए हैं। इन्होंने रेखा उर्फ़ नौलखिया’, ‘पथराई आँखों वाला यात्रीऔर पारदर्शियोंशीर्षक से उपन्यासों की सर्जना भी की है। इन्होंने संगठन के टुकड़ेशीर्षक से नाटक एवं यह बहस जारी रहेगी’, ‘एक दिन ऐसा होगाएवं गाँधी के देश मेंशीर्षक से एकांकियों का सृजन भी किया है। इन्होंने एक यात्रा-वृत्तांत भी लिखा है जिसका शीर्षक है – ‘सागर के इस पार से उस पार से। कृष्ण बिहारी की रचनाओं में खाड़ी देशों के समाज का यथार्थ सामने आया है। इस यथार्थ में विशेषकर वहाँ की स्त्रियों के शोषण, प्रताड़ना आदि की प्रधानता है। साथ ही वहाँ रह रहे भारतीयों की मनःस्थिति, अकेलेपन का बोध आदि का चित्रण भी इनकी कहानियों में मिलता है।

19.          गौतम सचदेव :- गौतम सचदेव के दो कविता-संग्रह अधर का पुलएवं एक और आत्मसमर्पणएवं एक कहानी-संग्रह साढ़े सात दर्जन पिंजड़ेप्रकाशित हैं। इस कहानी-संग्रह में आकाश की बेटी’, ‘आधी पीली आधी हरी’, ‘जीरे वाला गुड़’, ‘पूर्णाहुति’, ‘लम्बोतरे मुँह वाली लड़कीआदि महत्वपूर्ण कहानियाँ हैं। इसके अलावा गौतम सचदेव व्यंग्य-रचना और ललित निबंध के क्षेत्र में भी सक्रिय रहे हैं। प्रेमचंद : कहानी और शिल्पविषय पर उनका शोध-प्रबन्ध भी प्रकाशित है।

20.          जगमोहन कौर :- जगमोहन कौर मुख्यतः एक कहानीकार हैं। उनकी टीस’, ‘कर्ज़और देह-सुखशीर्षक कहानियाँ उल्लेखनीय हैं। टीसकहानी में जहाँ शिक्षा-व्यवस्था पर सवाल उठाया गया है, वहीं कर्ज़कहानी में संतान-सुख से वंचित एक दम्पति की मनःस्थिति एवं उसके संघर्ष की कथा कही गई है। वहीं देह-सुखकहानी एक ऐसे पुरुष की कहानी है जो नैतिकता, मर्यादा और संयम से परे है और देह-सुख के लिए परिवार और समाज के किसी बंधन को नहीं मानता। यह कहानी तथाकथित सभ्य और शरीफ़ समाज का वह चेहरा दिखाती है जहाँ बहस का विषय नैतिकता-अनैतिकता नहीं, बल्कि अमीरी और गरीबी है।

21.          तेजेन्द्र शर्मा :- तेजेन्द्र शर्मा कहानीकार और कवि हैं। इनके सात कहानी-संग्रह प्रकाशित हैं। वे संग्रह हैं :- काला सागर’, ‘ढिबरी टाईट’, ‘देह की कीमत’, ‘यह क्या हो गया!’, ‘बेघर आँखें’, ‘सीधी रेखा की परतेंऔर कब्र का मुनाफ़ा। इनकी कहानियों में प्रवासी मन का अंर्तद्वंद्व और संघर्ष उद्घाटित हुआ है। ये घर तुम्हारा हैउनकी कविताओं का संग्रह है। इनकी कविताओं में शहरी जीवन की सच्चाई के साथ-साथ अपने समय और समाज की विडंबनाओं और विसंगतियों का चित्रण हुआ है। साथ ही इन्होंने समुद्र पार रचना-संसारकहानी-संकलन एवं यहाँ से वहाँ तककाव्य-संकलन का संपादन किया है। तेजेन्द्र शर्मा ने कुछ पत्रिकाओं का भी संपादन किया है। वे पत्रिकाएँ हैं – ‘प्रवासी संसार’ (कथा विशेषांक) एवं सृजन संदर्भ’ (प्रवासी साहित्य विशेषांक)।

22.          तोषी अमृता :- तोषी अमृता की कविताएँ एवं कहानियाँ सरिता, सारिका, कादम्बिनी, साप्ताहिक हिन्दुस्तान में प्रकाशित हैं। साथ ही लंदन से निकलने वाली पत्रिका पुरवाईमें भी इनकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैं। मिट्टी की सुगंध’, ‘सर्द रात का सन्नाटाउल्लेखनीय कहानियाँ हैं। पर एकाकीपन वैसा ही है’, ‘अनबुझ प्यास’, ‘मैंने कब चाहा कि...’, ‘खोई राह स्वयं पा लूँगी’, ‘शून्यता’, ‘आशंकाआदि शीर्षक कविताएँ महत्वपूर्ण हैं। इनकी कविताओं में सहजता के साथ-साथ एक साहस भी है।

23.          दिव्या माथुर :- दिव्या माथुर एक कहानीकार एवं कवयित्री हैं। इनके कहानी-संग्रह आक्रोश’, ‘पंगाएवं आशाप्रकाशित हैं। इनके कविता-संग्रहों में अंतःसलिला’, ‘रेत का लिखा’, ‘ख्याल तेरा’, ‘चंदन पानी’, ’11 सितंबर : सपनों की राख तलेएवं झूठ, झूठ और झूठहैं। इनकी कहानियों में स्त्री-मन में बसा अकेलापन एवं असुरक्षा-बोध उद्घाटित हुए हैं जो अपनी परिस्थतियों और परिवेश से जूझ रही हैं। इनकी कहानियों में प्रवासी मन का द्वंद्व उभरकर सामने आता है।

24.          दीपिका जोशी संध्या’ :- दीपिका जोशी संध्याने कहानी, कविता के अलावा यात्रा-वृत्तांत और संस्मरण भी लिखा है। इनकी कच्ची नींवएवं सदाफूलीशीर्षक कहानियाँ उल्लेखनीय हैं। दीपिका जोशी संध्याअपनी कहानियों के माध्यम से स्त्री के जीवन और जगत की सच्चाइयों को उभारती हैं, साथ ही उपभोक्तावादी संस्कृति में पिसते परिवार और समाज में विघटन को चित्रित करती हैं। इनकी आपकी पितृ-छाया’, ‘माँ : एक याद’, ‘नन्हा दीपकशीर्षक कविताएँ प्रवासी-मन के द्वंद्व को उजागर करती हैं। सिंगापुर, बैंकाक और पटाया का त्रिकोण’, ‘पतझड़ के बदलते रंगों में डूबा अमेरिका’, ‘रोमांचक जंगलों का सफ़रआदि इनके यात्रा-वृत्तांत हैं। इन्होंने जादू की खिड़की से सच की दुनिया मेंशीर्षक से संस्मरण भी लिखा है।

25.          नरेश भारतीय :- नरेश भारतीय लंदन से सर्वप्रथम प्रकाशित द्विभाषिक पत्रिका चेतकके संस्थापक-संपादक रहे हैं। इनकी प्रकाशित रचनाओं में सिमट गई धरती’ (उपन्यास सह संस्मरणात्मक आत्मकथ्य), ‘टेम्स के तट से’ , ‘उस पार इस पारलेख-संस्मरण-संग्रह प्रकाशित हैं। इनके अलावा इन्होंने कुछ कविताएँ भी लिखी हैं जिनमें एक शून्य हूँ मैं’, ‘संस्कृतियों की अंतरराष्ट्रीयता’, ‘कालचक्रएवं अपूर्णशीर्षक कविताएँ महत्वपूर्ण हैं। इनकी कविताओं में प्रवासी-जीवन का द्वंद्व एवं संस्कृतियों की टकराहट की अनुगूँज मिलती है।

26.          निखिल कौशिक :- निखिल कौशिक एक ऐसे कवि हैं जिनकी कविताओं में प्रवासी मन के दर्द और अंतर्द्वंद्व के साथ-साथ उसके अजनबीपन का बोध चित्रित हुआ है। इनकी कविताओं में व्यंग्यात्मकता भी है। निखिल कौशिक ने अपनी कविताओं में रंग-भेद पर सवाल उठाया है जो प्रवासी एशियाई मूल के लोगों के लिए पीड़ा और प्रताड़ना का कारण बनता है। इनके काव्य-संग्रह तुम लंदन आना चाहते होएवं खड़ा नहीं होता अपने आपहैं।

27.          पुष्पा भार्गव :- पुष्पा भार्गव विदेशों में हिन्दी साहित्य-सर्जन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कवयित्री हैं। अंतर्नादऔर लहरेंइनके प्रकाशित काव्य-संग्रह हैं। इनकी कविताओं में लंदन की बरसात’, ‘अंधकार’, ‘दो मीनारें’, ‘डर’, ‘चौराहाआदि उल्लेखनीय हैं। इनकी कविताएँ मानवीय संबंधों एवं मनुष्य की नियति को चित्रित करती हैं।

28.          पूर्णिमा वर्मन :- इनके दो कविता-संग्रह पूर्वाएवं वक्त के साथप्रकाशित हैं। इन्होंने एक शहर जादू जादू’, ‘उड़ान’, ‘उसकी दीवाली’, ‘फुटबॉल’, ‘यों ही चलते हुएआदि शीर्षक कहानियों के अलावा चालाकी का फल’, ‘लाल गुब्बाराआदि बाल-कहानियाँ एवं कुछ बाल-कविताएँ भी लिखी हैं। इन्होंने वतन से दूरनामक कहानी-संग्रह का संपादन भी किया है। पूर्णिमा वर्मन अभिव्यक्तिएवं अनुभूतिई-पत्रिकाओं की संपादिका हैं।

29.          प्राण शर्मा :- प्राण शर्मा का काव्य-संग्रह सुराहीशीर्षक से प्रकाशित है एवं गज़ल कहता हूँइनके गज़लों का संग्रह है। इसके साथ ही इन्होंने कुछ लघु कथाएँ भी लिखी हैं जिनमें वो बीस लाख देगा’, ‘सब कुछ है तेरा’, ‘मेरी नैया पार लगाओआदि हैं।

30.          महेन्द्र द्वेसर दीपक’ :- महेन्द्र द्वेसर दीपकमुख्यतः कहानीकार हैं। इनका एक कहानी-संग्रह पहले कहा होताप्रकाशित है। इनकी कहानियों में रंग-भेद की समस्या, साथ-साथ पश्चिमी समाज के सच का चित्रण हुआ है। भोगवादी मानसिकता के कारण स्त्री-पुरुष संबंधों के कई विडंबनापूर्ण और विकृत पहलुओं को इनकी कहानियाँ उजागर करती हैं।

31.          मिश्रीलाल जैन :- मिश्रीलाल जैन ने हिन्दी में कविता लिखने के साथ-साथ अंग्रेजी भाषा में रीजन एंड रियलिटीउपन्यास भी लिखा है। इनकी कविताओं में संदेशा’, ‘मेरे ये दिन’, ‘लोग कहेंगे’, ‘ज़िन्दगी’, ‘तुम्हारा प्यारआदि उल्लेखनीय हैं। इनकी कविताओं में अपने परिवेश की उपस्थिति साफ़ झलकती है जहाँ एक कवि की कसमसाहट को महसूस किया जा सकता है।

32.          मोहन राणा :- विदेशों में हिन्दी काव्य-सर्जन के क्षेत्र में मोहन राणा एक प्रतिष्ठित कवि हैं। इनके छः कविता-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। वे संग्रह हैं :- जगह’, ‘जैसे जनम कोई दरवाजा’, ‘सुबह की डाक’, ‘इस छोर पर’, ‘पत्थर हो जाएगी नदीएवं धूप के अँधेरे में। इनकी कविताओं में मध्यम वर्ग की सच्चाइयों और विडंबनाओं का चित्रण हुआ है। साथ ही ये कविता का वैविध्य-संसार रचने वाले कवि हैं।

33.          राकेश त्यागी :- राकेश त्यागी कहानी, कविता, निबंध एवं व्यंग्य आदि विधाओं के लेखन में सक्रिय हैं। इनकी दस कहानियाँ एवं लगभग सौ कविताएँ प्रकाशित हैं। इनकी कहानी लॉटरीचर्चित कहानी है जिसका ए.एस. शंकर ने तेलुगु में अनुवाद भी किया है। इन्होंने दंगेशीर्षक से तीन कविताएँ लिखी हैं जिनमें दंगाई मानसिकता का कड़वा चित्रण हुआ है। इनकी एक कविता आम आदमीहै। इनकी कविताओं के केंद्र में साधारण मनुष्य है जिसके जीवन के विविध पहलुओं और सच्चाइयों को वे उजागर करते हैं।

34.          राजश्री :- राजश्री कथाकार होने के साथ-साथ कवयित्री भी हैं। उगते निर्झरइनकी कहानियों एवं कविताओं का संकलन है। इनकी दो कहानियाँ मैं बोनसाई नहींएवं मुक्ति और नियतिउल्लेखनीय हैं। इन्होंने क्षितिज की संतानशीर्षक से एक उपन्यास की भी रचना की है। इनकी कहानियाँ स्त्री-जीवन के संघर्ष के चित्रण एवं स्त्री-पुरुष संबंधों पर आधारित हैं। साथ ही इनकी कहानियों में प्रवासी जीवन के द्वंद्व को देखा जा सकता है।

35.          लक्ष्मीधर मालवीय :- लक्ष्मीधर मालवीय कथाकार हैं। इनके चार उपन्यास प्रकाशित हुए हैं। ये उपन्यास हैं :- दायरा’, ‘किसी और सुबह’, ‘रेतघड़ीऔर यह चेहरा क्या तुम्हारा है?’। इनके कहानी-संग्रह हिमउजास’, ‘शुभेच्छुएवं फंगसहैं। देव ग्रंथावलीइनका शोध-प्रबन्ध है। लक्ष्मीधर मालवीय गहरे मानवीय संवेदना के कथाकार हैं। युद्ध की विभीषिका के बीच मानवीय त्रासदी उनकी कहानियों का विषय बनती है। साथ ही बाजारीकरण एवं उद्योगीकरण ने किस तरह मानवीय मूल्यों को हाशिए पर धकेल दिया है, इसका वे सजीव चित्रण करते हैं।

36.          वेदप्रकाश वटुक’ :- वेदप्रकाश वटुकविदेशों में हिंदी साहित्य-लेखन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। ये मुख्यतः कवि हैं। इनके त्रिविधा’, ‘बन्धन अपने, देश पराया’, ‘कैदी भाई, बंदी देश’, ‘आपात-शतक’, ‘नीलकंठ न बन सका’, ‘एक बूँद और’, ‘कल्पना के पंख पाकर’, ‘रात का अकेला सफर’, ‘नए अभिलेख का सूरज’, ‘बाँहों में लिपटी दूरियाँ’, ‘सहस्रबाहु’, ‘अनुगूँज’, ‘इतिहास की चीख’, ‘कुरसी शतक’, ‘बाहुबली’, ’32 प्रेम कविताएँआदि काव्य-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। उन्होंने उत्तर रामकथाशीर्षक से खंड-काव्य भी लिखा है। वेदप्रकाश वटुकमानवीय सरोकार एवं सजग सामाजिक चेतना के कवि हैं। इनकी कविताओं में जहाँ अतीत का बोध है, वहीं वर्तमान का सच और भविष्य की चिंता भी।

37.          श्याम नारायण शुक्ल :- श्याम नारायण शुक्ल कहानीकार, कवि तथा निबंधकार हैं। इनकी कई रचनाएँ कादम्बिनी, विश्वा, हिंदी जगत आदि पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। गंगा से मिसीसिपी तकएवं मिसीसिपी के पारइनकी संस्मरणात्मक पुस्तकें हैं। ये अंतरराष्ट्रीय पत्रिका विश्व-विवेकके संपादक भी रहे हैं। इनकी कविताओं में प्रवासी जीवन की सच्चाई है। ये मानवीय सरोकार के कवि हैं। इनकी एक कविता का शीर्षक ही है - मोक्ष नहीं, मानव जीवन दो

38.          सत्येन्द्र श्रीवास्तव :- सत्येन्द्र श्रीवास्तव विदेशों में हिन्दी साहित्य-लेखन के क्षेत्र में वरिष्ठ साहित्यकार हैं। ये कवि, नाटककार एवं निबंधकार हैं। जलतरंग’, ‘एक किरण एक फूल’, ‘स्थिर यात्राएँ’, ‘मिसेज जोन्स और वह गली’, ‘सतह की गहराईएवं कुछ कहता है ये समयइनके प्रमुख काव्य-संग्रह हैं। ऊधम सिंह - उनका समय : उनकी क्रान्ति’, ‘बेगम समरू’, ‘मिस वर्ल्ड अनडिक्लेयर्डऔर तमाचाउनके नाटक हैं। उनकी कविताओं में राष्ट्रीयता की भावना है पर वह भावुक नहीं, उसके यथार्थ के विभिन्न पहलुओं को उजागर करने वाली है। अपने समय और समाज की सच्चाई के प्रति असंतोष का भाव उनकी कविताओं में अभिव्यक्त हुआ है। उनके नाटक तमाचादाम्पत्य-संबंध का सूक्ष्म विश्लेषण करता है, वहीं मिस वर्ल्ड अनडिक्लेयर्डएशियाई मूल के साथ रंग-भेद के व्यवहार का यथार्थ चित्रण करता है। उनकी पुस्तक टेम्स में बहती गंगा की धारब्रिटेन में बसे भारतीयों के संघर्ष को चित्रित करती है।

39.          सारिका सक्सेना :- सारिका सक्सेना कवयित्री हैं। इनकी खामोश मुलाकात’, ‘मित्र’, ‘वक्त का बजरा’, ‘मन तितली’, ‘परदेश में फागुन’, ‘प्यार पूजाआदि शीर्षक कविताएँ प्रकाशित हैं। इनकी कविताएँ प्रेम के विविध रूपों और मनुष्य मन के अंतर्द्वंद्वों का चित्रण करने वाली हैं।

40.          सुदर्शन प्रियदर्शिनी :- सुदर्शन प्रियदर्शिनी कथाकार और कवयित्री हैं। इनके उपन्यास सूरज नहीं उगेगा’, ‘रेत की दीवारएवं काँच के टुकड़ेप्रकाशित हैं। इनके दो कविता-संग्रह शिखंडी युगएवं बराहप्रकाशित हुए हैं। इनकी कविताओं में प्रवासी जीवन की पीड़ा, अकेलापन के साथ-साथ इससे उपजे भय का यथार्थ चित्रण मिलता है। यह पीड़ा और भय उस मानव-समाज का सच है जो उनकी कविताओं में उभरकर सामने आता है।

41.          सुमन कुमार घई :- सुमन कुमार घई कहानीकार और कवि हैं। इनकी स्मृतियों में’, ‘उसने सच कहा था’, ‘असली-नकलीआदि शीर्षक कहानियाँ उल्लेखनीय हैं। इनकी कहानियों में अपने समय और समाज के सच का यथार्थ सहज रूप से सामने आया है। इनकी स्मृति के अलाव’, ‘गर्मी की यादें’, ‘नीर-पीर’, ‘मौनशीर्षक कविताएँ सहजता के कारण विशेष प्रभाव छोड़ती हैं। ये ई-पत्रिका साहित्य कुञ्जके संपादक हैं। साथ ही कनाडा से निकलने वाली त्रैमासिक हिन्दी पत्रिका हिन्दी चेतनाके सह-संपादक रहे हैं।

42.          सुरेन्द्रनाथ तिवारी :- सुरेन्द्रनाथ तिवारी कवि एवं कहानीकार हैं। इन्होंने कई कविताएँ लिखी हैं जिनमें वह कविता है’, ‘कुछ तो गाओ’, ‘चलो आज हम दीप जलाएँ’, ‘अमीरों के कपड़ेआदि शीर्षक कविताएँ महत्वपूर्ण हैं। ये मानवीय चिंता के कवि हैं। उद्योगीकरण और यांत्रिक विकास के चलते जहाँ एक ओर मानवीय संवेदना खो रही है तो दूसरी ओर आदमी के हाथ बेकार हो रहे हैं, इस यथार्थ की छटपटाहट इनकी कविताओं में अभिव्यक्त हुई है। इन्होंने उपलब्धिशीर्षक कहानी तथा एक संस्मरण संउसे सहरिया रंग से भरी, बनाम भोजपुरी अंचल की होलीशीर्षक से लिखा है। 

43.          सुरेश राय :- सुरेश राय कवि एवं कहानीकार हैं। इनकी कविताओं का संग्रह अनुभूति के दो स्वरशीर्षक से प्रकाशित है। इनकी कविताओं में आस-पास की बिखरी हुई जिंदगी का चित्रण है, पुरानी पीढ़ी और नई पीढ़ी के बीच आचार-विचार का द्वंद्व है और इससे संबंधों में आ रहे बिखराव का यथार्थ चेहरा अभिव्यक्त हुआ है। इनकी एक कहानी काकीशीर्षक से प्रकाशित है। इस कहानी में एक स्त्री के विश्वास एवं प्रेम की त्रासदी की कथा कही गई है। इन्होंने अमेरिका से प्रकाशित होने वाली हिंदी पत्रिका विश्व-विवेकका कई वर्षों तक सह-संपादन भी किया है।

44.          सुरेशचंद्र शुक्ल शरद आलोक’ :- विदेशों में हिंदी साहित्य-लेखन में सुरेशचंद्र शुक्ल एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। उनके सात कविता-संग्रह एवं एक कहानी-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। उनके कविता-संग्रहों में वेदना’, ‘रजनी’, ‘नंगे पाँव का सुख’, ‘दीप जो बुझते नहीं’, ‘संभावनाओं की तलाश’, ‘नीड़ में फँसे पंखआदि प्रमुख हैं। इनका एकमात्र कहानी-संग्रह ग्लोमा से गंगाहै। इनकी यह वह सूरज नहीं’, ‘आकुल बसंत’, ‘कवि-कविता’, ‘बेरोजगारों का दर्दआदि शीर्षक कविताएँ उल्लेखनीय हैं। इनकी वापसीशीर्षक कहानी प्रवासी जीवन में अपने देश लौटने की खुशी को बयाँ करती है।

45.          सुषम बेदी :- सुषम बेदी मुख्यतः कथाकार, कवयित्री और निबंधकार हैं। इनके हवन’, ‘लौटना’, ‘नव भूम की रसकथा’, ‘गाथा अमरबेल की’, ‘कतरा दर कतरा’, ‘इतर’, ‘मैंने नाता तोड़ाएवं मोर्चेउपन्यास प्रकाशित हुए हैं। इनका एक कहानी-संग्रह चिड़िया और चीलहै। इनकी कविताओं में अतीत का अँधेरा’, ‘औरत’, ‘घर और बगीचा’, ‘माँ की गंध’, ‘कलियुग की दोस्तियाँआदि शीर्षक कविताएँ उल्लेखनीय हैं। इनके तमाम उपन्यासों में सर्वाधिक चर्चित हवनहै जो अमेरिकी पृष्ठभूमि पर लिखा गया है। अमेरिका में हिंदी : एक सिंहावलोकन’, ‘प्रवासी भारतीयों का साहित्यिक उपनिवेशवाद’, ‘प्रवासियों में हिन्दी : दशा और दिशाआदि उनके महत्वपूर्ण निबंध हैं।
विदेशों में हिन्दी साहित्य-लेखन की दिशा और दशा के विवेचन में कई ऐसे नाम हो सकते हैं जो छूट गए होंगे। यह विवेचन इस बात का प्रमाण है कि विदेशों में हिंदी साहित्य-लेखन अनेक विधाओं में अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज करा रहा है। विदेशों में हिंदी साहित्य-लेखन की यह पड़ताल हिंदी साहित्य एवं भाषा को वैश्विक रूप प्रदान करती है।

             इस आलेख को तैयार करने में हिन्दी पत्रिकाओं के अनेक प्रवासी साहित्य विशेषांकों की सहायता ली गई है। साथ ही इन्टरनेट से जानकारियों को इकट्ठा किया गया है। इन पत्रिकाओं में वर्तमान साहित्यका प्रवासी साहित्य महाविशेषांक (जनवरी-फरवरी 2006 और मई 2006), ‘साक्षात्कारका प्रवासी भारतीय हिन्दी लेखन विशेषांक (मई-जुलाई 2007) प्रमुख हैं।

             इस आलेख में विदेशों में लिख रहे हिन्दी साहित्यकारों के नाम वर्णक्रमानुसार हैं।


  • अभिषेक रौशन,सहायक प्राध्यापक (हिंदी विभाग),अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विश्वविद्यालय, हैदराबाद,संपर्क-सूत्र – 9676584598,

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