tag:blogger.com,1999:blog-5853620981665233836.post1233801492918759087..comments2024-03-25T11:26:27.348+05:30Comments on अपनी माटी: कविताएँ:विपुल शुक्ला Gunwant http://www.blogger.com/profile/11902535333148574269noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-5853620981665233836.post-56316235685148968972013-10-27T09:08:22.050+05:302013-10-27T09:08:22.050+05:30विपुल की कवितायेँ पढ़ते समय दिल और दिमाग दोनों की ए...विपुल की कवितायेँ पढ़ते समय दिल और दिमाग दोनों की एक साथ ज़रूरत होती है.वे बिम्ब रचने की कला के साथ ही कई बार विज्ञान का सहारा लेते है.अचानक उनकी कविता में भावात्मक रिश्तों पर भी कवितांश पढने को मिल जाते हैं.विपुल असल में एक विचार के साथ कविता आरम्भ करे हैं और वे कभी-क को छोड़कर सफल होते हैं-माणिक Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/00514434800240496727noreply@blogger.com