tag:blogger.com,1999:blog-5853620981665233836.post2509051042692229215..comments2024-03-17T21:17:04.658+05:30Comments on अपनी माटी: सम्पादकीय:साधू ओझा संत/ जितेन्द्र यादवGunwant http://www.blogger.com/profile/11902535333148574269noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-5853620981665233836.post-90279470829136980302020-06-10T16:39:48.507+05:302020-06-10T16:39:48.507+05:30बहुत बढ़िया लेख बहुत बढ़िया लेख arun prakashhttps://www.blogger.com/profile/11575067283732765247noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5853620981665233836.post-73907353366745856102018-06-23T13:26:10.730+05:302018-06-23T13:26:10.730+05:30आप के दो संपादकीय 'सामाजिक न्याय बनाम साक्षात्...आप के दो संपादकीय 'सामाजिक न्याय बनाम साक्षात्कार' और 'साधू औझा संत' पढ़ा। बहुच अच्छा और सच्चा लगा। वास्तव में भारतीय समाज की यथार्थवादी चेतना को आपने बहुत गहराई से बोध किया है। आप की शैली में मुं. प्रेमचंद और श्री राजेंद्र यादव का व्यक्तित्व झलकता है। ऐसी गहन और सटीक भारतीय समाज की मनोगत छबियों को शब्दों में चित्रित करने के लिए आप की सहराहना करता हूं।डॉ. संतोष गोवन (Dr. Santosh Govan)https://www.blogger.com/profile/07090478129504524060noreply@blogger.com