tag:blogger.com,1999:blog-5853620981665233836.post8385918614342127793..comments2024-03-25T11:26:27.348+05:30Comments on अपनी माटी: डॉ. रमेश यादव की कविता:मेरे पुरखों ने किये हैं इतने लिंग-भेद कि मैं लिंग में भेद करना भूल गया हूँ Gunwant http://www.blogger.com/profile/11902535333148574269noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-5853620981665233836.post-21757952792646568832013-03-12T08:53:47.910+05:302013-03-12T08:53:47.910+05:30शमशेर ने कहा है 'जनता के बल का महाबाण ' ... शमशेर ने कहा है 'जनता के बल का महाबाण ' .. इन कविताओं में रूबरू है ... यह कवितायेँ गझिन संवेदना की सहज अभिव्यक्ति हैं .. रमेश भाई को बधाई ..kathakavitahttps://www.blogger.com/profile/08881283928798780938noreply@blogger.com