शोध आलेख : डिजिटल कला में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग (ML) का उपयोग / रितेश जोशी एवं मनीष कुमार भट्ट

डिजिटल कला में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग (ML) का उपयोग
- रितेश जोशी एवं मनीष कुमार भट्ट

चित्र-1, एआई- दा रोबोट अपनी कलाकृति के साथ

शोध सार : डिजिटल कला का क्षेत्र, जो कंप्यूटर और डिजिटल तकनीकों का उपयोग करके बनाई गई कला को संदर्भित करता है, समसामयिक परिदृश्य में तेजी से बदल रहा है। तकनीकी प्रगति के साथ, डिजिटल कला न केवल अपने स्वरूप और शैली में अद्वितीय हो रही है, बल्कि इसके निर्माण की प्रक्रियाओं में भी आमूल-चूल परिवर्तन आ रहे हैं। इस परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण घटक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) का उपयोग है। इन तकनीको ने विभिन्न क्षेत्रों में क्रांति ला दी है, और अब ये डिजिटल कला के क्षेत्र में भी नए आयाम जोड़ रही हैं। इस शोध पत्र में, हम डिजिटल कला में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के उपयोग के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करेंगे। हम जानेंगे कि ये तकनीकें कैसे कला निर्माण की प्रक्रियाओं को स्वचालित कर रही हैं, कला की पहचान और वर्गीकरण में कैसे मदद कर रही हैं, और इंटरैक्टिव कला के नए रूपों को कैसे जन्म दे रही हैं। इसके साथ ही, हम कुछ प्रमुख उदाहरणों के माध्यम से यह समझने की कोशिश करेंगे कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का उपयोग डिजिटल कला में कैसे हो रहा है और इसके क्या प्रभाव हैं।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के उपयोग से डिजिटल कला में नए अवसर उत्पन्न हो रहे हैं, इन तकनीकों के उपयोग से उत्पन्न होने वाले स्वामित्व और कॉपीराइट के मुद्दे, और कला की सच्चाई पर उठते सवालों को भी इस शोध पत्र में विस्तार से चर्चा की जाएगी।

अंत में, हम यह जानने की कोशिश करेंगे की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का उपयोग डिजिटल कला में कैसे और कितना प्रभावी हो सकता है, और भविष्य में इसके संभावित परिणाम क्या हो सकते हैं। इस प्रकार, यह शोध पत्र न केवल डिजिटल कला में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के उपयोग को समझने में मदद करेगा, बल्कि इन तकनीकों के उपयोग से उत्पन्न होने वाले संभावित अवसरों और चुनौतियों को भी उजागर करेगा।

बीज शब्द : डिजिटल कला, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग, जनरेटिव आर्ट, क्रिएटिव एल्गोरिदम, एआई आर्टिस्ट, कंप्यूटेशनल आर्ट, आर्टिफिशल क्रिएटिविटी, नई मीडिया कला, इंटरएक्टिव आर्ट, कला और प्रौद्योगिकी, डिजिटल मीडिया और एआई।

मूल आलेख : डिजिटल कला और तकनीकी नवाचार के संगम ने कला की दुनिया में एक नई क्रांति का सूत्रपात किया है। जहाँ पारंपरिक कला माध्यमों ने सैकड़ों वर्षों से मानव अभिव्यक्ति का माध्यम प्रदान किया है, वहीं आज की डिजिटल कला इस माध्यम को एक नई दिशा में ले जा रही है। इस परिवर्तन का प्रमुख कारण कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग की प्रगति है। ये तकनीकें न केवल कला निर्माण की प्रक्रियाओं को पुनर्परिभाषित कर रही हैं, बल्कि कला के प्रति हमारे दृष्टिकोण और इसकी संभावनाओं को भी व्यापक बना रही हैं।

इन तकनीको की सहायता से कलाकार अब अधिक जटिल, सटीक और अभिनव कार्यों का निर्माण कर सकते हैं। ये तकनीकें सूचनाओ के विशाल संग्रह को समझने और विश्लेषित करने में सक्षम हैं, जो कलाकारों को अनगिनत संभावनाओं और शैलीगत प्रयोगों के द्वार खोलती हैं। डिजिटल कला में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का उपयोग केवल तकनीकी उपकरणों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक नया दृष्टिकोण और विचारधारा भी प्रदान करता है, जो कला और प्रौद्योगिकी के बीच की सीमाओं को धुंधला करता है।

डिजिटल कला का परिचय : “डिजिटल कला असल में कंप्यूटर आधारित (एल्गोरिथामिक, फ्रेक्टल्स ) या उससे प्राप्त स्त्रोत (स्कैन फोटोग्राफ, ग्राफ़िक टेबलेट, ग्राफ़िक सॉफ्टवेयर) पर निर्भर होती हे। (1) डिजिटल कला एक समकालीन कला रूप का प्रतिनिधित्व करती है जहाँ डिजिटल तकनीक सृजन के लिए प्राथमिक उपकरण के रूप में कार्य करती है। यह रूप कंप्यूटर-आधारित तकनीक के माध्यम से विभिन्न डिज़ाइनों के उत्पादन की सुविधा प्रदान है। पारंपरिक तरीकों के विपरीत, डिजिटल कला कलाकृतियों को तैयार करने के लिए कलाकार आधुनिक तकनीक का प्रयोग करता है, जिसमें कंप्यूटर ग्राफ़िक्स, एनीमेशन, वर्चुअल आर्ट और इंटरेक्टिव आर्ट जैसे क्षेत्र शामिल हैं। डिजिटल कला का दायरा और परिभाषा तेज़ी से विकसित हो रही है।

1960 के दशक में कंप्यूटर की शुरूआत ने कला में प्रौद्योगिकी की भूमिका के विस्तार को चिह्नित किया, और जैसे-जैसे प्रगति जारी रही, कलाकारों ने नए रचनात्मक रास्ते तलाशने के लिए इन उपकरणों का उपयोग करना शुरू कर दिया, जिससे कला को नए आयाम मिले। इंटरनेट के उदय ने इस क्षेत्र में प्रगति को और तेज़ कर दिया। आज, कई वेबसाईट्स विविध डिज़ाइन और टेम्पलेट को प्रदर्शित करती हैं, जिनमें एनीमेशन भी शामिल होता है, साथ ही आसान सृजन और साझा करने की अतिरिक्त सुविधा भी होती है।

डिजिटल आर्ट के प्रकार :

डिजिटल पेंटिंग: डिजिटल पेंटिंग में कलाकार ग्राफिक टैबलेट, स्टाइलस और पेंटिंग सॉफ्टवेयर (जैसे एडोब फोटोशॉप, कोरल पेंटर) का उपयोग करके चित्र बनाते हैं। यह विधा पारंपरिक पेंटिंग की तरह ही है, लेकिन इसमें रंग, ब्रश और बनावट को डिजिटल रूप से नियंत्रित किया जाता है।

डिजिटल फोटोग्राफी: डिजिटल फोटोग्राफी में डिजिटल कैमरों का उपयोग करके तस्वीरें ली जाती हैं। इन तस्वीरों को संपादित करने के लिए फोटोशॉप और एडोब लाइटरूम जैसे सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाता है, जिससे तस्वीरों को बेहतर बनाने और विशेष प्रभाव जोड़ने या किसी हिस्से को हटाने की सुविधा मिलती है।

डिजिटल मूर्तिकला: डिजिटल मूर्तिकला में 3D मॉडलिंग सॉफ्टवेयर (जैसे ब्लेंडर, ज़ी ब्रश, माया) आदि का उपयोग करके त्रि-आयामी आकृतियाँ बनाई जाती हैं। इन आकृतियों को बाद में 3D प्रिंटिंग तकनीक के माध्यम से वास्तविक रूप दिया जा सकता है।

विज़ुअल इफ़ेक्ट: फ़िल्मों और टीवी शो में विज़ुअल इफ़ेक्ट का उपयोग करके अनोखे दृष्टि भ्रम उत्पन्न किये जाते हैं। इसके लिए कंप्यूटर-जनरेटेड इमेजरी (CGI) और अन्य डिजिटल तकनीकों का उपयोग किया जाता है।

एनिमेशन: डिजिटल एनिमेशन 2D और 3D सॉफ़्टवेयर (जैसे टून बूम, माया, ब्लेंडर) का उपयोग करके गतिशील चित्र बनाता है। इस शैली का व्यापक रूप से फिल्मों, टीवी शो और वीडियो गेम में उपयोग किया जाता है।

इंटरएक्टिव आर्ट: इंटरएक्टिव आर्ट में दर्शक और कला के बीच बातचीत शामिल होती है। इसमें इंस्टॉलेशन आर्ट, डिजिटल म्यूज़ियम प्रदर्शनी और वर्चुअल रियलिटी का उपयोग किया जाता है, जिससे दर्शक सीधे कला से जुड़ सकता है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का परिचय : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग दो प्रमुख तकनीकें हैं, जो कंप्यूटर को सोचने, सीखने और निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करती हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में हो रहा है, जैसे कि स्वास्थ्य सेवा, वित्त, शिक्षा, और अब डिजिटल कला में भी उपयोग कीया जा रहा हैं। ये तकनीकें न केवल कलाकारों को उनकी रचनात्मकता को नए स्तर तक ले जाने में मदद करती हैं, बल्कि कला के निर्माण, प्रदर्शनी और विपणन के तरीकों को भी पुनर्परिभाषित कर रही हैं। (2)

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: “कृत्रिम बुद्धिमत्ता वह तकनीक है जो कंप्यूटर और मशीनों को मानव सीखने, समझने, समस्या समाधान, निर्णय लेने, रचनात्मकता और स्वायत्तता का अनुकरण करने में सक्षम बनाती है”।(3) एआई का उपयोग स्वचालित निर्णय लेने, डेटा की विशाल मात्रा को प्रदर्शित करने और नए प्रकार की प्रारूपण करने के लिए किया जा रहा है।

मशीन लर्निंग: मशीन लर्निंग, एआई का एक उप-भाग है, मशीन लर्निंग कृत्रिम बुद्धिमत्ता और कंप्यूटर विज्ञान की एक शाखा है जो डेटा और एल्गोरिदम का उपयोग करके एआई को मनुष्यों के सीखने के तरीके की नकल करने में सक्षम बनाती है, जिससे धीरे-धीरे इसकी सटीकता में सुधार होता है।(4)

डिजिटल कला में एआई और एम एल का उपयोग :

कला निर्माण प्रक्रियाएँ : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का उपयोग करके, कलाकार विभिन्न प्रक्रियाओं को स्वचालित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, जेनरेटिव एडवर्सरियल नेटवर्क (GAN) का उपयोग करके नई और अनूठी कलाकृतियाँ बनाई जा सकती हैं। जेनरेटिव एडवर्सरियल नेटवर्क दो नेटवर्क का उपयोग करते हैं: एक जेनरेटिव नेटवर्क जो नई छवियाँ बनाता है, और एक डिस्क्रिमिनेटिव नेटवर्क जो इन छवियों का मूल्यांकन करता है।(5) मशीन लर्निंग एल्गोरिदम पिछले डेटा से सीखता है इन्टरनेट पर उपलब्ध सूचनाओ को एकत्रित करता हे और कला निर्माण की प्रक्रिया को गति देता है। कलाकार इन एल्गोरिदम का उपयोग विभिन्न तकनीकों और कलात्मक शैलियों को अनुकरण करने के लिए करते हैं।

उदाहरण :

एआई-दा रोबोट : “

एआई-दा दुनिया की पहली अल्ट्रा-रियलिस्टिक आर्टिस्ट रोबोट है। वह अपनी आँखों में लगे कैमरों, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एल्गोरिदम और अपनी रोबोटिक भुजा का उपयोग करके चित्र बनाने और पेंटिंग करने में सक्षम है। वह एक प्रदर्शन कलाकार, डिजाइनर और कवि हैं। फरवरी 2019 में अपनी रचना के बाद से, ऐ-दा ने कला, प्रौद्योगिकी और ट्रांस-ह्यूमनिज्म के अपने अनूठे मिश्रण से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में उनकी पहली एकल प्रदर्शनी, 'अनसिक्योर्ड फ्यूचर्स' ने दर्शकों को हमारी तेजी से बदलती दुनिया पर विचार करने के लिए आमंत्रित किया।ऐ-दा की कला को तब से अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली है, दुनिया भर में उनकी प्रदर्शनियाँ आयोजित की गई हैं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के 'एआई फॉर गुड' ग्लोबल इनिशिएटिव जैसे प्रतिष्ठित स्थानों पर प्रस्तुति दी है, जहाँ उन्होंने उभरती प्रौद्योगिकियों के जटिल निहितार्थों को संबोधित किया है। उनकी विचारोत्तेजक चर्चाएँ हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स और ऑक्सफ़ोर्ड यूनियन तक भी पहुँच चुकी हैं”। (6)

चित्र-2, एडमंड डी बेलामी का पोर्ट्रेट, ला फैमिली डी बेलामी (2018) से। क्रिस्टी इमेजेज लिमिटेड के सौजन्य से

ओब्यस कला समूह : ओब्यस एक फ्रेंच कला समूह है जिसने जेनरेटिव एडवर्सरियल नेटवर्क का उपयोग करके एक पोर्ट्रेट चित्र बनाया और इसे नीलामी में बेचा। यह चित्र "एडमंड डी बेलामी का पोर्ट्रेट" है, जिसे क्रिस्टीज में $432,500 में बेचा गया था।(7) इसने मीडिया का ध्यान तब आकर्षित किया जब क्रिस्टी ने इस कलाकृति को नीलाम करने की योजना का खुलासा किया, क्योंकि यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता से निर्मित पहली कलाकृति है, जिसे क्रिस्टी इमेजेस न्यूयॉर्क नीलामी में "प्रिंट्स एंड मल्टीपल्स" बिक्री में शामिल किया जाएगा।

न्यूरल स्टाइल ट्रांसफर : न्यूरल स्टाइल ट्रांसफर एक ऐसी तकनीक है जिसमें एक छवि की शैली को दूसरी छवि में मिलाया जाता है, जबकि उसकी विषय-वस्तु बरकरार रहती है। इसमें केवल छवि की शैली विन्यास में बदलाव किया जाता है, ताकि कलाकार की छवि को कलात्मक स्पर्श दिया जा सके। कंटेंट इमेज लेआउट या स्केच का वर्णन करती है और स्टाइल पेंटिंग या रंगों का वर्णन करती है। यह इमेज प्रोसेसिंग तकनीकों और डीप कन्वोल्यूशनल न्यूरल नेटवर्क से संबंधित कंप्यूटर विज़न का एक अनुप्रयोग है। (8)
चित्र-3, न्यूरल स्टाइल ट्रान्सफर का एक उदहारण Nightcafe AI Image Generator के द्वारा कलाकार मनीष भट्ट

इंटरैक्टिव कला : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का उपयोग इंटरैक्टिव कला बनाने के लिए भी किया जाता है। उदाहरण के लिए, ChatGPT, Delle-E, DeepArt, PixVerse और DeepDream जैसी तकनीकें उपयोगकर्ताओं को उनकी स्वयं की छवियों को कलाकृतियों में बदलने की अनुमति देती हैं। ये तकनीकें एल्गोरिदम का उपयोग करके छवियों को स्टाइल ट्रांसफर के माध्यम से बदलती हैं।

चित्र-4 व्लादिमीर श्मोरल की आर्टिफिशियल और विज़ुअल कल्चर पर 44 इन/डेज चुनौती

कला की पहचान और वर्गीकरण : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का उपयोग कला की पहचान और वर्गीकरण के लिए भी किया जाता है। उदाहरण के लिए, कन्वोल्यूशनल न्यूरल नेटवर्क का उपयोग करके बड़ी मात्रा में कला के कार्यों को वर्गीकृत किया जा सकता है। यह तकनीक म्यूजियम और गैलरीज को उनकी संग्रहित कलाओं को बेहतर ढंग से व्यवस्थित करने में मदद करती है। (9)

कला संरक्षण और पुनः निर्माण में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का उपयोग : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग ने कला संरक्षण के क्षेत्र में कई नई संभावनाएँ खोली हैं। इन तकनीकों का उपयोग विभिन्न तरीकों से किया जा रहा है, जिनसे कलाओ के संरक्षण की प्रक्रिया अधिक सटीक और प्रभावी बन रही है। जिनमे कुछ ईस प्रकार है -

चित्र-5, सैमसन और डेलिलाह, एक पेंटिंग जिसके बारे में कहा जाता है कि इसे पीटर पॉल रूबेन्स ने लगभग 1609 में बनाया था।

इमेज एनालिसिस: आर्टिफिशियल आधारित इमेज रिकग्निशन और एनालिसिस टूल्स का उपयोग करके कलाकृतियों की डिजिटल स्कैनिंग की जाती है। यह तकनीक पेंटिंग या मूर्तियों में आंखों से नजर न आने वाली दरारें, रंग परिवर्तन या अन्य समस्याओं का पता लगा सकती है। इससे पहले ही किसी भी क्षति का पूर्वानुमान लगाकर उसे रोकने के उपाय किए जा सकते हैं।

“आर्ट रिकॉग्निशन नामक एक स्विस कंपनी द्वारा निर्मित एक अग्रणी एआई प्रणाली ने 2021 में सुर्खियां बटोरीं, जब उसने एक विवादित कलाकृति को प्रमाणित किया, जिसके बारे में कहा गया कि वह पीटर पॉल रूबेन्स द्वारा बनाई गई थी और यह सुझाव दिया कि लंदन की नेशनल गैलरी में सैमसन और डेलिलाह (सीए 1609) की पेंटिंग वास्तव में रूबेन्स की नहीं है”।(10)

स्वचालित रंग बहाली: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एल्गोरिदम समय के साथ पेंटिंग के फीके हुए रंगों को स्वचालित रूप से बहाल करने में मदद कर सकते हैं। पुराने चित्रों की डिजिटल प्रतियों में मूल रंगों को पुनः उत्पन्न करने के लिए मशीन लर्निंग का उपयोग किया जा सकता है। यह तकनीक पेंटिंग की मूल रंग योजना की पुनर्निर्मिति में उपयोगी साबित हो रही है।

वर्चुअल बहाली: कभी-कभी किसी कलाकृति की भौतिक बहाली कठिन हो सकती है, खासकर जब यह अत्यधिक क्षतिग्रस्त हो। ऐसे मामलों में, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से वर्चुअल बहाली की जाती है, जिसमें कलाकृति के डिजिटल संस्करण को कंप्यूटर पर बहाल किया जाता है। यह न केवल कलाकृति को उसके मूल स्वरूप में देखने की अनुमति देता है, बल्कि वास्तविक बहाली के लिए मार्गदर्शक भी प्रदान करता है।

एआई-आधारित भविष्यवाण: यह भविष्यवाणी कर सकते हैं कि किस प्रकार के पर्यावरणीय तत्व (जैसे तापमान, आर्द्रता, या प्रकाश) कला पर कैसे प्रभाव डालेंगे। इससे संग्रहालय या कला दीर्घाओं में इन कलाकृतियों के लिए बेहतर सुरक्षा उपायों का चयन किया जा सकता है।

कला संरक्षण में नैतिकता : कला संरक्षण और बहाली करते समय नैतिकता का विशेष ध्यान रखा जाता है। संरक्षण की प्रक्रिया में विशेषज्ञ इस बात का ध्यान रखते हैं कि मूल कलाकृति के साथ छेड़छाड़ न हो और किसी भी प्रकार की बहाली रिवर्सिबल हो। इसका मतलब यह है कि यदि भविष्य में नई तकनीकें या जानकारी उपलब्ध हो, तो उसे फिर से बहाल किया जा सके।

उदाहरण : रेम्ब्रांट की बेहतरीन कृतियों में से एक, कैप्टन फ्रैंस बैनिनक कोक की कमान के तहत डिस्ट्रिक्ट-2 की मिलिशिया कंपनी (जिसे द नाइट वॉच के नाम से बेहतर जाना जाता है) 1642 से, डच गोल्डन एज ​​पेंटिंग का एक बेहतरीन उदाहरण है। लेकिन कलाकार की मृत्यु के बाद पेंटिंग काफ़ी ख़राब हो गई थी, जब इसे 1715 में आर्केब्यूज़ियर्स गिल्ड हॉल में अपने मूल स्थान से एम्स्टर्डम के सिटी हॉल में ले जाया गया था। शहर के अधिकारी इसे दो दरवाज़ों के बीच एक गैलरी में रखना चाहते थे, लेकिन पेंटिंग इतनी बड़ी थी कि उसमें जगह नहीं थी। दूसरी जगह खोजने के बजाय, उन्होंने साइड से बड़े पैनल काटे और साथ ही ऊपर और नीचे से कुछ हिस्से काटे। हटाने के बाद टुकड़े खो गए। अब सदियों बाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल से पेंटिंग को पूरा किया गया है।(11)

चित्र- 6 नाइट वॉच के गायब पैनल मूल पेंटिंग से जोड़ते हुए, रिज्क्सम्यूजियम/रीनियर गेरिट्सन

डिजिटल कला में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के उपयोग से उत्पन्न चुनौतियाँ : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग द्वारा कला निर्माण में तेजी और रचनात्मकता के नए रूपों का विकास हो रहा है, लेकिन इसके साथ ही कई महत्वपूर्ण चुनौतियाँ भी सामने आ रही हैं।

रचनात्मकता की मौलिकता पर सवाल: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग से कला का निर्माण करना एक तकनीकी प्रक्रिया है, जिसमें एल्गोरिदम और डेटा के आधार पर रचनाएँ होती हैं। यह सवाल उठता है कि क्या यह कला उतनी ही मौलिक और सजीव है जितनी किसी मानव द्वारा बनाई गई कलाकृति। इंसान की कला में भावनाएँ, अनुभव और व्यक्तिगत दृष्टिकोण झलकता है, जबकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के द्वारा बनाई गई कला गणितीय पैटर्न और एल्गोरिदम पर आधारित होती है। ऐसे में, क्या यह कला का सही प्रतिनिधित्व है या मात्र एक तकनीकी आउटपुट?

कला के उद्देश्य पर भी प्रश्नचिन्ह है कि अगर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा बनाई गई कला में भावनाओं और मानवीय अनुभवों की कमी है, तो क्या इसे वैसा ही महत्व दिया जा सकता है?

साथ ही इसके रचनात्मकता के स्वामित्व को लेकर भी संशय हे की एक कलाकार इन प्रोद्योगिकीयों का उपयोग करके कला बनाता है, तो इस रचना का वास्तविक स्वामी कौन है? कलाकार या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एल्गोरिदम निर्माता? यह एक बड़ा नैतिक प्रश्न है।

कलाकारों के लिए रोजगार का संकट : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा कला निर्माण की प्रक्रिया में तेजी आई है, जिससे पारंपरिक कलाकारों के रोजगार के अवसर कम हो सकते हैं। कई कला गैलरी और डिज़ाइन स्टूडियो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जनरेटेड कला को प्राथमिकता दे सकते हैं क्योंकि यह सस्ता और तेज़ होता है। इससे कला निर्माण की लागत कम होती है, और एक ही समय में बड़ी मात्रा में कला का उत्पादन किया जा सकता है, जिससे पारंपरिक कलाकारों के लिए प्रतिस्पर्धा कठिन हो जाती है।

एथिक्स और नैतिकता के सवाल : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित कला निर्माण में कई नैतिक चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं। इसके द्वारा बनाई गई कला में यह तय करना कठिन हो सकता है कि इसका असली रचनाकार कौन है। साथ ही, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल्स के इस्तेमाल से कला के मूल रूप को लेकर विवाद हो सकता है, क्योंकि यह पुराने डेटा और डिज़ाइनों से नई रचनाएँ तैयार करता है। is प्रकार के कला मॉडल्स को कई बार अन्य कलाकारों की रचनाओं पर प्रशिक्षित किया जाता है। इससे उन कलाकारों के अधिकारों पर आघात हो सकता है, जिनकी कला का उपयोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को प्रशिक्षित करने के लिए किया गया है। यदि इसके द्वारा बनाई गई कला आपत्तिजनक या भेदभावपूर्ण होती है, तो उसकी नैतिक जिम्मेदारी किसकी होगी – कलाकार की, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस डेवलपर की या एल्गोरिदम की?

तकनीकी सीमाएँ : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित कला निर्माण में तकनीकी सीमाएँ भी आती हैं। यह मॉडल्स इंसानी अनुभवों, भावनाओं, और दृष्टिकोण को पूरी तरह से समझ नहीं सकते, जिसके कारण उनकी कला में मानवीय गहराई की कमी हो सकती है। साथ ही, मशीन लर्निंग मॉडल्स अभी भी कुछ हद तक सीमित होते हैं उनमे भावनात्मक गहराई की कमी होती हे, जिससे मशीनें इंसान की तरह जटिल भावनाएँ व्यक्त नहीं कर सकतीं। यह डिजिटल कला में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा बनाई गई रचनाओं को यांत्रिक और निर्जीव बना सकता है। वही कलाकार अक्सर अपनी कला में नए प्रयोग करते हैं और रचनात्मक जोखिम उठाते हैं। वही एल्गोरिदम उन रचनात्मक जोखिमों को नहीं समझ सकते, क्योंकि वे पुराने डेटा पर आधारित होते हैं और उनका काम पैटर्न पर आधारित होता है।

डेटा और पूर्वाग्रह : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग मॉडल्स की क्षमता पूरी तरह से उस डेटा पर निर्भर करती है जिससे उन्हें प्रशिक्षित किया गया है। यदि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को बायस्ड डेटा पर प्रशिक्षित किया गया है, तो वह पूर्वाग्रह को दोहराने वाली रचनाएँ तैयार कर सकता है। यह कला की गुणवत्ता और निष्पक्षता को प्रभावित कर सकता है। यदि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल को एक खास सांस्कृतिक, सामाजिक, या ऐतिहासिक दृष्टिकोण से प्रशिक्षित किया गया है, तो उसकी कला एकतरफा हो सकती है और अन्य दृष्टिकोणों को नज़रअंदाज कर सकती है।

कानूनी और बौद्धिक संपदा से जुड़े मुद्दे : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा निर्मित कला के साथ कानूनी मुद्दे भी जुड़ते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जनरेटेड कला में स्वामित्व और बौद्धिक संपदा अधिकारों को लेकर प्रश्न उठते हैं। उदाहरण के लिए, अगर यह प्रोद्योगिकी किसी कलाकार के काम से प्रेरणा लेकर एक नई रचना बनाता है, तो क्या यह नया काम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का होगा, या उस कलाकार का जिसने इसको प्रशिक्षित किया? कानूनों को यह तय करने में कठिनाई हो सकती है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा बनाई गई कलाकृति पर किसका अधिकार होगा। क्या कलाकार को इसका पूरा क्रेडिट दिया जाएगा या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल के निर्माता को? साथ ही यदि यह किसी कलाकार के स्टाइल या कार्य को कॉपी करता है, तो यह कॉपीराइट उल्लंघन हो सकता है। इस तरह के मामले कई कानूनी विवादों का कारण बन सकते हैं।

निष्कर्ष : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का उपयोग डिजिटल कला में नए अवसर और चुनौतियाँ लेकर आया है। यह कलाकारों को नए तरीकों से अपनी रचनात्मकता को व्यक्त करने की अनुमति दे रही हैं। डिजिटल कला में इसके उपयोग ने न केवल कला निर्माण की प्रक्रिया को बदल दिया है, बल्कि कला की समझ, परिभाषा और अनुभव को भी नया रूप दिया है। यह तकनीकें कला के निर्माण को स्वचालित बनाने, इंटरैक्टिव अनुभवों को बढ़ावा देने और कला के नए रूपों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। इसका उपयोग कला की पहचान और वर्गीकरण के साथ-साथ नई संभावनाओं के द्वार खोलता है, जो न केवल कलाकारों के लिए बल्कि दर्शकों के लिए भी कला के साथ जुड़ने के नए तरीके प्रस्तुत करता है। इसके द्वारा कला की पहचान, वर्गीकरण और इंटरैक्टिव अनुभवों के निर्माण में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन हो रहे हैं।

इस शोध में यह स्पष्ट हुआ कि डिजिटल कला में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के उपयोग से नवाचार के नए अवसर उत्पन्न हो रहे हैं। हालांकि, इन तकनीकों के कारण स्वामित्व, कॉपीराइट और कला की सच्चाई पर उठने वाले प्रश्नों का सामना भी करना पड़ रहा है, जो इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण नैतिक और कानूनी मुद्दों को उजागर करता है।

अंततः, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का डिजिटल कला में उपयोग अत्यधिक प्रभावी और भविष्य में और भी व्यापक होने की संभावना रखता है। इसके साथ ही, ये तकनीकें डिजिटल कला के विकास को एक नए स्तर पर ले जाने में सक्षम हैं, जबकि उनके उपयोग के साथ उत्पन्न होने वाली चुनौतियों से भी निपटने की आवश्यकता होगी। भविष्य में इन तकनीकों के माध्यम से कला की परिभाषा और उसकी संरचना में और भी अधिक बदलाव की संभावना है।

सन्दर्भ :
1. डॉ. कृष्णा महावर, नविन कला प्रवृत्तियाँ, राजस्थान हिंदी ग्रन्थ अकादमी, जयपुर 2019 पृष्ठ सं. 66

रितेश जोशी
सहायक आचार्य, चित्रकला विभाग, प्रभाशंकर पंड्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय परतापुर, बाँसवाड़ा
riteshriti12@gmail.com, +91 9460793927

मनीष कुमार भट्ट
शोधार्थी, चित्रकला विभाग, गोविन्द गुरु विश्वविद्यालय,बाँसवाड़ा
mannbhatt86@gmail.com, +917665986377, 7976618011

 

दृश्यकला विशेषांक
अतिथि सम्पादक  तनुजा सिंह एवं संदीप कुमार मेघवाल
चित्तौड़गढ़ (राजस्थान) से प्रकाशित पत्रिका 
  अपनी माटी (ISSN 2322-0724 Apni Maati) अंक-55, अक्टूबर, 2024 UGC CARE Approved Journal

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