आगामी अंक/ Call For Papers


प्रत्येक वर्ष चार अंक छपते हैं
(प्रति अंक : 40 रचनाएं)
  • पहला अंक 
    • आलेख आमंत्रित : 1-15 May
    • स्वीकृति-अस्वीकृति सूचना : 30 June
    • आलेख प्रकाशन तिथि : 30 June
    • अंक प्रकाशन दिनांक : 31 July
  • दूसरा अंक
    • आलेख आमंत्रित : 1-15 August
    • स्वीकृति-अस्वीकृति सूचना : 30 September
    • आलेख प्रकाशन तिथि : 30 September
    • अंक प्रकाशन दिनांक :  31 October
  • तीसरा अंक
    • आलेख आमंत्रित : 1-15 November
    • स्वीकृति-अस्वीकृति सूचना : 31 December
    • आलेख प्रकाशन तिथि : 31 December
    • अंक प्रकाशन दिनांक : 31 January
  • चौथा अंक
    • आलेख आमंत्रित : 1-15 February
    • स्वीकृति-अस्वीकृति सूचना : 31 March
    • आलेख प्रकाशन तिथि : 31 March
    • अंक प्रकाशन दिनांक : 30 April
  • इसके पहले और बाद में भेजे गए आलेख के ईमेल अपने आप डिलीट माने लीजिएगा। स्वीकृति/अस्वीकृति की जानकारी केवल ईमेल पर ही देते हैं। स्वीकृत रचनाएँ पोर्टल पर सूची में देख सकते हैं। अस्वीकृत रचनाओं के बारे में हम कोई स्पष्टीकरण नहीं देते हैं और रिव्यू बोर्ड के निर्णय सार्वजनिक नहीं किए जाते हैं उनके लिए हमें न लिखें। ज्यादा जानकारी के लिए पत्रिका की वेबसाईट https://www.apnimaati.com/p/free-advertisement-scheme.html देखिएगा। शोध आलेख से जुड़ी हमारी एक नियमावली https://www.apnimaati.com/p/infoapnimaati.html है उसे देखकर ही आलेख भेजें ताकि प्रकाशित होने के अवसर बढ़ सकें। 
                                                                        

हमारी रूचि कथेतर में है और उनसे जुड़े कॉलम के लिए आपकी रचनाओं का स्वागत है
  1. 'नदी के नाम लम्बी चिट्ठी' : यह 'अपनी माटी' का नया कॉलम है जिसमें आपको भावुक होने का पूरा मौका मिलेगा। आप अपनी पसंद या संगत की 'नदी' को अपने समस्त विचार व्यक्त करते हुए एक चिट्ठी लिख सकते हैं जिसमें अतीत-राग, अतीत-बोध, अतीत-मोह सहित वर्तमान के संकट और सांस्कृतिक वैभव को आप बहुत दिली अंदाज़ में उकेर सकें। भारतीय परिदृश्य में पर्यावरणीय नज़रिए से भी नदियों को संबोधित करते हुए माफ़ी मांगने की ज़रूरत है। हमारे देश में नदियों के किनारे समृद्ध शहरों की गौरवमयी संस्कृति आज भी जीवंत है, उसे लिखने का एक ख़ास अवसर इसमें आपको मिल सकेगा। संभव हो कि आपके अपने शहर में कोई नदी बहती हो या फिर नदी वाले शहर में आपका लंबा प्रवास रहा हो। नदियाँ हमारी परम्परा में बेहद आत्मीयता से पूजी जाती रही हैं मगर वक़्त के साथ देखने में आ रहा है कि उनकी स्थितियां बदतर होती जा रही हैं। यात्रा साहित्य सहित कथा-कविता में नदियों का भरपूर ज़िक्र होता रहा है फिर भी यह कॉलम किसी नदी विशेष को अपने मन की बात कहने का नया स्पेस दे रहा है। शब्द सीमा न्यूनतम 2500 रहेगी। 
  2. 'शहर : जैसा मैंने जाना' : 'अपनी माटी' पत्रिका में आरम्भ हुआ यह एक नया कॉलम है जिसमें आप अपने शहर को बहुत करीबी अंदाज़ में महसूसते हुए लिख सकते हैं। हर शहर के बसने और बने रहने का एक विशिष्ट अंदाज़ होता है। बनावट से लेकर बुनावट तक। आपकी स्मृतियों में शहर कैसे बड़ा हुआ उसे चित्रित करने के नाम रहेगा यह कॉलम। इतिहास से शुरू करते हुए आज तक की यात्रा। यह आपका वर्तमान शहर हो तो बढ़िया नहीं तो बीते वक़्त की यादों के सहारे भी किसी शहर को आप स्मरण कर सकते हैं। अपने ही दिल के टुकड़े किसी शहर की सड़कों, इमारतों और आयोजनों को लाड़ करने का यह विलग तरीका हमने संजोया है। 'शहरनामा' अब कई पत्रिकाओं में आरम्भ हो चुका है।  किसी नगर को चूमने का यह अंदाज़ जुदा साबित हो सकता है। वहाँ का खानपान, हलवाई गली से लेकर गाली-गलोज तक। शहर विशेष में कुछ तो जादू होता है जिसके कारण हम उसे छोड़कर कहीं जाना नहीं चाहते हैं। कुछ दिनों के बिछोह के बाद ही तुरत-फुरत में लौटने का जी करता है। यात्राओं के दौरान परिचय देते हुए हमें अपने शहर का नाम लेते हुए न्यारी अनुभूति के साथ फ़क्र होता है। कभी वहां की साहित्यिक मंडलियाँ लोकप्रिय होती हैं तो कभी रंगमंच और सांस्कृतिक समारोह की कोई श्रृंखला शहर को नई पहचान दे जाती है। कथेतर गद्य के इस कॉलम में आपका स्वागत है। शब्द सीमा न्यूनतम 2500 रहेगी। 
  3. 'गाँव-गुवाड़' : गाँव की खोज-ख़बर वाले इस कॉलम में आप अपने गाँव की असल तस्वीर डायरी वाले अंदाज़ में लिख सकें तो आपका स्वागत है।  यह सब संस्मरण जैसा लेखन होगा। खेतीबाड़ी के बीच संकटभरा जीवन और विकास से बहुत दूर साँस लेता देहात यहाँ वर्णन के केंद्र में रहे तो बेहतर रहेगा। गाँव की स्टीरियो टाइप इमेज से अलग वहां की सचाई आपकी कलम के मार्फ़त सामने आ सके तो ऐसे यथार्थ के प्रति झुकाव वाले लेखकों का यहाँ स्वागत है। विश्व में गुम होता गाँव हमारी चिंता का विषय है वहीं वैचारिक प्रदुषण की मार झेलते गाँव की मनोदशा सामने लाना एक बड़ा उद्देश्य है। 'ग्लोबल विलेज' के वक़्त में क्या अब तक वहां कुछ बचा है जिसे आधुनिकता नाम की हवा न लगी हो क्षेत्र-विशेष की बोली, गीत, गाथाएं और पहनावा जैसा कुछ शेष हो तो उसे लिखा जा सकता है। तीज-त्यौहार पर मनोयोग से मनाई जाती परम्पराएं भी यहाँ साझा कर सकते हैं। हथाई और रतजगे में गप लड़ाने का आनंद भी यहाँ समा सकें तो कितना बढ़िया हो। कथेतर गद्य के इस कॉलम में आपका स्वागत है। शब्द सीमा न्यूनतम 2500 रहेगी। 
  4. 'केम्पस के किस्से' : 'अपनी माटी' ई-पत्रिका के इस कॉलम में यदि आप में से कोई युवा साथी जो देश की विभिन्न यूनिवर्सिटी में से किसी में वर्तमान में पढ़ता हो या कभी पढ़ा हो और जो वहाँ के कल्चर को आत्मकथात्मक शैली में खुलकर लिखना चाहता हो, उनका स्वागत है। कथेतर गद्य को प्राथमिकता देने के क्रम में युवाओं को मौका देना हमारा ख़ास मकसद है। यदि आपके मिलने वालों में कोई इस तरह के विषय को भाषा में गूंथ सकता है तो सम्पर्क करने को कहिएगा। यहाँ न्यूनतम लगभग 2500 शब्द-सीमा में अपनी रचना भेजनी होगी जो यूनिकोड फॉण्ट में हो। अपने किस्सों के साथ चयनित पांच चित्र भी भेज सकें तो बेहतर रहेगा। यहाँ आप अपने अध्ययन, अध्यापन, गुरु-विद्यार्थी सम्बन्ध, होस्टल लाइफ, गपबाजी, उत्सव, आयोजन, वैचारिकी आन्दोलन, केंटिन की अड्डेबाजी, बातों के रतजगे आदि को केंद्र में रखकर लिख सकते हैं। साथ ही यहाँ से दुनिया आपको कैसी दिखती है और यहाँ आने से पहले दुनिया कैसी थी, को भी लिखा जा सकता है। डूबकर लिखना है और भरपूर आत्मीय होकर ही लिखा जाए तो बेहतर रहेगा। सार्थक संवाद की आस में आपके लेखन का इंतज़ार शुरू हो चुका है। युवामन को अभिव्यक्ति देने के मानस से यह कॉलम शुरू किया गया है। उच्च शिक्षा में विद्यार्थियों के पास बहुत कुछ अनकहा शेष है। वर्तमान को समझने में 'जी-जेन' पीढ़ी और 'एआई' के दौर में विचारों के साथ दिनचर्या में भारी बदलाव आ रहे हैं। इन्हीं सब के बीच गुरु-शिष्य संबंधों में कितना परिवर्तन आया है, इस कॉलम के मार्फ़त सामने आ सके तो कितना अच्छा रहेगा। पाठकों ने अब तक इस कॉलम की प्रकाशित किस्तों को खूब सराहा है। 
  5. 'अध्यापक के अनुभव' : इस कॉलम में अध्यापन के अनुभव या आत्मकथ्य प्रकाशित करेंगे जिसमें कोई भी अध्यापक या प्रोफेसर अपनी अनुभूति लिख भेज सकता है। हालांकि वर्तमान की चीरफाड़ करके लिखना तनिक मुश्किल और साहसभरा काम है हमारा मानना है कि शिक्षा के माध्यम से ही जागृति संभव है। देश के सुदूर इलाकों में कई अध्यापक न्यारे ढंग से कामकाज कर रहे हैं और उनके अनुभव बहुत सघन और बिरले होते हैं। उन्हें यहाँ अपनी बात रखने का एक मौका उपलब्ध रहेगा। बहुत साफगोई के साथ यहाँ लेखन और प्रकाशन की गुंजाइश रखी है। अगर संभव हो तो आप भी कोशिश करिएगा या फिर अपने किसी अध्यापक मित्र को कहें जो अपनी बीती हुई बातें यहाँ लिखना चाहें। विद्यालय और कहीं-कहीं कॉलेज शिक्षा में  बहुत अलग-अलग तरीकों से अलख जगाने की ख़बरें हम सुनते रहे हैं। ऐसे ही मिशनरी भाव के साथ कार्यरत माड़साब के लिए यह कॉलम शुरू किया है। शब्द सीमा न्यूनतम 2500 रहेगी। इस कॉलम में हमारे साथी डॉ. मोहम्मद हुसैन डायर के किस्से आप पढ़कर इसकी ज़रूरत का अंदाज़ा लगा सकते हैं। अध्यापन जैसी आवश्यक वृत्ति को हमने बहुत सामान्य और नौकरी टाइप मानकर उसके प्रति उदासीन रवैया अपनाया है। देशभर में पनपे 'ट्यूशन-कल्चर' और 'कोचिंग-व्यापार' जैसी सचाई के बीच गंभीर और पठन-प्रिय अध्यापकों का अपना मान बना हुआ है। देश में कहीं भी हो रहा सृजन दूजों को प्रेरित करेगा इसी भाव के साथ आप लिखने के लिए आगे आएं। 
  6. 'गुलमोहर के फूल' और 'चीकू के बीज' : यह कॉलम हमने स्कूली विद्यार्थियों की डायरियों के प्रकाशन हेतु आरम्भ किया है। देखा गया है कि सभी का अपना-अपना सच होता है जो कई बार बहुत वर्षों बाद सामने आ पाता है। तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। यहाँ बच्चे अपने आसपास के यथार्थ को स्पष्टता से और छद्मनाम के साथ लिख सकेंगे। किशोरावस्था वाले यहाँ अपने मन का कह-लिख सकेंगे। बालमन को समझने में हमारे पाठकों को भी मदद मिल सकेगी। माता-पिता और शिक्षकों से बात-बात में बहस करने वाली वह पीढ़ी जो तर्क को केंद्र में रखती है, के लिए यह कॉलम है। बच्चे जिनके मन में वर्तमान समाज और परिवेश को जानने के क्रम में बहुत सारे अनुत्तरित प्रश्न हैं। खेल के मैदान से लेकर कक्षा-कक्षों में उनके साथ होता हुआ भेदभाव भी लिखने को उकसाता होगा। एकाकीपन से उपजी ऊब और घनघोर विचारों के बीच के द्वंद्व को यहाँ लिखा जा सकता है। मन की भड़ास निकालने का एक ख़ास अवसर मानकर ही लिख लीजिएगा। कोई गलत कदम उठाएं इससे पहले अपनी पीड़ा यहाँ कह दीजिएगा। अपना संघर्ष और निराशा यहाँ साझा करें। कोई खुशी विशेष या अनूठी अनुभूति सभी के बीच लिखकर प्रसन्न होइएगा। आपकी जानकारी में कोई बाल-लेखक हो तो इस कॉलम के बारे में उन्हें बताएं। मौजूदा शिक्षा प्रणाली के प्रति कोई विरोध हो तो उसे दर्ज कराएं। देश और समाज की बेहतरी हेतु कोई आइडिया हो तो वह भी यहाँ लिखा जा सकता है। हमारे सह-संपादक साथी डॉ. मोहम्मद हुसैन डायर इस कॉलम को देख रहे हैं। न्यूनतम शब्द सीमा 1000 रहेगी। 
  7. चित्रकार साथियों के लिए : हमारी ई-पत्रिका में एक अवसर है जहाँ आप चित्रकार साथी अपनी पेंटिंग्स के चित्र प्रदर्शित कर सकते हैं। हमारे त्रैमासिक अंक में हर बार हम एक चित्रकार की लगभग 60 पेंटिंग्स को प्रकाशित करते हैं। आपको हमें अपना बायो डेटा/प्रोफाइल, फोटो और चयनित दस चित्र पहले हमारे सह-सम्पादक डॉ. संदीप कुमार मेघवाल को sandeepart01@gmail.com ई-मेल द्वारा भेजने होते हैं। हमारा बोर्ड उनका चयन करके आपको चयन की सूचना देता है तो आपको 60 फोटो भेजने होते हैं। सामान्यतया हम अमूर्त चित्र छापते हैं। आए हुए चित्रों को हम हमारे प्रकाशित होने वाले अंक में छापते हैं। चित्र अच्छे और बड़े पिक्स़ल में भेजें। अंक में प्रत्येक चित्र के साथ आपकी कोंटेक्ट डिटेल्स छापते हैं ताकि लोग सीधे आपसे संपर्क कर सकें। इस बाबत हम आपको 1000/- रुपए का आर्थिक मानदेय दे पाएँगे। यही अवसर सृजनधर्मी फोटोग्राफर के लिए भी उपलब्ध हैं पत्रिका के पोर्टल पर आप पूर्व में प्रकाशित चित्र देखकर एक अंदाज़ लगा सकते हैं। हमारे पाठकों तक आपके चित्रों की पहुँच तेज़ी से ग्लोबल हो सकेगी ऐसा हमारा मानना है
  8. फ़िल्म/ पुस्तक समीक्षा : केवल एक वर्ष पुरानी प्रकाशित और प्रसारित कृति की समीक्षा ही भेजिएगा। वह भी पहले संपादक मंडल से बात करके ही भेजें तो छपने के अवसर बढ़ेंगे
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