शोध आलेख : कंक्रीट-पिक्टोरियल-एब्सट्रैक्ट आधारित शिक्षण मॉड्यूल का विद्यार्थियों पर प्रभाव / मनीष कुमार गौतम

कंक्रीट-पिक्टोरियल-एब्सट्रैक्ट आधारित शिक्षण मॉड्यूल का विद्यार्थियों पर प्रभाव
- मनीष कुमार गौतम

शोध सार : इस शोध पत्र में उच्च प्राथमिक स्तर के विद्यार्थियों की गणित में उपलब्धि और गणितीय दुश्चिंता पर कंक्रीट-पिक्टोरियल-एब्सट्रैक्ट (सीपीए) आधारित शिक्षण-अधिगम मॉड्यूल के प्रभाव की जांच को प्रस्तुत किया गया है। यह सीपीए मॉड्यूल एनसीईआरटी की कक्षा 6 के गणित विषय के पाठ्यक्रम पर आधारित है, जिसके प्रभावशीलता के अध्ययन हेतु द्वि-समूह पूर्व-परीक्षण और पश्च-परीक्षण गैर-समकक्ष अर्ध-प्रयोगात्मक शोध प्रविधि का उपयोग किया गया। न्यायदर्श के रूप में चयनित कक्षा 6 के 30-30 विद्यार्थियों को प्रयोगात्मक और नियंत्रित दो समूहों में यादृछिक रूप से विभाजित किया गया। गणितीय उपलब्धि प्रश्नावली एवं गणितीय दुश्चिंता मापनी पर प्राप्त प्रदत्तों का विश्लेषण एक मार्गीय सहप्रसरण विश्लेषण विधि द्वारा किया गया। सहप्रसरण विश्लेषण परीक्षण के परिणाम यह दर्शातें हैं की कंक्रीट-पिक्टोरियल-एब्सट्रैक्ट (सीपीए) उपागम आधारित शिक्षण-अधिगम मॉड्यूल कक्षा 6वीं के विद्यार्थियों की गणित में उपलब्धि बढ़ाने में प्रभावी है। साथ यह उपागम कक्षा 6वीं के विद्यार्थियों की गणितीय दुश्चिंता को कम करने में सार्थक रूप से प्रभावी है। अत: गणित शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया पाठ्यवस्तु को विद्यार्थियों के सम्मुख कंक्रीट-पिक्टोरियल-एब्सट्रैक्ट की श्रृंखला में प्रस्तुत करने से उनके अभिवृत्ति एवं उपलब्धि दोनों में सकारात्मक परिवर्तन होता है। स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा-2023 (पृष्ठ 269-71) भी विद्यार्थियों में गणितीय चिन्तन के विकास एवं गणित के प्रति डर को हटाने हेतु उनके सम्मुख गणितीय संकल्पनाओं को एक तार्किक क्रम, जिसमें मूर्त से अमूर्त रूप, में प्रस्तुत करने की संस्तुति करता है।

बीज शब्द : कंक्रीट-पिक्टोरियल-एब्सट्रैक्ट (सीपीए) आधारित शिक्षण-अधिगम मॉड्यूल, गणित में उपलब्धि, गणितीय दुश्चिंता, उच्च प्राथमिक स्तर के विद्यार्थी, गणित शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया, गणितीय संकल्पना, गणित के प्रति डर।

मूल आलेख : किसी राष्ट्र में आधुनिकता और विकास की भावना सामान्यतः बच्चों की शिक्षा में निवेश की मात्रा में परिलक्षित होती है। विकसित राष्ट्र निर्माण हेतु गणितीय रूप से साक्षर समाज और एक मजबूत गणितीय अभिजात वर्ग की आशा करते हैं जो 21वीं सदी की ज्ञान अर्थव्यवस्था को आकार दे सके। भारत में सामाजिक असमानताएं और दयनीय संसाधन युक्त प्राम्भिक विद्यालय, अधिक क्षमतायुक्त गणित शिक्षक की आवश्यकता पर जोर देती है, जो व्यावसायिक रूप से अधिक सबल, शिक्षणशास्त्र में विविधतायुक्त हो। एनसीईआरटी (2023, पृष्ठ 268) ने गणित शिक्षा को विद्यार्थियों में तार्किक सोच, पैटर्न खोजने, समझाने की क्षमता विकसित करना, साथ ही नये पैटर्न का निर्माण करना, परिकल्पनाओं का खंडन और उन्हें सिद्ध करना, समस्या हल करना, धाराप्रवाह गणना करना, स्पष्ट और सटीक संप्रेषण करने की क्षमता के विकास करने वाले विषय के रूप में रेखांकित किया है। पाठ्यचर्या की रूपरेखा इस बात की वकालत भी करती है की गणित को केवल गणना और यांत्रिक के रूप में न देखा जाये, वरन विद्यालयों में गणित शिक्षा को इस भावना का पोषण करना चाहिए की सभी विद्यार्थियों में खुशी, जिज्ञासा, सौंदर्यशास्त्र, और रचनात्मकता का निर्माण हो। इन क्षमताओं के विकास हेतु विद्यालयी शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (2023), विद्यालयों में शिक्षणशास्त्रीय उपागमों में भी आमूलचूल परिवर्तन का सुझाव देता है। सर्वप्रथम विद्यार्थियों को गणितीय अवधारणा को मूर्त रूप में प्रस्तुत करना चाहिए और भाषा के उपयोग करके उनके मूर्त अनुभवों पर उन्हें चिन्तन का अवसर प्रदान करना चाहिए, इस चर्चा का उपयोग उस अवधारणा को चित्रों या रेखाचित्रों के रूप में प्रदर्शित करने में करना चाहिए। और अंत में इन चित्रों को उन अमूर्त प्रतीकों में परिवर्तित किया जा सकता है जिनका उपयोग उस विशेष अवधारणा को गणितीय चिन्तन के रूप में विद्यार्थी प्रदर्शित कर सकें (एनसीईआरटी, 2023, पृष्ठ 284-85)। असर 2022 और असर 2018 के आंकड़ों की तुलना करने पर, हम देख सकते हैं कि वास्तव में पढ़ने और अंकगणित जैसे बुनियादी कौशल के लिए भी सीखने के स्तर में गिरावट आई है। दिलचस्प बात यह है कि अंकगणित के स्तर में गिरावट पढ़ने में होने वाले नुकसान से ज्यादा कम है, निचली कक्षा के बच्चों को बड़े बच्चों की तुलना में अधिक नुकसान हुआ है। राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण - 2021 में गणितीय उपलब्धि में कम औसत (500 अंकों में, कक्षा पांच में 280, कक्षा आठ में 255 तथा कक्षा 10 में मात्र 220) प्राप्तांक इंगित करता है कि विद्यार्थियों का गणित में प्रदर्शन और प्रतिधारण स्तर कम है (शिक्षा मंत्रालय, 2021)। गणित के प्रति विद्यार्थियों का सकारात्मक दृष्टिकोण गणित कक्षा में उनके अनुभवों से नियंत्रित होता है। जितना अधिक वे अपने सीखने के अनुभव का अनुप्रयोग करेंगे, उतना ही अधिक उनमें सकारात्मक दृष्टिकोण आएगा। इस प्रकार, विद्यार्थियों को उनके दृष्टिकोण पर सकारात्मक प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए उन्हें दिए गए प्रत्येक विषय पर सार्थक अनुभव दिया जाना चाहिए। पिछले कुछ वर्षों में कई अध्ययनों से पता चला है कि लोगों का गणित के प्रति बेहद नकारात्मक रवैया है, जो कभी-कभी गंभीर दुश्चिंता का कारण बन जाता है (मैलोनी और बीलॉक, 2012)। गणितीय दुश्चिंता को "तनाव और चिंता की भावना के रूप में परिभाषित किया गया है जो संख्याओं के हेरफेर और सामान्य जीवन और शैक्षणिक स्थितियों में गणितीय समस्याओं को हल करने में हस्तक्षेप करती है" (रिचर्डसन और सुइन, 1972)। रिचर्डसन और सुइन (1972) आगे बताते हैं की गणितीय दुश्चिंता और वास्तविक प्रदर्शन के बीच नकारात्मक संबंध का एक संभावित कारण यह है कि जिन लोगों में गणितीय दुश्चिंता का स्तर अधिक होता है, वे गणित से जुड़ी गतिविधियों और स्थितियों से बचने की अधिक संभावना रखते हैं।

कंक्रीट-पिक्टोरियल-एब्सट्रैक्ट (सीपीए) उपागम ब्रूनर (1966, पृष्ठ 10) के शोध पर आधारित है, जिन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पूर्ण संकल्पना की समझ के लिए, विद्यार्थी अपने “अनुभवों को दुनिया के एक मॉडल में" तीन अलग-अलग तरीकों से अनुवाद करते हैं – सक्रिय (enactive), प्रतिष्ठित (iconic) और प्रतीकात्मक (symbolic), वह इन्हें तीन प्रदर्शित करने के तरीकों के रूप में संदर्भित करता है जिसमें जानकारी को स्मृति में संग्रहीत और कूटलेखन (एन्कोड) किया जाता है। सक्रिय मोड़ प्रदर्शन में "क्रिया-आधारित जानकारी" को कूटलेखन (एन्कोड) करना सम्मिलित करता है, जबकि संग्रहीत दृश्यमान रूप में सूचना, प्रतिष्ठित (iconic) मोड के दौरान चित्रों के रूप प्रदर्शित होती है। अंत में, प्रदर्शन करने का प्रतीकात्मक तरीका प्राप्त होने पर जानकारी को कोड या प्रतीक के रूप में संग्रहीत किया जाता है। ब्रूनर का मानना ​​है कि बहुत कम उम्र का शिक्षार्थी भी किसी भी सामग्री को सीखने तब सक्षम हो जाता है, जब उसे निर्देश को सक्रिय से प्रतिष्ठित और प्रतिष्ठित से प्रतीकात्मक मोड के उचित क्रम से व्यवस्थित किया जाता है। पुत्री (2019) ने स्पष्ट किया कि कंक्रीट-पिक्टोरियल-एब्सट्रैक्ट (सीपीए) उपागम में तीन चरण होते हैं, अर्थात् (1) कंक्रीट (मूर्त) चरण, जो दर्शाता है कि विद्यार्थी भौतिक ठोस वस्तुओं या मूर्त वस्तुओं के माध्यम से गणितीय समस्याओं को हल करते हैं; (2) सचित्र चरण, जो दिखाता है कि विधार्थी ठोस वस्तु हेरफेर के द्वारा चित्र प्रस्तुति के माध्यम से वस्तुओं का उपयोग करते हैं; (3) सार चरण, दर्शाता है कि विद्यार्थी प्रतीकों या टिप्पणी - अमूर्त टिप्पणी का उपयोग करते हैं। तीन चरण जीन पियाजे द्वारा प्रस्तावित संज्ञानात्मक विकास के सिद्धांत के अनुसार हैं, जिसमें कहा गया है कि पांचवीं कक्षा में प्राथमिक स्कूल-आयु के बच्चे एक ठोस परिचालन चरण में होते हैं, पुर्वसंक्रियात्मक स्तर पर, बच्चे अन्य बच्चों की तुलना में मूर्त वस्तुओं के बारे में अधिक सोच सकते हैं या उनमें हेरफेर कर सकते हैं (चंद्रदास, 2015)। कंक्रीट-पिक्टोरियल-एब्सट्रैक्ट (सीपीए) अनुक्रम उन विद्यार्थियों के लिए विशेष रूप से प्रभावी होता है जिन्हें गणित में कठिनाई होती है (सूसा, 2008)। इसके अलावा, जो विद्यार्थी अधिगम में सीपीए उपागम के अनुक्रम का उपयोग करते हैं, विट्जेल, मर्सर और मिलर (2003) के अनुसार उन्हें पारंपरिक कक्षा की तुलना में बीजगणित की समस्याओं को हल करते समय कम प्रक्रियात्मक त्रुटि की समस्या का अनुभव होता है। सीपीए उपागम का उपयोग अधिगम और अधिगम की प्रक्रिया में विद्यार्थियों को अपने ज्ञान का निर्माण करने के लिए अवसर प्रदान करती है। कक्षा 3 के कुछ कम गणितीय उपलब्धि वाले विद्यार्थिओं को ऋण के संप्रत्यय को सिखाने में सीपीए अनुदेश अनुक्रम का उपयोग करने के एक अध्ययन में, फ़्लोरेस (2010) ने पाया कि विद्यार्थी ऋण सहित अन्य अंकगणितीय गणना करने की क्षमता में प्रवाह और आत्मविश्वास में सुधार दिखाते हैं। इसके अलावा, कई अन्य शोध अध्ययनों में भिन्नों के क्षेत्रफल (पुत्री और अन्य, 2018), शब्द समस्याओं (मैकिनी और ह्यूजेस, 2000), सरल रैखिय समीकरण (विट्जेल,2003) और उन्नत रैखिक समीकरण (विट्ज़ेल, मर्सर, और मिलर, 2003) सबंधित संप्रत्यय को कम उपलब्धि हासिल करने वालों विद्यार्थीयों के अधिगम पर सीपीए के उपयोग के सकारात्मक प्रभाव पाया है। उपरोक्त शोध अध्ययनों से यह स्पष्ट है की सीपीए उपागम विद्यार्थियों में गणितीय कौशल को बढ़ाने हेतु प्रभावी है, परन्तु क्या यह प्रविधि विभिन्न गणित अवधारणाओं को पढ़ाने के लिए एवं विद्यार्थियों की उपलब्धि को बढ़ाने में तथा एक सकारात्मक दृष्टिकोण के निर्माण में प्रभावी है, यह अभी भी अध्ययन का विषय है। अत: प्रस्तुत अध्ययन कक्षा 6 के विद्यार्थियों की गणित उपलब्धि और गणितीय दुश्चिंता पर कंक्रीट-पिक्टोरियल-एब्सट्रैक्ट (सीपीए) आधारित शिक्षण-अधिगम मॉड्यूल की प्रभावशीलता को देखने पर केंद्रित है।

अध्ययन का उद्देश्य:
1) कक्षा छठवीं के विद्यार्थियों की गणित उपलब्धि पर कंक्रीट-पिक्टोरियल-एब्सट्रैक्ट (सीपीए) उपागम आधारित शिक्षण-अधिगम मॉड्यूल की प्रभावशीलता का अध्ययन करना।
2) कक्षा छठवीं के विद्यार्थियों की गणितीय दुश्चिंता पर कंक्रीट-पिक्टोरियल-एब्सट्रैक्ट (सीपीए) उपागम आधारित शिक्षण-अधिगम मॉड्यूल की प्रभावशीलता का अध्ययन करना।

अनुसंधान प्रक्रिया:
कंक्रीट-पिक्टोरियल-एब्सट्रैक्ट (सीपीए) उपागम आधारित शिक्षण-अधिगम मॉड्यूल, एनसीईआरटी की कक्षा 6 के गणित पाठ्यक्रम की पाठ्यवस्तु के आधार पर तैयार किया गया था, जिसमें से 6 अध्याय शामिल हैं, यथा संख्याओं को जानना, पूर्ण संख्या, मूल ज्यामितीय विचार, भिन्न, मापन और बीजगणित। सीपीए उपागम पर आधारित कुल 20 पाठ योजनाएं उक्त पाठ्यवस्तु को संदर्भित कर इस शिक्षण-अधिगम मॉड्यूल में सम्मिलित की गईं थी। सीपीए मॉड्यूल की सामग्री और अंकित वैधता विषय और शिक्षणशास्त्रीय विशेषज्ञों के माध्यम से स्थापित की गई थी। कंक्रीट-पिक्टोरियल-एब्सट्रैक्ट (सीपीए) उपागम आधारित शिक्षण-अधिगम मॉड्यूल की प्रभावकारिता की जांच करने के लिए द्वि-समूह पूर्व-परिक्षण और पश्च-परिक्षण गैर-समकक्ष अर्ध प्रयोगात्मक-नियंत्रित शोध प्राविधि का उपयोग किया गया। न्यायदर्श के रूप में चयनित सीबीएसई बोर्ड के कक्षा 6वीं के 30-30 विद्यार्थियों को प्रयोगात्मक और नियंत्रित दो समूहों में यादृछिक रूप से विभजित किया गया। प्रायोगिक समूह को कंक्रीट-पिक्टोरियल-एब्सट्रैक्ट (सीपीए) उपागम आधारित शिक्षण-अधिगम मॉड्यूल द्वारा पढ़ाया गया और नियंत्रित समूह को परम्परागत विधि से। इस अध्ययन की लक्षित जनसंख्या 2023-24 के सत्र में नामांकित सीबीएसई बोर्ड के कक्षा 6वीं के सभी विद्यार्थी शामिल थे। स्कूल का चयन सुविधाजनक तरीके से किया गया। अध्ययन के न्यायदर्श के रूप में विद्यालय के कक्षा 6वीं के विद्यार्थियों के दो अक्षुण्ण खण्ड लिये गये, जिनमें प्रत्येक खण्ड में 45 विद्यार्थी पंजीकृत थे। प्रयोग की कुल अवधि सितंबर-अक्टूबर 2023 तक 20 कार्य दिवस थी। प्रत्येक अनुभाग के 45 विद्यार्थियों में से केवल 30 विद्यार्थिओं ने नियमित रूप से सभी सत्रों में भाग लिया और प्री और पोस्ट-टेस्ट पूरा किया। अन्वेषक ने प्रदत्तों के संग्रहण हेतु स्व-निर्मित गणित उपलब्धि परीक्षण और अनिन्द्यारिनी और सुपहार (2019) के गणितीय दुश्चिंता मापनी का उपयोग किया।

प्रदत्त का विश्लेषण और निष्कर्ष:
एकत्रित प्रदत्तों का विश्लेषण 5% सार्थकता स्तर पर सहप्रसरण विश्लेषण परीक्षण सहायता से किया गया था। सहप्रसरण विश्लेषण परीक्षण करने से पहले, प्रदत्त के चरों का परीक्षण आश्रित चरों के प्रसरण/सहप्रसरण मैट्रिक्स की समरूपता, सामान्यता और सहप्रसरण विश्लेषण की अन्य मान्यताओं के लिए किया गया था। प्रथम उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए, अन्वेषक ने निम्नलिखित गैर-दिशात्मक अनुसंधान परिकल्पना का निर्माण किया था।

H11: कंक्रीट-पिक्टोरियल-एब्सट्रैक्ट (सीपीए) उपागम आधारित शिक्षण-अधिगम मॉड्यूल और पारंपरिक उपागम के माध्यम से पढ़ाए गए कक्षा 6वीं के विद्यार्थियों की गणित उपलब्धि में सार्थक अंतर है।

सहप्रसरण के विश्लेषण का परिणाम तालिका 1 में दिया गया है-

तालिका 1. गणित की उपलब्धि पर प्रायोगिक और नियंत्रित समूहों के प्री परीक्षण-पूर्व और परीक्षण-पश्चात प्राप्तांकों को दिखाने वाली सहप्रसरण विश्लेषण की सारांश तालिका

विषयों के बीच प्रभावों का परीक्षण [Tests of Between-Subjects Effects]

आश्रित चर: गणितीय उपलब्धि

स्रोत

वर्गों का योग

स्वतंत्रता की कोटि (df)

वर्ग माध्य

F

Sig.*

पार्शियल ईटा स्क्वायर

कोर्रेक्टेड मॉडल

248.432a

2

3124.216

66.910

.000

.701

इंटरसेप्ट

7767.721

1

7767.721

166.357

.000

.745

गणितीय उपलब्धि

87.365

1

87.365

1.871

.177

.032

समूह के मध्य (बिटवीन) वर्ग योग 

6189.099

1

6189.099

132.549

.000

.699

वर्ग योग के अंतर्गत (विथइन) त्रुटी 

2661.502

57

46.693




टोटल

66446.00

60





कोर्रेक्टेड टोटल 

8909.933

59





a. R Squared = .701 (Adjusted R Squared = .691)                                              

*0.05 सार्थकता स्तर


गणितीय उपलब्धि पर पूर्व-परीक्षण प्राप्तांको को समायोजित करने के बाद कंक्रीट-पिक्टोरियल-एब्सट्रैक्ट (सीपीए) उपागम आधारित शिक्षण-अधिगम मॉड्यूल और पारंपरिक उपागम की प्रभावशीलता की तुलना करने के लिए एक मार्गीय सहप्रसरण विश्लेषण अनुप्रयोग किया गया था। उपरोक्त तालिका 1 से दर्शाता है कि परीक्षण-पूर्व अंतर को परीक्षण-पश्चात अंतर में समायोजित करने के बाद प्राप्त एफ अनुपात का मान 0.05 सार्थकता स्तर पर सार्थक है। 0.05 सार्थकता स्तर पर प्रयोगात्मक और नियंत्रित समूह के बीच, माध्य गणित उपलब्धि [F (1,57) = 132.549, p = 0.000] में मध्यम प्रभाव आकार 0.699 के साथ एक सार्थक अंतर है। इसलिए, शून्य परिकल्पना H01 "कंक्रीट-पिक्टोरियल-एब्सट्रैक्ट (सीपीए) उपागम आधारित शिक्षण-अधिगम मॉड्यूल और पारंपरिक उपागम के माध्यम से पढ़ाए गए कक्षा 6 वीं के विद्यार्थियों की गणितीय उपलब्धि में कोई सार्थक अंतर नहीं है" को 0.05 सार्थकता स्तर पर निरस्त कर दिया गया है। अर्थात, कंक्रीट-पिक्टोरियल-एब्सट्रैक्ट (सीपीए) उपागम आधारित शिक्षण-अधिगम मॉड्यूल द्वारा पढ़े कक्षा 6 वीं के विद्यार्थियों के गणितीय उपलब्धि परीक्षण पर प्राप्त परीक्षण-पश्चात माध्य प्राप्तांक, नियंत्रित समूह के परीक्षण-पश्चात् माध्य प्राप्तांक के मध्य सार्थक अंतर पाया गया। प्रायोगिक समूह का परीक्षण-पश्चात माध्य प्राप्तांक (माध्य=41.10) नियंत्रित समूह के परीक्षण-पश्चात् माध्य प्राप्तांक (माध्य=20.83) से काफी अधिक पाया गया। निष्कर्षत: कंक्रीट-पिक्टोरियल-एब्सट्रैक्ट (सीपीए) उपागम आधारित शिक्षण-अधिगम मॉड्यूल कक्षा 6वीं विद्यार्थिओं की गणित में उपलब्धि बढ़ाने में प्रभावी है।

द्वितीय उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए, अन्वेषक निम्नलिखित गैर-दिशात्मक अनुसंधान परिकल्पना तैयार करता है-

H1 2: कंक्रीट-पिक्टोरियल-एब्सट्रैक्ट (सीपीए) उपागम आधारित शिक्षण-अधिगम मॉड्यूल और पारंपरिक उपागम के माध्यम से पढ़ाए गए कक्षा 6वीं के विद्यार्थियों की गणितीय दुश्चिंता में सार्थक अंतर है।

एक मार्गीय सहप्रसरण विश्लेषण का परिणाम तालिका 2 में दिया गया है। इसके बाद व्याख्या और चर्चा की गई है।

तालिका 2. गणितीय दुश्चिंता पर प्रायोगिक और नियंत्रित समूहों के परीक्षण-पूर्व और परीक्षण-पश्चात प्राप्तांकों को दर्शाने वाली सहप्रसरण विश्लेषण की सारांश तालिका

विषयों के बीच प्रभावों का परीक्षण

आश्रित चर: गणितीय दुश्चिंता

प्रसारण के स्रोत

वर्गों का योग

स्वतंत्रता की कोटि (df)

मध्यमान वर्ग 

F अनुपात

सार्थकता स्तर

पार्शियल ईटा स्क्वायर

कोर्रेक्टेड मॉडल

42927.225a

2

21463.613

482.85

.000

.944

इंटरसेप्ट

2165.242

1

2165.242

48.710

.000

.461

गणितीय दुश्चिंता

1267.875

1

1267.875

28.522

.000

.334

समूह के मध्य (बिटवीन) वर्ग योग 

25514.774

1

25514.774

573.986

.000

.910

वर्ग योग के अंतर्गत (विथइन) त्रुटी 

2533.758

57

44.452




टोटल

1266973.000

60





कोर्रेक्टेड टोटल 

45460.983

59





a. R Squared = .944 (Adjusted R Squared = .942)                                              

*0.05 Level of Significance


गणितीय दुश्चिंता पर पूर्व-परीक्षण प्राप्तांक को समायोजित करने के बाद, कंक्रीट-पिक्टोरियल-एब्सट्रैक्ट (सीपीए) उपागम आधारित शिक्षण-अधिगम मॉड्यूल और पारंपरिक उपागम की प्रभावशीलता की तुलना करने के लिए एक-मार्गीय सहप्रसरण विश्लेषण का अनुप्रयोग किया गया था। तालिका 2 से पता चलता है कि पूर्व-परीक्षण अंतर को परीक्षण-पश्चात प्राप्तांक में समायोजित करने के बाद प्राप्त एफ अनुपात का मान 0.05 सार्थकता स्तर पर सार्थक है। 0.05 सार्थकता स्तर पर प्रयोगात्मक और नियंत्रित समूह के बीच, माध्य गणित उपलब्धि [F (1,57) = 573.986, p = 0.000] में उच्च प्रभाव आकार 0.910 के साथ एक सार्थक अंतर है। इसलिए, शून्य परिकल्पना H02 "कंक्रीट-पिक्टोरियल-एब्सट्रैक्ट (सीपीए) उपागम -आधारित शिक्षण-अधिगम मॉड्यूल और पारंपरिक उपागम के माध्यम से पढ़ाए गए कक्षा 6 वीं के विद्यार्थियों की गणितीय दुश्चिंता में कोई सार्थक अंतर नहीं है" को 0.05 सार्थकता स्तर पर निरस्त कर दिया गया है। अर्थात कंक्रीट-पिक्टोरियल-एब्सट्रैक्ट (सीपीए) उपागम आधारित शिक्षण-अधिगम मॉड्यूल प्राप्त करने वाले प्रायोगिक समूह के कक्षा 6वीं के विद्यार्थियों के गणितीय दुश्चिंता परीक्षण पर प्राप्त परीक्षण-पश्चात माध्य प्राप्तांक, नियंत्रित समूह के परीक्षण-पश्चात् माध्य प्राप्तांक के मध्य सार्थक अंतर है। प्रायोगिक समूह का परीक्षण-पश्चात माध्य प्राप्तांक (माध्य=30.03), नियंत्रित समूह के परीक्षण-पश्चात् माध्य प्राप्तांक (माध्य=45.83) सार्थक रूप से कम है। निष्कर्षत: कंक्रीट-पिक्टोरियल-एब्सट्रैक्ट (सीपीए) उपागम आधारित शिक्षण-अधिगम मॉड्यूल कक्षा 6वीं विद्यार्थिओं की गणितीय दुश्चिंता को कम करने में प्रभावी है।

शोध परिणामों की चर्चा:
कंक्रीट-पिक्टोरियल-एब्सट्रैक्ट (सीपीए) उपागम आधारित शिक्षण-अधिगम मॉड्यूल गणित में उपलब्धि पर प्रभावी है। यह परिणाम फ़्लोरेस (2010); वॉट (2013); विट्ज़ेल (2005) के अनुरूप है साथ ही विट्ज़ेल और अन्य (2003) ने यह भी पाया की सीपीए रणनीति दोनों तरह, अधिगम में अक्षमता (लर्निंग डिसेबिलिटी) वाले या बिना अधिगम अक्षमता वाले विद्यार्थियों के लिए गणित सीखने के लिए प्रभावी थी। फ्लोर्स (2010) ने यह भी बताया कि सीपीए का विद्यार्थियों की ऋण सबंधित अवधारणाओं में महारत हासिल करने की क्षमता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। पुरवाडी एवं अन्य (2019) ने अपने अध्ययन से यह स्पष्ट किया की सीपीए उपागम विद्यार्थिओं की गणितीय वैचारिक समझ और भिन्नों के गणितीय प्रतिनिधित्व को बढ़ाने में भी सक्षम है। इसके अलावा, यूलियान्टो और अन्य (2019) साथ ही युलियान्टो, तुरमुडी और अन्य (2019) ने अपने अपने शोध में पाया गया कि सीपीए उपागम विद्यार्थिओं के गणितीय अधिगम की क्षमता को बढ़ाता है और विद्यार्थियों के गणित सीखने के प्रति दृष्टिकोण एवं आत्म-प्रभावकारिता को भी बढ़ाता है।

शोध परिणाम के अनुमानित विश्लेषण से पता चला कि सीपीए आधारित शिक्षण-अधिगम उपागम विद्यार्थियों की गणितीय दुश्चिंता को पारंपरिक शिक्षण की तुलना में कम करने में प्रभावी है। यह परिणाम ओरोंगन (2007) के सांख्यकीय विषय के संदर्भ में उनके अध्ययन का अनुसरण करता है जिसमें उनके शोध परिणाम से पता चला कि नियंत्रित समूह की तुलना में सीपीए आधारित शिक्षण-अधिगम प्राप्त करने वाले प्रायोगिक समूह कम सांख्यकीय दुश्चिंता प्रदर्शित करते थे। बर्सानो (2016) के अध्ययन से भी मेल खाता है जिसमें उसने अपने गणित विषय अध्ययन में पाया कि परीक्षण-पश्चात उत्तरदाताओं में चिंता का स्तर कम था।

निष्कर्ष : राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, पूर्व प्राथमिक स्तर से ही गणितीय चिन्तन एवं गणितीय कौशलों को विद्यार्थियों में विकसित करने की सिफ़ारिश करता है (शिक्षा मंत्रालय, 2020, पृष्ठ 10), जिसके लिए विद्यार्थियों को क्रिया आधारित, कला एकीकृत अधिगम अनुभव एवं अनुभवजन्य शिक्षणशास्त्रीय प्रविधियों को कक्षागत एवं कक्षा के बाहर अनुभवो में सम्मिलित करने का सुझाव भी देता हैं (शिक्षा मंत्रालय, 2020, पृष्ठ 11-12)। शिक्षा नीति-2020 विधार्थियों को सार्थक कक्षागत अनुभवों प्रदान करने हेतु शिक्षणशास्त्रीय प्रविधियों में विविधता का समर्थन करता है, जो विषयगत उपलब्धि के साथ साथ विद्यार्थियों के आनंददायक, तनावमुक्त शैक्षिक अनुभव प्रदान करने में योगदान देतें हैं। सीपीए आधारित शिक्षण-अधिगम में मूर्त से अमूर्त तक क्रमिक प्रगति का उद्देश्य गणितीय अवधारणाओं की दीर्घकालिक धारणशक्ति को बढ़ावा देना है। बहु-संवेदी सीखने का अनुभव प्रदान करने से, विद्यार्थियों ने जो सीखा है उसे याद रखने और लागू करने की अधिक संभावना होती है, जिससे गणितीय कौशल को बेहतर ढंग से बनाए रखने और लागू करने में मदद मिलती है। संक्षेप में, कंक्रीट-पिक्टोरियल-एब्सट्रैक्ट (सीपीए) शिक्षण-अधिगम मॉड्यूल गणित शिक्षा के लिए अधिक व्यापक और सुलभ दृष्टिकोण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण है। यह न केवल वैचारिक समझ और समस्या-समाधान कौशल को बढ़ाता है बल्कि चिंता को कम करने और विद्यार्थियों के बीच गणित के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने में भी योगदान देता है।

संदर्भ:
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मनीष कुमार गौतम
सहायक आचार्य , शिक्षाशास्त्र विभाग, इलाहाबाद विश्वविधालय, प्रयागराज -२११००२
sana.manish@gmail.com, 8299458241, 9453230572

चित्तौड़गढ़ (राजस्थान) से प्रकाशित पत्रिका 
  अपनी माटी (ISSN 2322-0724 Apni Maati) अंक-57, अक्टूबर-दिसम्बर, 2024 UGC CARE Approved Journal
इस अंक का सम्पादन  : माणिक एवं विष्णु कुमार शर्मा छायांकन  कुंतल भारद्वाज(जयपुर)

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