शोध आलेख : ‘हैरी पार्टर’ पुस्तक शृंखला का विश्लेषण / अपर्णा चौधरी

‘हैरी पार्टर’ पुस्तक शृंखला का विश्लेषण
- अपर्णा चौधरी

500 मिलियन कॉपियों 80 भाषाओं में अनुवाद के साथ हैरी पॉटर वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक खरीदी, पढ़ी औरपसंद की जाने वाली पुस्तकों में से एक है। किताबों की यह शृंखला किसी एक वर्ग के लिए नहीं लिखी गई थी किन्तु बच्चे अधिक आकर्षित हुए इसके लिए। 90 के दशक में इसका पहला अंक आया था। जैसाकि लेखकों के साथ होता है कि प्रकाशक प्रथम दृष्टया किसी नए कलेवर वाली पुस्तक को स्वीकार नहीं करते, लेखिका जे. के. रॉलिंग के साथ भी ऐसा ही हुआ। लगभग 10-12 प्रकाशन विभाग उनके कार्य से प्रभावित नहीं हुए। आखिर में ब्लूमसबूरी चिल्ड्रनस् बुक्स ने उनके लेखन को प्रकाशित करने का वीणा उठाया। एकएक कर कुल सात पुस्तकें प्रकाशित हुई- Harry Potter and the Philosophers Stone (1997), Harry Potter and the Chamber of Secrets (1998), Harry Potter and the Prisoner of Azkaban (1999), Harry Potter and the Goblet of Fire (2000), Harry Potter and the Order of the Phoenix (2003), Harry Potter and the Half-Blood Prince (2005), and Harry Potter and the Deathly Hallows (2007) इनकी विशिष्ट बात यह रही कि एक अच्छे-खासे अंतराल पर ये पुस्तकें बाज़ार में आई। प्रथम पुस्तक अधिक पृष्ठों की होकर भी व्यावसायिक रूप से और एक पाठक वर्ग तैयार करने में प्रभावी रही। इसके बाद आने वाली सभी पुस्तकें पाठक-दीर्घा में चर्चा, परिचर्चा, वाद-विवाद का पर्याय रही।

कई बार यह प्रश्न उठता है कि विडिओ गेम और इंटरनेट के दौर में लोगों का पुस्तकों से या तो मोह भंग हो चुका है या बहुत बोझिल मन से विवशता में लोग पुस्तकें पढ़ते हैं। बात जब बच्चों की आती है तो आडियो-विडिओ माध्यम एक अलग आकर्षण पाश में बांधने का काम करते हैं। इन विकल्पों के बीच हैरी पॉटर की सफलता का विश्लेषण, पाठक-दीर्घा को बढ़ाने पुस्तकों की ओर पुनः वापस लौटने की दृष्टि से महत्वपूर्ण हो जाता है।

इस पुस्तक शृंखला में लेखिका ने एक जादुई दुनिया की कल्पना कुछ इस तरह गढ़ी जो जिज्ञासा के साथ-साथ व्यावहारिक जीवन के बहुत से अनसुलझे सवालों को उठाने का एक सफ़ल प्रयास करती है। इस जादुई दुनिया में भी मानवीय दुर्बलताएं हैं, ईर्ष्या है, द्वेष है, असमानताएं हैं, असफलताएं हैं, हास्य है, छोटी-छोटी बातों में हर्ष है, दुख है, विषाद है, और भी बहुत सी मानवीय संवेदनाएं हैं जो मनुष्य होने की शर्त है। किन्तु ध्यान देने वाली बात यहाँ यह है कि ये भावनाएं तो बहुत सी साहित्यिक पुस्तकों में भी मिलती हैं फ़िर ऐसा क्या है जो इस पुस्तक को विशिष्ट बनाता है।

ज़िरदुम (2019) के अनुसार यदि हैरी पॉटर पुस्तक से जादुई विश्व अलग कर दिया जाए तो सब कुछ मानवीय दुनिया जैसा ही है। वो सभी समस्याएं जो इस दुनिया में हैं, वहाँ भी हैं। एक विषय जिसके चारों तरफ ये जादुई दुनिया रची गई, नस्लवाद है जोकि त्वचा के रंग से संबंधित ना होकर खून की शुद्धता से है। कहानी में शुद्ध और अशुद्ध जादूगरों के परिवारों की बहुत चर्चा है। ऐसे चरित्र जिनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि प्रसिद्ध थी, वो स्वयं को अधिक योग्य श्रेष्ठ समझते थे। बाकी लोगों को हेय दृष्टि से देखते थे। यह इतना अधिक प्रभावी था की वॉलडएमॉर्ट नाम का चरित्र, जादूगरों की दुनिया को शुद्ध बनाने के लिए प्रायोजित हत्याएं तक करता था। इसकी कई विश्लेषक एंटी-सेमिटिज़्म से तुलना करते हैं। कोरेन मैमोन के शब्दों में द्वितीय विश्व युद्ध के समय यहूदियों की प्रायोजित हत्याएं हैरी पॉटर किताब में वॉलडएमॉर्ट की भूमिका में साम्यता है। दोनों ही केस में वे लोग जो हीन और अशुद्ध समझे जाते थे, वे समाज के लिए एक खतरा नकारात्मकता फैलाने वाले थे, जिन्हे खत्म करना अत्यावश्यक था। इसी किताब में नेविल लॉंगबोटम हर्मिऑन ग्रांगएर के माध्यम से रोलिंग ने यह बताने का प्रयास किया कि जादूगरों के परिवार से आने मात्र से ही कोई माहिर जादूगर नहीं हो सकता।

दूसरा महत्वपूर्ण पहलू लैंगिक समानता को लेकर है। हॉगवर्ट स्कूल में लड़के, लड़कियां सभी थे और सबके साथ समान व्यवहार किया जाता था। हालांकि कुछ विश्लेषक जैसे हेलमोन और डोनाल्डसन (2009) के अनुसार महिला पात्रों को पुरुष पात्रों की तुलना में अधिक महत्व नहीं दिया गया। किताब में लड़कियों को समूह में रहते हुए ही दिखाया गया है और एक व्यक्ति के तौर पर उनके पास करने को कुछ खास नहीं था। वे सहायक की भूमिका बखूबी निभा रही थी।  गलार्डों और स्मिथ (2003) के शब्दों में लेखिका रोलिंग ने महिलाओं की परंपरागत भूमिका की सराहना की है। कई महिला जादूगर जो हॉगवर्ट स्कूल में अच्छा कर रही थी, शादी के बाद वो अपने घर और बच्चों में व्यस्त हो गई। ध्यातव्य रहे कि कई महिला पात्रों को महत्वपूर्ण भूमिका के साथ युद्ध में पुरुष पात्रों के साथ लड़ते हुए भी दिखाया गया। पर यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि रोलिंग की पुस्तक का मुख्य पात्र एक लड़का है कि लड़की। क्या रोलिंग के लिए भी किसी लड़की को मुख्य भूमिका में रख पाना मुश्किल था। या कि शायद व्यावसायिक कारणों से ऐसा किया गया रहा हो। सामाजिक ताने-बाने में किसी लड़की का इतना आगे तक जाना पित्रासत्तात्मक मूल्यों पर चोट होती। यदि हैरी के स्थान पर किसी लड़की को मुख्य पात्र बनाया जाता तो कहानी का कलेवर कैसा होता और क्या तब भी इस शृंखला को यही प्रसिद्धि सफलता मिलती, यह एक हाइपोथेटीकल पर आवश्यक प्रश्न है जिस पर विचार होना चाहिए। इस बात पर भी चिंतन होना चाहिए कि किसी स्त्री की रचनाओं में भी लड़कियां मुख्य पात्र में क्यों नहीं लिखी जाती। यहाँ एक तुलनात्मक अध्ययन भी आवश्यक जान पड़ता है उन कहानियों जिनमे महिला पात्र मुख्य भूमिका में है और हैरी पॉटर के मध्य, यहाँ यह देखा जाना चाहिए कि व्यावसायिक दृष्टि से कौन सी अधिक सफ़ल रही और उनके संभावित कारणों का विश्लेषण किया जाना चाहिए।

तीसरा महत्वपूर्ण पहलू जादुई दुनिया की संस्थाओं की कार्य-प्रणाली राजनीति से जुड़ा हुआ है। इस दुनिया में वो सारी व्यवस्थाएं, कार्य-पद्धति और सरकारी-तंत्र है जैसा सामान्य दुनिया में है। राजनीति के खेल, पारस्परिक प्रतिस्पर्धा, दंड और भी कई संस्थाएं। इनका ताना-बाना सब कुछ सामान्य सा ही है। इसमें बहुत से मंत्रालय है जिनका कार्य जादुई दुनिया को ठीक प्रकार से संचालित करना है। लेखिका रोलिंग की प्रशंसा इस बात के लिए की जानी चाहिए कि उन्होंने एक वैकल्पिक दुनिया अवश्य गढ़ी किन्तु साथ ही यह भी बताया कि इस दुनिया के इतर भी यदि कुछ अस्तित्व में है तो वहाँ भी वो सारी मानवीय कमजोरियाँ होंगी जो इस दुनिया का हिस्सा है। वहाँ के सरकारी तंत्र में भी कुछ अच्छे और कुछ भ्रष्ट लोग है। न्याय तंत्र सदैव सही निर्णय ले, आवश्यक नहीं। कई बार निर्दोषों को भी सबूतों के गुणा-गणित के आधार पर दंडित कर दिया जाता है। जुगाड़ तंत्र वहाँ भी सक्रिय है। ताकतवर लोग अपने हितों के अनुरूप व्यवस्था-तंत्र को परिभाषित संचालित करते हैं। एक अभिजात्य वर्ग उस दुनिया में भी सक्रिय है जो अपने परिवारिजनों को आगे बढ़ाने जन सामान्य को प्रतिस्पर्धा से बाहर रखने के लिए कार्य करते हैं। यहाँ इस चर्चा से यह बात केंद्र में जाती है कि आदर्श समाज जो सभी बुराईयों से दूर हो, समतामूलक हो और समावेशी हो, का अस्तित्व शायद कवियों की कविताओं और कुछ कल्पनावादी लेखकों की रचनाओं में ही मिलेगा। वास्तविक संदर्भों में यह संभव नहीं है। यदि कोई वैकल्पिक दुनिया रची भी जाएगी तो वहाँ भी ये सारे दुर्गुण ही जाएंगे। अच्छे बुरे दो समूह सदैव अस्तित्व में रहेंगे और उनके बीच संघर्ष जारी रहेगा। व्यवस्था में कुलीनतंत्र सक्रिय होगा और अपनी भूमिका मजबूत करने का प्रयत्न करेगा। कुछ लोग इस तंत्र का शिकार होंगे, उनके साथ अन्याय होगा और इसका प्रतिशोध भी होगा। या फ़िर इसे कुछ और आशावादी रूप में व्याख्यायित करें तो चूंकि लेखिका भी इसी समाज का हिस्सा है और उसकी कल्पना का भी एक सीमित दायरा है, कल्पनालोक भी वास्तविक दुनिया जिसमे कि हम रहते है, उसी से प्रभावित मिलता-जुलता होता है। इस दुनिया से पूर्णरूपेण इतर दुनिया तभी रची-गढ़ी जा सकती है जबकि उसका कुछेक अंश अनुभव किया गया हो। कल्पना की अपनी सीमाएं हैं, जो लेखिका ने कभी देखा नहीं, अनुभव नहीं किया वह उसकी कल्पनालोक में भी नहीं आएगा और यही रोलिंग के साथ भी था।

झँगियानी और टेरी (2014) के शब्दों में हॉगवर्ट स्कूल में कई हाउस थे जो सोशल कैटगरिज़ैशन की प्रक्रिया का हिस्सा समझा जा सकता है। सभी विद्यार्थी किसी किसी हाउस के सदस्य थे और उनकी पहचान इसी आधार पर थी। इसका सबसे बड़ा नुकसान यह था कि एक हाउस के विद्यार्थियों को सजातीय मान लिया जाता था जबकि ऐसा नहीं था। यदि इसकी तुलना इस दुनिया से करे तो कई मायनों में समानताएं हैं। प्रत्येक समाज में कुछ सामाजिक पहचान होती है। धर्म, जाति, क्षेत्र, भाषा आदि के आधार पर। यह मान लिया जाता है कि किसी समूह विशेष के सभी सदस्य एक जैसे ही होंगे। कुछेक रूढ़िवादी मान्यताएं भी इसके साथ जोड़ दी जाती हैं। जो किसी भी स्वस्थ समाज के लिए उचित नहीं कही जा सकती, शोषण का स्तर भी इन्ही मान्यताओं के आधार पर सही ठहराया जाता है। जबकि एक ही सामाजिक पहचान के लोगों में भी भिन्नताएं होती हैं और ये विविधताएं किसी समाज को समाज बनती है, अधिक मानवीय बनती हैं।

हैरी पॉटर की व्यावसायिक सफलता प्रसिद्धि का कोई एक कारण नहीं है। साथ ही यह भी आलोचना से परेनहीं है। फ़िर भी यहाँ यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि लेखिका रोलिंग बच्चों को किताबों की ओर मोड़ पाने में सक्षम रही। इस पुस्तक को आधार मानकर मूवीज भी बनी और वह भी सफ़ल रही। लोगों ने किताब पढ़ी और फ़िर मूवी देखि और कुछ लोगों ने पहले मूवी दिल्ली और फ़िर उनकी रुचि किताब पढ़ने में जगी। इस पुस्तक शृंखला की सफलता का एक बड़ा कारण उन सभी समीकरणों परिस्थितियों का विश्लेषण है जो सामान्य मनुष्य अपने  दिन-प्रतिदिन के जीवन में किसी किसी रूप में सामना करते हैं और उन पर बात करना चाहते हैं, वो चाहते हैं कि इनका समाधान हो, भ्रष्ट-तंत्र को लेकर उनके अन्दर आक्रोश है, भाई-भतीजावाद से लोग ग्रसित है, और भी कई स्तर जिन पर बात की जानी चाहिए। जब लोग प्रत्यक्ष तौर पर इन सब मुद्दों पर बात नहीं कर पाते तो कहानी में, मूवी में और अन्य कलाओं के माध्यम से स्वयं से जुड़े इन सवालों के जवाब ढूँढने का प्रयत्न करते हैं। वो किसी ऐसे हीरो की तलाश में होते हैं जो एक दिन कहीं से आएगा और उनकी सारी समस्याओं का अंत कर देगा। इस तथाकथित हीरो की संघर्षगाथा, हार, जीत, प्रसन्नता, दुख आदि को जन सामान्य स्वयं से जोड़कर देखता है। उसकी जीत उन्हे अपनी जीत लगती है, उसकी हार से उन्हे दुख होता है। एक लेखक या लेखिका की सफलता इन मानवीय संवेदनाओं को कलमबद्ध कर पाने से जुड़ी होती है। जितना अधिक संवाद अपनी कलम के माध्यम से वह लोगों से कर पता है, वही उसकी प्रसिद्धि का आधार है। रोलिंग ने ये कार्य पूरी ईमानदारी से किया और यही हैरी पॉटर की सफलता का आधार बनी। 

संदर्भ :
  1. Rowling, J. K. (1997) Harry Potter and the Philosopher’s Stone. London: Bloomsbury Publishing Plc.
  2. Rowling, J. K. (1998) Harry Potter and the Chamber of Secrets. London: Bloomsbury Publishing Plc.
  3. Rowling, J. K. (1999) Harry Potter and the Prisoner of Azkaban. London: Bloomsbury Publishing Plc.
  4. Rowling, J. K. (2000) Harry Potter and the Goblet of Fire. London: Bloomsbury Publishing Plc.
  5. Rowling, J. K. (2003) Harry Potter and the Order of the Phoenix. London: Bloomsbury Publishing Plc.
  6. Rowling, J. K. (2005) Harry Potter and the Half-Blood Prince. London: Bloomsbury Publishing Plc.
  7. Rowling, J. K. (2007) Harry Potter and the Deathly Hallows. New York, USA: Arthur A. Levine Books.
  8. Rowling, J. K. (2008) The Tales of Beedle the Bard. London: Bloomsbury Publishing Plc
  9. Rowling, J. K (2016). Short Stories from Hogwarts of Heroism, Hardship and Dangerous Hobbies, eBook. Pottermore Limited. Retrieved from https://eur.shop.pottermore.com.
  10. Jhangiani, R., Tarry H. (2014) Principles of Social Psychology – 1st International Edition. Victoria, B.C.: BCcampus.
  11. Heilman, E. E., Donaldson T. (2009) From Sexist to (sort-of) Feminist: Representations of Gender in the Harry Potter Series. In Heilman, E. E. (Ed.), Critical Perspectives on Harry Potter (pp. 139–161). New York: Routledge.
  12. Gallardo-C. X, Smith J. C. (2003) Cinderfella: J. K. Rowling’s Wily Web of Gender. In Anatol G. L. (Ed.) Reading Harry Potter: Critical Essays. (pp 191- 207). Westport: Praeger Publishers.
  13. Koren-Maimon, Y. (n.d.) Political history and literature in J. K. Rowling’s Harry Potter series.
  14. Zirdum, Kristina (2019), Social issues in J. K. Rowling´s Harry Potters series, Master’s Thesis, Zagreb: University of Zagreb.

 

अपर्णा चौधरी
सहायक आचार्य, राजनीति विज्ञान विभाग, इलाहाबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय, इलाहाबाद

बाल साहित्य विशेषांक
अतिथि सम्पादक  दीनानाथ मौर्य
चित्तौड़गढ़ (राजस्थान) से प्रकाशित पत्रिका 
  अपनी माटी (ISSN 2322-0724 Apni Maati) अंक-56, नवम्बर, 2024 UGC CARE Approved Journal

1 टिप्पणियाँ

  1. बहुत ही सुंदर ढंग से, हैरी पॉटर को पढ़ने या देखने या दोनों के समय महसूस किए गए भाव, कहानी को मोड़ने के इरादे और काल्पनिक जबाबों से असंतुष्ट प्रश्नों को व्यक्त किया गया है। लेख में किए गए प्रश्न, विज्ञान की पीठ पर बैठे, लगाम थामें हुए दुनिया के अग्रणी लोगों के लिए भविष्य में अति प्रासंगिक होने वाले हैं। इस सुंदर लेख के लिए धन्यवाद मैम 🙏

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