कहानी:जज की बीवी -रचनाकार इसाबेल आय्येंदे (अनुवाद:दिव्या सलोनी)

कहानी:जज की बीवी -रचनाकार इसाबेल आय्येंदे (अनुवाद:दिव्या सलोनी)

(परिचय : प्रस्तुत लघुकथा "जज की बीवी" इसाबेल आय्येंदे (चिली) द्वारा स्पेनिश भाषा में लिखित "La Mujer del Juez"(ला मुखेर देल खुएष) का  हिंदी अनुवाद है।  इसाबेल आय्येंदे (1942) विश्व की सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली लेखिकाओं में से एक हैं तथा स्पेनिश भाषा साहित्य में उन्हें दुनिया में सबसे व्यापक रूप से पढ़ी जाने वाली जीवित लेखिका माना जाता है। उनकी रचनाएँ अब तक 42 भाषाओँ में अनुवादित हो चुकी हैं।  वर्ष 2010 में उन्हें चिली के राष्ट्रीय साहित्य सम्मान से भी नवाजा गया है। उनकी अधिकांश रचनाएँ स्त्रियों के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर आधारित होती हैं तथा इन रचनाओं में प्रमुख पात्र में नारी को रखते हुए  लेखिका समाज में नारीवादी विमर्श पर जोर देने का प्रयास करती हैं। इसी श्रेणी की एक अहम् रचना है प्रस्तुत लघु कथा (अनुवादित): "जज की बीवी"।)

निकोलस विदाल को यह पता था कि एक औरत के कारण ही एक दिन उसकी जान जायेगी। इस बात की भविष्यवाणी उसी दिन हो गयी थी जब उसका जन्म हुआ था और इस तथ्य की पुष्टि उस जनरल स्टोर की  मालकिन के द्वारा हुई जिसने कॉफ़ी के बचे-खुचे जूठन पर उसकी भाग्य-रेखा पढ़ी थी, लेकिन विदाल ने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि वह औरत जज इदालगो की पत्‍नी होगी, श्रीमती कासिल्दा। पहली दफा उसने उस युवती को तब देखा था जब वह इस शहर में ब्याहित होने आई थी। विदाल ने उसमें कुछ भी आकर्षक नहीं पाया। उसकी रूचि अल्हड़, सांवली युवतियों में थी, और सफर के सूट पहने, निर्मल सी, लज्जाशील आँखों और कोमल अँगुलियों वाली यह जवान लड़की, जो एक मर्द को खुश करने के लिए नाकाफी हो, ऐसी औरत उस विदाल को मानो चंद राख की भाँति व्यर्थ, अनाकर्षक सी लगी। अपनी किस्मत से भली-भाँति वाकिफ, वह औरतों के प्रति एहतियाती बरतता था, और आजीवन स्वयं को किसी भी भावुक संबंधों से दूर रखने की चेष्टा करता था। अपने हृदय को प्रेम के प्रति कठोर बनाते हुए और क्षणिक मुलाकातों से अपने अकेलेपन को चकमा देते हुए। कासिल्दा उसे इतनी मामूली सी लगी, कि उसने इस औरत के प्रति एहतियात बरतना जरुरी नहीं समझा। और जब वह पल आया, तो वह उस भविष्यवाणी से बेफिक्र हो गया, जिसने उसकी हर एक इच्छा, हर एक निर्णय को हमेशा से नियंत्रित किया हो। मकान के उस छत से, जहाँ विदाल अन्य दो आदमियों के साथ दुबक कर बैठा था, उसने उस जवान लड़की को गौर से देखा, जब अपनी शादी के दिन वह अपने कार से उतरी। वहाँ अपने तकरीबन आधे दर्जन सगे-सम्बन्धियों की मण्डली के साथ वह पहुँची। सब के सब उसी की तरह नाजुक और बदरंग। सभी लोग शादी समारोह के अंत तक बने रहे थे, व्याकुलता के साथ, और फिर विदा हो लिए, फिर कभी लौटकर ना आने को। शहर के सभी निवासियों की तरह, विदाल को लगा कि वह नवविवाहिता औरत वहाँ की आबो-हवा नहीं झेल पायेगी और जल्दी ही बूढ़ी औरतें उसे उसके अंत्येष्टि के लिए सजाये-सवारेंगी। लेकिन, आशा के विपरीत उस औरत ने शहर की गर्म और गर्द भरी हवा को झेलना सीख लिया, जो उसकी त्वचा को छूकर गुजरती थी और उसके फेफड़ों में जा पहुँचती थी, हालांकि वह अपने पति के बुरे मिजाज और कुंवारे वाली सनक के सामने दम तोड़ दिया करती। जज इदालगो उम्र में उससे कहीं अधिक बड़ा था, और कई सालों तक अकेला ही सोया था, तब ही तो वो इस चीज से नावाकिफ था कि अपनी पत्‍नी को खुश करना कैसे शुरू किया जाए। उसकी कानून चलाने की सख्ती - जिसके लिए वह न्याय को कई बार ताख़ पर  रख देता, और उसके अड़ियलपन से प्रान्त में हर कोई सहमा रहता था। अपनी ड्यूटी को निभाने में इंसानियत को वह नजरअंदाज कर दिया करता था, जुर्म चाहे एक मुर्गी की चोरी का हो या पूर्व-नियोजित हत्या का, जज इदालगो दोनों को ही बराबर सख्ती से दण्डित करता था। वह काले वस्त्र पहना करता, ताकि लोगों को उसकी जिम्मेदारियों की गरिमा का ध्यान रहे। शहर की अनिवार्य सी धुल भरे आवरण के बावजूद भी, स्वप्नों से परे, उसके ऊँचे बूट हमेशा मोम की पॉलिश से चमकते रहते थे। उसके जैसा आदमी जो शादी करने के लिए नहीं बना था, जैसा सभी कहते थे। हालांकि उसकी अनिष्टकर शादी की भविष्यवाणियां गलत सिद्ध हुईं। कासिल्दा लगातार तीन बार गर्भवती हुई और संतुष्ट मालूम पड़ रही थी। हर रविवार वह अपने पति के साथ, चर्च में बारह बजे की प्रार्थना में सम्मिलित हुआ करती थी, अपने दुपट्टे तले शांत, निर्विकार वह, कभी न समाप्‍त होने वाली गर्मी की प्रचंडता से अप्रभावित, एक परछाई की भाँति रंगहीन और शांत। किसी ने भी उसकी एक धीमी सी सौम्य अभिवादन के अतिरिक्त कुछ भी नहीं सुना होगा, और ना ही किसी ने सर हिलाने और क्षणभंगुर मुस्कराहट के सिवाय उसकी कोई अन्य भाव भंगिमा या गतिविधि देखी थी। वह खुद  के प्रति लापरवाही के कारण ऐसी मालूम पड़ती मानो अपना अस्तित्व खोने की कगार पर हो। ऐसा लगता, वह वहाँ है ही नहीं, तभी तो हर कोई जज पर उसके प्रभाव को लेकर आश्‍चर्य करता था, वह जज जिसमें अब कई असाधारण बदलाव आ चुके थे।

      हालाँकि इदालगो के रूप-रंग में कोई बदलाव नहीं आया वही अब भी उसी तरह गंभीर और भद्दा था, लेकिन कोर्ट में उसके फैसलों में अप्रत्याशित बदलाव आया। स्तब्ध-सी जनता के सामने उसने एक लड़के को बरी कर दिया जिसने अपने मालिक के यहाँ चोरी की, यह तर्क देते हुए कि पिछले तीन सालों से उसके मालिक ने लड़के को कम वेतन दिया और जो पैसे उसने चुराए, वह एक प्रकार का हर्जाना ही माना जायेगा। उसी प्रकार, जज इदालगो ने एक बदचलन महिला को दण्डित करने से इंकार कर दिया, यह तर्क देते हुए कि, उसके पति का कोई नैतिक अधिकार नहीं बनता है, कि खुद एक रखैल रखने के बावजूद वह अपनी पत्‍नी से सदाचारी एवं वफादार होने की अपेक्षा रखे। लोगों में यह चर्चा हो रही थी कि जज इदालगो दस्तानों की भाँति खुद को बदल लेता था जब वह अपने आगे वाले दरवाजे की चौखट को पार करता है, वह अपने उदासीन कपड़े उतार देता है, बच्चों के साथ खेलता है, हँसी ठिठोले करता है और अपने घुटनों पर कासिल्दा को उछालता है, लेकिन ये सब अफवाहें कभी साबित नहीं हो पायी थीं। कारण जो भी हो, परन्तु उसकी नयी-सीसज्जनता और बढ़ती हुई प्रतिष्‍ठा का श्रेय उसकी पत्‍नी को जाने लगा था। हालाँकि, निकोलस विदाल इन सब चर्चाओं के प्रति उदासीन था क्योंकि वह कानून का गुनाहगार था और वह इस बात को अच्छी तरह जानता था कि जिस दिन उसे जंजीरों में जकड़कर जज के सामने ले जाया जायेगा उसके लिए कोई रहम नहीं किया जायेगा। वह दोन्या कासिल्दा के बारे में हो रहे चर्चों पर ध्यान नहीं दिया। उसकी पहली बार की कल्पित धुंधली छवि को जेह़न में लाते हुये जब उसने कुछ समय पहले दूर से उसे देखा था।

विदाल का जन्म तीस साल पहले शहर के एकमात्र वेश्यालय में हुआ था, जिसमें एक भी खिड़की नहीं थी। वह खुआना ला त्रिस्ते और एक अज्ञात पिता का बेटा था। इस संसार में उसके लिए कोई जगह नहीं थी और उसकी दुःखी माँ इसे जानती थी। इसलिए उसने इसे अपने कोख से गिराने के लिए हर भरसक उपाय की थी; जड़ी बूटी खाकर, मोमबत्ती के ठोंठी से, सज्जीदार पानी से साफ करके और दूसरे बर्बर तरीकों के द्वारा, लेकिन इस नन्हीं सी जान अड़ियल ढंग से अपना अस्तित्व बनाये रखा। सालों बाद खुआना ला त्रिस्ते यह गौर कर पायी कि उसका बेटा दूसरों से इतना अलग क्यों है, उसे यह महसूस हुआ कि गर्भपात के लिए किये गए उग्र उपायों ने  उसके शरीर और आत्मा को लोहे की भाँति कठोर बना दिया था। जैसे ही उसका जन्म हुआ था, दाई उसकी पड़ताल करने के लिए उसे किरोसिन के लैंप के प्रकाश में ले गयी थी और तुरत ही यह पता लगा ली थी कि उसके चार स्तनाग्र हैं।

-          बेचारा, इसकी मौत एक औरत के कारण होगी लंबे समय से इन मामलों में अनुभव के कारण उसने यह भविष्यवाणी की।

यह भविष्यवाणी एक विकृति के रुप में इस लड़के के लिए भारी पड़ गयी थी। एक औरत का प्यार उसके जीवन को कुछ कम दुःखदायी बना सकता था। उसकी माँ उसके जन्म के पहले उसे गिराने के लाखों उपाय करने की ग्लानि को कुछ कम करने के लिए उसका एक कर्णप्रिय नाम रखी और एक पुख्ता उपनाम बिना सोचे समझे सहसा ही चुन ली। लेकिन यह राजसी उपनाम उसके प्राणघातक लक्षणों को मिटाने के लिए काफी नहीं था। दस साल का होने से पहले ही उस लड़के के चेहरे पर लड़ाई-झगड़े करने की वजह से चाकू के घाव के निशान थे, और इसके बाद बहुत जल्द ही वह आवारों की जिंदगी जीने लगा। बीस साल की उम्र में वह लफंगो की  टोली का नेता बन गया था। मार- धार की प्रवृति ने उसके मांसपेशियों को और ज्यादा मजबूत बना दिया था, आवारापन ने उसे बिल्कुल निष्ठुर बना दिया था और एकाकीपन जो उसे उसके भाग्य के द्वारा मिला था; प्यार के कारण ही उसकी मौत होगी का खौफ उसके आँखों मे बिल्कुल साफ दिखाई देता था। उस शहर का कोई भी व्यक्ति उसे देखकर यह पूरे विश्वास के साथ कह सकता था कि यह खुआना ला त्रिस्ते का ही बेटा है, बिल्कुल उसकी तरह ही इसकी आँखों की पलकें आँसुओं से नम रहती थीं लेकिन आँखों के बाहर नहीं छलकती थीं।  इस इलाके में अगर कभी भी किसी जगह पर कुछ बुरा घटित होता था, पुलिसकर्मी, लोगों के विरोध को शांत करने के लिए, अपने कुत्तों के साथ निकोलस विदाल को ढूंढने जाते थे, लेकिन पहाड़ियों के इर्द-गिर्द दो तीन चक्कर लगाने के बाद वे लोग खाली हाथ वापस लौट आते थे। वास्तव में वे लोग उसे ढूंढना नहीं चाहते थे, क्योंकि वे लोग उसके साथ भिड़ना नहीं चाहते थे। विदाल की टोली इस कदर कुख्यात थी कि छोटे-छोटे गाँवों से लेकर बड़े-बड़े कस्बों तक लोग उससे दूरी बनाये रखने के लिए हरजाना देते थे और वसूली के इन पैसों से उसके आदमी बिना कुछ किये ही शांति से जीवनयापन कर सकते थे, लेकिन निकोलस विदाल उनलोगों को हमेशा मौत और विनाश के चक्रवात में जुझने के लिये दौड़ाता रहता था ताकि मार-धाड़ के प्रति उनकी रुझान  कम ना हो जाए और उनके  दुर्दान्त आतंक घट ना जायें। वहाँ पर ऐसा कोई भी नहीं था जो इनलोगों के खिलाफ खड़े होने की हिम्मत रखता हो, एक या दो बार जज इदालगो ने सरकार से अपने अधिकारियों को मदद करने के लिए सेना की टुकड़ी भेजने की दरख्वाश्त की थी, लेकिन कुछ भाग-दौड़ व्यर्थ के बाद सब अपने-अपने बैरक वापस लौट गये और आवारों की टोली अपने पुराने चाल पर  वापस उतर गयी।

निकोलस विदाल सिर्फ एक ही बार कानून के जाल में फँसने के बहुत करीब था। वह किसी भाव को न समझने की असमर्थता के कारण बच गया। कानून की यह दुर्दशा देखकर परेशान जज इदालगो सारे न्यायसंगत उपायों को दरकिनार कर इन अपराधियों के लिए एक जाल तैयार करने का निर्णय लिया। उसे यह एहसास था कि वह कानून की रक्षा में एक जघन्य कृत्य करने के लिए जा रहा था, लेकिन दो बुरे तरीकों में से उसने कम बुरे वाले तरीके को चुना। केवल एक ही शिकार उसे दिखाई पड़ रहा था वह थी खुआना ला त्रिस्ते; क्योंकि विदाल का और कोई भी रिश्तेदार नहीं था और न ही उसकी कोई प्रेमिका थी। जज, खुआना को वेश्यालय से उठवा लिया जहाँ वह फर्श को चमका रही थी और उसे उसके आकार के बने पिंजरे में डलवा दिया और इस पिंजरे को प्लासा दे आर्मास के बीचो बीच रखवा दिया, एकमात्र एक जग पानी की सुविधा के साथ।  

   ’जब उस जग का पानी खत्म होगा, वह चिल्लाना शुरु कर देगी; तब उसका बेटा आयेगा और मैं अपने सिपाहियों के साथ उसका इंतजार करता रहूँगा,’ जज ने कहा।

      अपनी माँ पर हो रहे इस यातना की खबर निकोलस विदाल के कानों तक उस जग के पानी की अंतिम बूंद खत्म होने से पहले पहुँच चुकी थी। उसके आदमी नजर रख रहे थे जिससे उसे गुप्त रुप से सारी खबरें मिलती रहती थीं। शिकन की एक भी झलक उसके भावरहित चेहरे पर एकाकीपन के मुखौटे को पार करते नजर नहीं आता था।  ना ही वह अपनी चाकू को चमड़े के पट्टॆ पर तेज करने की एक शान्त लय को छोड़ा था। वह कई सालों से खुआना ला त्रिस्ते से नहीं मिला था और उसके जेहन में उसके बचपन की एक भी अच्छी यादें नहीं थीं; हालाँकि यहाँ भावुकता की बात नहीं थी, यहाँ प्रतिष्‍ठा व सम्मान का प्रश्‍न था। कोई भी मनुष्य इतना बड़ा अपमान नहीं सह सकता है। विदाल की टोली के लोगों को यह महसूस हुआ। उन्होंने अपने हथियार और घोड़े तैयार कर उन पर आक्रमण करने की पूरी तैयारी कर ली थी और अगर जरुरत पड़े तो अपनी जान तक देने को तैयार बैठे थे। लेकिन उनका नेता जल्दीबाजी करने के मूड में नहीं दिख रहा था।     

जैसे-जैसे समय बीत रहा था, उसकी टोली के लोगों के बीच तनाव बढ़ते जा रहा था। वे लोग पसीने से लथपथ एक दूसरे का मुँह ताक रहे थे, पर किसी को भी इस पर टिप्पणी करने का साहस नहीं था। इंतजार करते-करते व्याकुल, हाथ में अपने रिवाल्वर का घोड़ा, अपने घोड़े का चाबुक और रस्सियों का लच्छा पकड़े हुए तैयार बैठे थे। रात हो गयी थी और पूरे खेमे में एकमात्र निकोलस विदाल ही ऐसा आदमी था जो सो पाया था। सुबह में लोगों के विचार अलग-अलग थे; कुछ लोगों को यह लगा कि जितना वे जान पाये थे, विदाल उससे कहीं ज्यादा निर्दयी है। दूसरे लोगों का मानना था कि उनका नेता अपनी माँ को बचाने के लिए कोई नया और असाधारण तरीका तैयार कर रहा है। किसी ने ये नहीं सोचा था कि वह अपना साहस को कम कर सकता है, क्योंकि वो हमेशा अपने बल का प्रदर्शन करते रहता था। दोपहर तक सबलोग इस अनिश्‍चितता को और ज्यादा सहन नहीं कर पायें, और इस बारे में उससे पूछ्ने चले गये कि उसकी क्या योजना है?

  ’कुछ नहीं,’ उसने जबाव दिया।

  ’लेकिन तुम्हारी माँ का क्या होगा?’

  ’हमलोग देखेंगे कौन ज्यादा मर्द है?’- बिना विचलित हुए निकोलस विदाल बोला।

      तीसरे दिन तक खुआना ला त्रिस्ते और ज्यादा चीखने और पानी के लिए निवेदन करने के काबिल नहीं बची थी। उसकी  जीभ पूरी तरह सूख गये थे और आवाज गले में हीं दफन हो गयी थी। वह उस पिंजड़े के जमीन पर एक भ्रूण की तरह सिकुड़ी पड़ी थी, उसकी आँखों में कोई भाव नहीं था, उसके होठों में सूजन और दरार आ गयी थी। चार हथियारबंद आदमी कैदी औरत के पास तैनात रहते थे ताकि शहर के लोग उसे पानी ना दे पाएं। उसकी चीखें पूरे शहर में फैल चुकी थीं, ये चीखें बंद दरवाजे के अंदर भी प्रवेश कर रही थीं, हवाओं के साथ ये चीखें दरवाजों के दरारों से होकर कमरों के किनारों पर इकट्ठी हो जा रही थीं। कुत्ते इस चीख को अपने भौंकने की आवाज में शामिल कर ले रहे थ, नवजात बच्चे भी इस आवाज से काँप जा रहे थे। जो भी इसे सुनता उसकी नसें चरमरा जा रही थीं। जज प्लासा की ओर बढ़ती हुई स्त्रियों और पुरुषों की भीड़, इस बूढ़ी औरत के प्रति उनकी संवेदनाओं को सहन नहीं कर पा रहा था, न हीवैश्याओं के प्रति उनकी सहानुभूति को रोक पा रहा था। शनिवार को, कारखानों से आये गोल गर्दन वाले लोगों से गली भरा था, जो घर लौटने के पहले अपने बचाये हुये पैसों को खर्च करने के लिए उत्सुक थे। लेकिन इस सप्ताह पूरे शहर का ध्यान इस पिंजड़े के अलावा कहीं नहीं था, उस औरत के दर्द की कहानी एक मुँह से दूसरे मुँह तक पहुँच रही थी, उसकी कराह नदी के किनारों से मुख्य सड़क तक फैल रही थी। चर्च के कुछ लोगों को साथ लेकर पादरी जज इदालगो के पास उसे ईसाई धर्म की नैतिकता याद दिलाने आया और उस गरीब ईमानदार औरत को शहीद होने से पहले उसे छोड़ देने की विनती की। मजिस्ट्रेट ने अपने दफ्तर का दरवाजा खोला और उनलोगों की बात सुनने से साफ इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि खुआना ला त्रिस्ते को इस हालत मे एक दिन और रहना पड़ेगा और उसका बेटा उसके जाल में फँस जायेगा। समय आ गया था जब शहर के नेताओं ने दोन्या कासिल्दा से इस बारे में दरख्वाश्त करने का निर्णय लिया।

जज की पत्‍नी अपने घर के अंधेरे वाले कमरे में उनलोगों से मिली और शांति से ध्यानपूर्वक उनकी बातों को सुन रही थी, अपनी आँखें झुकायी हुई जैसा कि वह हमेशा करती थी। उसका पति तीन दिनों से घर से बाहर रह रहा था, निकोलस विदाल का इंतजार करते हुए व्यर्थ की प्रतिज्ञा के साथ अपने दफ्तर में बंद। यहाँ तक की वह खिड़की के पास भी नहीं जाता था, पर उसे बाहर घटित होने वाले सारी घटनाओं की जानकारी होती थी। इस भीषण उत्पीड़न की आवाज उसके घर के विशाल कमरों में भी पहुँच चुकी थी। उनलोगों के जाने के बाद कासिल्दा अपने बच्चों के साथ प्लासा की ओर चल पड़ी। उसके हाथ में खुआना ला त्रिस्ते के लिए एक टोकरी खाने का सामान और एक जग साफ पानी था। चौकीदारों ने उसे जैसे ही कोने पर मुड़ते देखा, उसके इरादे का अंदाजा लगा लिया। लेकिन उन्हें सख्त आदेश मिला हुआ था, इसलिए उनलोगों ने उसके सामने अपनी बंदूकें तान दीं और जब वह उससे आगे बढ़ने की कोशिश की तो एक अनुमानित भीड़ के सामने, वे लोग उसे आगे बढ़ने देने को रोकने के लिए उसकी बाहें पकड़ ली। बच्चों ने चिल्लाना शुरु कर दिया।

      जज इदालगो प्लासा के सामने अपने दफ्तर में ही था। वह शहर में एकमात्र ऐसा व्यक्ति था जो अपने कान को बंद नहीं किये हुए था, क्योंकि उसका पूरा ध्यान आक्रमण पर केन्द्रित था। वह निकोलस विदाल के घोड़े की आवाज का इंतजार कर रहा था। पूरे तीन दिन और तीन रात तक वह उस पीड़ित औरत की सिसकी और अपने दफ्तर के बाहर खड़ी भीड़ द्वारा अपना अपमान सहन कर रहा था, लेकिन जब वह अपने बच्चों की आवाज सुनी तो उसे यह एहसास हुआ कि अब यह उसके बर्दाश्त के बाहर हो गया है। वह अपनी बढ़ी हुई दाढ़ी के साथ जो बुधवार से ही बड़ी हो रही थी, पूरी तरह थका हुआ, इंतजार करते-करते लाल हुई आँखों के साथ और अपने कंधों पर हार जाने का बोझ लिये हुए, दफ़्तर से बाहर निकला। वह गली को पार करते हुए प्लासा की ओर बढ़ने लगा और अपनी पत्‍नी के नजदीक जा पहुँचा। दोनों दुःखी चेहरे के साथ एक-दुसरे को देख रहे थे, सात सालों में यह पहली बार था जब कासिल्दा पूरे शहर के सामने अपने पति का सामना करने की हिम्मत दिखा पायी थी। जज इदालगो दोन्या कासिल्दा के हाथों से टोकरी और पानी का जग लेकर स्वयं ही उस कैद औरत की मदद करने को पिंजरा खोल दिया।

  मैनें कहा था, उसके पास हिम्मत नहीं है, जितना मेरे पास है - निकोलस विदाल हँसते हुये बोला, जब उसने यह कहानी सुनी।

लेकिन उसकी यह अट्टहास अगले ही दिन कड़वाहट में बदल गयी जब उसे पता चला कि उसकी माँ खुआना ला त्रिस्ते उस वेश्यालय के सामने बिजली के खंभे पर खुद को फाँसी लगा ली, जहाँ उसने अपनी पूरी जिंदगी बितायी थी, क्योंकि वह प्लासा दे आर्मास के बीचों-बीच रखे उस पिंजड़े में अपने बेटे के द्वारा परित्यक्त होने का अपमान सहन नहीं कर सकी।

     ’जज का समय आ चुका है।’- विदाल बोला।

उसने यह योजना बनाई की रात में शहर में प्रवेश करने पर, चुपके से मजिस्ट्रेट को पकड़कर बड़ी चालाकी से मारकर उसे उसी पिंजड़े में डाल दिया जाये, ताकि विदाल के प्रतिशोध को अगले दिन जागते ही पूरा शहर देख सके। हालाँकि उसे पता चला कि इदालगो का परिवार समुद्र के किनारे स्पा लेने गया है, अपनी हार के बुरे स्वाद को जेह़न से निकालने के लिए।

विदाल और उसके आदमी बदला लेने के लिए जज इदालगो को बीच रास्ते मे एक सराय, जहाँ वे आराम करने के लिए रुके थे, से उठा लेने के मंसूबे के साथ उसका पीछा कर कर रहे थे, जिसकी भनक जज को लग गयी थी। यह जगह उनलोगों को पर्याप्‍त सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकता था, इसके लिये उनको पुलिस के पास जाना पड़ता। जज और उसके परिवार के पास मौके का फायदा उठाने के लिए पर्याप्त समय था क्योंकि उनलोगों की कार विदाल के घोड़ों से काफी तेज चलती थी। जज ने अंदाजा लगा लिया  था कि इतने समय में वह शहर पहुँच कर पुलिस की मदद ले सकता है। वह अपनी पत्‍नी और बच्चों को कार में बैठने को कहा और फिर  जमीन की ओर पैडल दबाया और तेज रफ्तार से सड़क पार करने लगा। उसके पास बचने के लिए पर्याप्‍त समय था जिसमें उसे शहर पहुँच जाना चाहिए था, लेकिन विधाता ने यह लिखा हुआ था कि इस दिन निकोलस विदाल उस औरत से मिलेगा जिससे वह पूरे जीवन भागता रहा था।

बिना सोये हुये कई रातें गुजारने से, शहर के लोगों का विरोध और शर्मिन्दगी जो उसे सहना पड़ा था और अपने परिवार को बचाने की जल्दबाजी के तनाव से बिल्कुल कमजोर, जज इदालगो का हृदय जोर-जोर से धड़कने लगा था और बिना शोर किये ही फट गया, हृदयाघात से। बिना ड्राईवर की यह कार सड़क पर चलती जा रही थी, हिचकोले खाते हुए एक किनारे पर जा लगी। दोन्या कासिल्दा को इस घटना को समझने में एक या दो मिनट लग गये। वह कभी-कभी अपने विधवा होने के स्थिति के बारे में सोचती थी क्योंकि उसका पति वास्तव में एक अधेड़ उम्र का है, लेकिन उसने यह कभी नहीं सोचा था कि वह इस तरह अपनी पत्नी को दुश्मनों के रहमत पर छोड़ देगा। हालाँकि उसके पास इस पर विचार करने का मौका नहीं था, क्योंकि वह जानती थी कि अगर उसे अपने बच्चों को बचाना है तो उसे जल्द ही कुछ करना पड़ेगा। शीघ्र ही उसने मदद के लिए इधर-उधर देखा। उसने खुद को एक ऐसे विरान जगह में पाया, जहाँ की धूप झुलसाने वाली थी और जहाँ आदमी का कोई नामोंनिशान नहीं था, केवल विकराल पहाड़ियाँ और चमकता हुआ उजला आकाश था। वह निस्सहाय होकर फूट-फूट कर रोने को ही थी कि उसे उस पहाड़ी के दूसरी ओर एक गुफा की परछाई दिखायी दी और अपने दो बच्चे को अपनी बाहों में और तीसरे को अपने पल्लू में बांध वह उस ओर दौड़ पड़ी। बारी-बारी से अपने बच्चों को लेकर तीन बार कासिल्दा गुफा की चढ़ाई पर चढ़ी। गुफा में किसी जानवर के न होने को लेकर आश्‍वस्त हो, उसने बिना एक आँसू बहाये, अपने बच्चों को चूमकर उनको अच्छी तरह वहाँ बिठा दिया।  

कुछ घंटो में पुलिस तुम्हें ढूंढते हुए आयेगी, तब तक किसी भी वजह से बाहर नहीं आना, यहाँ तक कि अगर तुम मेरी चीखने की आवाज सुनो, तब भी नहीं। समझे तुमलोग? उसने बच्चों को निर्देश दिया।

बच्चे डर से एक दूसरे से चिपके हुए थे और माँ अपने बच्चों को अंतिम बार देखने की सोच से उन्हें निहार कर विदा ले ली और पहाड़ी से नीचे उतर गयी। वह कार तक पहुँची, अपने पति के पलकों को बंद की, अपने बाल सुलझाये, और उनका इंतजार करने के लिए नीचे बैठ गयी। उसे नहीं पता था कि निकोलस विदाल की टोली में कितने आदमी हैं।

उसे ज्यादा देर इंतजार नहीं करना पड़ा। जल्द ही उसने जमीन से धूल उड़ते हुये देखा और घोड़े की तेजी से दौड़ने की टाप की आवाज सुनी। वह अपने दाँत किटकिटायी। हक्का बक्का होते हुए। उसने देखा की उससे कुछ ही मीटर दूर अपने घोड़े को लगाम देते हुए, हाथ में पिस्तौल लिए एक अकेला आदमी उसकी ओर आ रहा है। उसके चेहरे पर चाकू के निशान को देखते ही वह निकोलस विदाल को पहचान गयी। उसने अपने आदमियों के बिना अकेले ही जज के पीछा का निर्णय लिया था, क्योंकि उन दोनों के बीच सुलझाने के लिए यह एक निजी मामला था। तब वह समझ गयी कि उसे धीरे-धीरे मरने से भी और ज्यादा कठिन कुछ करना पड़ेगा।

      एक ही नजर में विदाल को यह समझ में आ गया था कि उसका शत्रु किसी सजा से परे, शांति से मौत की नींद में सो रहा है। लेकिन वहाँ पर उसकी पत्‍नी रौशनी की छाया में तैर रही थी। वह अपने घोड़े से उतरा और उसकी ओर बढ़ा। वह ना तो अपनी नजरें झुकायीं, ना हीं उससे दूर हठी और वह भौंचकका था, क्योंकि पहली बार किसी ने उसका सामना बिना किसी डर के भाव के साथ किया था। बहुत देर तक, वे एक दुसरे को शांति से आँक रहे थे, सामने वाले की ताकत का अंदाजा लगा रहे थे, और अपने खुद की दृढ़ता का आकलन कर वास्तविकता को स्वीकार कर रहे थे कि वे एक ताकतवर विपक्षी का सामना कर रहे हैं। निकोलस विदाल अपनी रिवाल्वर दूर हटा दिया और कासिल्दा मुस्कुरायी।

जज की पत्‍नी आने वाले समय के प्रत्येक क्षण को अपने पक्ष मे करना चाहती थी। वह उसे रिझाने की हर उपाय की जो मानव के ज्ञान शुरु होने के समय से ही बरकरार था, और दूसरी बात यह थी कि अपनी जरुरत से प्रेरित होकर वह उस आदमी की इंद्रियों की सभी कामूक लिप्साओं को तृप्त करने के लिए एकाएक खुद को प्रस्तुत कर दी थी। उसने आनन्द की खोज में अपने प्रत्येक तार को झंकृत कर एक दक्ष शिल्पकार की तरह न केवल अपने शरीर को तैयार किया बल्कि उसने अपनी आत्मा की निर्मलता को इस कारण दांव पर लगा दिया। उन दोनों को यह पता था कि वे अपने जीवन के साथ खेल रहे थे और यह सचेतता उनके इस आकस्मिक मिलन में और तीव्र प्रचण्डता ला रही थी। निकोलस विदाल जन्म से ही स्त्री के प्रति प्रेम से भागता रहा था, वह प्रेमिका से मिलने वाली निकटता, कोमलता, अतरंग खुशी, इंद्रियों की तृप्तता और इस आनन्दपूर्ण अनुभव से अनभिज्ञ था। जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा था, पुलिस की टुकड़ी उनलोगों के नजदीक पहुँचते जा रही थी, और विदाल वैसे-वैसे इस अस्वभाविक और असाधारण औरत की ओर नजदीक आता जा रहा था। ऐसा लग रहा था विदाल इस अभूतपूर्व क्षण के बदले में स्वेच्छा से खुद को पुलिस के हवाले करने को तैयार है।

कासिल्दा एक शालीन और शर्मिली औरत थी, इस अविस्मरणीय शाम के दौरान, वह अपने इरादे को नहीं भूली थी कि उसका उद्देश्य समय बिताना है, लेकिन किसी एक क्षण में वह खुद को इंद्रियों के आनन्द में छोड़ देती थी और इस आदमी के प्रति एक आभार के जैसा कुछ महसूस कर रही थी, इसलिए जब उसने दूर से पुलिस की टुकड़ी की आने की आवाज सुनी तो वह उसे भाग जाने के लिये आग्रह की। निकोलस विदाल ने उसे अपनी बाँहों में भर अंतिम बार उसे चूमने को आगे बढ़ा । और इस प्रकार वह भविष्यवाणी सही साबित हुई जो उसके भाग्य में लिखा था। 
                        

अनुवादक : दिव्या सलोनी, शोधार्थी स्पेनिश भाषा साहित्यजवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय, दिल्ली 

ई-मेल : shailesh281289@gmail.com
अपनी माटी (ISSN 2322-0724 Apni Maati) वर्ष-5, अंक 28-29 (संयुक्तांक जुलाई 2018-मार्च 2019)  चित्रांकन:कृष्ण कुमार कुंडारा

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