स्वरोजगारपरक महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का अध्ययन
(उत्तराखण्ड राज्य के चमोली जनपद, विकासखण्ड जोशीमठ के सन्दर्भ में)
नीरू बिष्ट एवं डा0 भोपाल सिंह रावत
शोध सार : प्रस्तुत शोध पत्र
उत्तराखण्ड राज्य जनपद
चमोली के जोशीमठ
ब्लाॅक के अनतर्गत
लिखा गया है। इस शोध
पत्र में स्वरोजगार
करने वाली महिलाओं
की सामाजिक एवं
आर्थिक स्थिति का
अध्ययन शोधार्थिनी द्वारा
किया गया है। इसके अतिरिक्त
शोधार्थी का यह
भी प्रयास रहा
है कि स्वरोजगार
से महिलाओं में
आत्मनिर्भरता व उनके
सशक्तिकरण को भी
अपने शोध पत्र
से उजागर कर
सके। इसमें कुल
200 महिला उत्तरदाताओं शहरी-ग्रामीण
को चयनित किया
गया है। सभी महिला उत्तरदाताओं
की आयु 21 वर्ष
से 50 वर्ष के मध्य है।
आंकड़ों के संकलन
हेतु साक्षात्कार अनुसूची
व सर्वेक्षण विधि
का प्रयोग किया
है। प्राप्त आंकड़ों
के आधार पर उत्तरदाता निम्न पढ़े-लिखे हैं,
जिनको कि सरकार
द्वारा दी जाने वाली योजनाओं
की जानकारी है।
इस प्रकार शहरी
एवं ग्रामीण क्षेत्रों
में स्वरोजगार करने
वाली महिलाएं पुरुषों
के समान खुद
का व्यवसाय कर
अपना सामाजिक-आर्थिक
सशक्तिकरण कर रही
हैं।
की-वर्डस - स्वरोजगार
महिला सशक्तिकरण, सामाजिक
आर्थिक विकास
प्रस्तावना
हमारे देश
में अधिकांश पुरुषों
की तुलना में
महिला उद्यमी का
उच्च प्रतिशत अर्थव्यवस्था
का हिस्सा रहा
है, जिसमें कि
94 प्रतिशत महिलाएं
हैं। महिलाओं की
अपनी अनेकों जिम्मेदारियों
के चलते महिलाएं
अपनी योग्यता एवं
कौशलों का विकास
नहीं कर पाती हैं। पारिवारिक
दायित्वों एवं बच्चों
की परवरिश में
ही उनका जीवन
निकल जाता है।
परन्तु, आज के इस पढ़े-लिखे दौर
में महिलाएं अपने
कौशलों का उचित उपयोग कर
अपने ही घर से अपना
व्यवसाय शुरु कर रही हैं।
इसके पश्चात सरकार
द्वारा भी महिलाओं
को प्रशिक्षित बनाने
के लिए कई कदम उठाए
गए हैं जिनमें
औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई)
में 30 प्रतिशत सीटें
महिलाओं की आरक्षित
हैं। महिलाओं
के लिए विश्ष्टि
राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण
संस्थान दो योजनाओं
के तहत प्रशिक्षण
प्रदान करते हैं।
शिल्पकार प्रशिक्षण योजना (सीटीएस)
और शिल्प प्रशिक्षक
प्रशिक्षण योजना (सीआईएटीएस)
इनके साथ-साथ प्रधानमंत्री कौशल विकास
योजना भी महिलाओं
को प्रशिक्षित करती
है। ग्रामीण क्षेत्रों
में भी महिला
मंगलदल, स्वयं सहायता
समूह आदि से जुड़कर भी
महिलाएं अपना आर्थिक
सामाजिक विकास कर
रही हैं। स्वरोजगार
से सभी वर्ग
की महिलाएं चाहे
कम पढ़ी लिखी
हों या अधिक सभी अपने
स्तर से सशक्त
व आत्मनिर्भर हो
रही हैं। वर्तमान
परिदृश्य में महिलाएं
अपना स्वरोजगार अनेक
क्षेत्रों में शुरु
कर अहम भूमिका
निभा रही हैं।
हमारे राज्य में
भी महिलाएं निम्न
प्रकार के स्वरोजगार
को अपनाकर विदेशों
में भी अपनी अलग पहचान
बना रही हैं।
स्वरोजगार
के क्षेत्र-
1. मत्सय पालन
2. फल उत्पादन
3. धूप-अगरबत्ती
4. आटा चक्की
5. दुकानदारी
6. बुनाई (उनी वस्त्र),
सिलाई, जूस, चटनी
आचार, पिसा नमक,
चैलाई के लड्डू,
रिंगाल का काम, गुलाब
की खेती, दुग्ध
उत्पादन, मशरूम उत्पादन
आदि।
इन
उद्योगों से सम्बन्धित
कार्य के लिए हमारी सरकार
सब्सिडी पर महिलाओं
को लोन उपलब्ध
कर उनका सहयोग
कर रही है। स्वरोजगार को अपनाकर
ग्रामीण एवं शहरी
क्षेत्रों की महिलाएं
अपने परिवार का
भी आर्थिक विकास
कर रही हैं।
अध्ययन
के उद्देश्य
1. स्वरोजगार से जुड़ी
महिलाओं की सामाजिक
आर्थिक स्थिति का
अध्ययन करना।
2. स्वरोजगारपरक
महिलाओं की आय का स्तर
का अध्ययन करना।
शोध
की परिकल्पनाएं -
प्रस्तुत शोध में शून्य परिकल्पनाओं
का प्रतिपादन किया
गया है।
1. स्वरोजगार से जुड़ी
महिलाओं की सामाजिक
आर्थिक स्थिति में
कोई सार्थक अन्तर
नहीं है।
2. स्वरोजगारपरक
महिलाओं की आय के स्तर
में कोई सार्थक
अन्तर नहीं है।
शोध
प्राविधि –
प्रस्तुत
शोध पत्र विवरणात्मक
एक मात्रात्मक शोध
प्राविधि के अन्तर्गत
शामिल है। इसमें
सभी उत्तरदाता महिलाएं
खुद के व्यवसाय
से जुड़ी हुयी
हैं। जिनकी आयु
सीमा 21 -50 वर्ष के
मध्य है। उत्तरदाता
क चयन हेतु
लाटरी विधि का प्रयोग किया
गया जिसमें 100 ग्रामीण
व 100 शहरी क्षेत्र
की महिलाएं शामिल
की गयी हैं।
इसमें महिला उत्तरदाताओं
की पारिवारिक आय,
शैक्षिक योग्यता व
स्वरोजगार से सशक्तिकरण
व आत्मनिर्भरता की
सम्भावना आदि को
दर्शाया गया है। प्राथमिक आंकड़ों के
संकलन हेतु साक्षात्कार
अनुसूची एवं सर्वेक्षण
विधि का प्रयोग
किया गया है तथा द्वितीयक
आंकड़ों के लिए सम्बन्धित शोध पत्र,
पत्रिकाएं इन्टरनेट पर जानकारियों
का अध्ययन किया
गया है।
अध्ययन
क्षेत्र -
शोध पत्र
में चयनित अध्ययन
क्षेत्र के रूप में उत्तराखण्ड
के चमोली जिले
के जोशीमठ ब्लाॅक
के शहरी एवं
ग्रामीण क्षेत्र का
चयन किया गया
है, जो निम्न
प्रकार से है-
तालिका क्रमांक
-01
शोध हेतु
चयनित उत्तरदाताओं की
स्थिति जिला -चमोली
ब्लाक -जोशीमठ
शहरी क्षेत्र |
उत्तरदाताओं
की संख्या |
ग्रामीण क्षेत्र |
उत्तरदाताओं
की संख्या |
सुनील |
15 |
टंगणी |
10 |
रविग्राम |
14 |
तपोवन |
12 |
सिंहधार |
25 |
रैणी |
16 |
परसारी |
26 |
भल्लागांव |
13 |
डाडों |
20 |
उर्गम |
14 |
- |
|
बडागांव |
20 |
- |
|
सलूडडँुग्रा |
15 |
योग |
100 |
योग |
100 |
कुल योग |
100+++$100 += 200 |
तालिका क्रमांक
-02
चयनित उत्तरदाताओं
के स्वरोजगार क्षेत्र’’
क्र.सं. |
व्यवसायिक
क्षेत्र |
संख्या (शहरी) |
प्रतिशत |
संख्या (ग्रामीण) |
प्रतिशत |
1 |
दुग्ध उत्पादन |
10 |
10 |
25 |
25 |
2 |
दुकानदारी |
19 |
19 |
03 |
3 |
3 |
सिलाई |
08 |
8 |
08 |
8 |
4 |
बुनाई |
05 |
5 |
12 |
12 |
5 |
धूप अगरबत्ती |
03 |
3 |
06 |
6 |
6 |
फल उत्पादन |
03 |
3 |
11 |
11 |
7 |
ब्यूटी पाॅर्लर |
18 |
18 |
04 |
4 |
8 |
जूस/चटनी/अचार |
10 |
10 |
09 |
09 |
9 |
मत्स्य पालन |
- |
- |
02 |
2 |
10 |
गुलाब की खेती |
07 |
7 |
04 |
4 |
11 |
कृषि |
05 |
5 |
08 |
8 |
12 |
रिंगाल का कार्य |
- |
- |
05 |
5 |
13 |
होम स्टे |
12 |
12 |
03 |
3 |
|
योग |
100 |
100 |
100 |
100 |
तालिका क्रमांक
2 से स्पष्ट होता
है कि स्वरोजगार
करने वाली चयनित
उत्तरदाता महिलाओं में शहरी
क्षेत्र में सर्वाधिक
19 प्रतिशत दुकानदारी जबकि ग्रामीण
क्षेत्र में सर्वाधिक
दुग्ध उत्पादन क्षेत्र
में 25 प्रतिशत महिलाएं
संलग्न हैं। सिलाई
में शहरी व ग्रामीण उत्तरदाता समान
8 प्रतिशत हैं, बुनाई
क्षेत्र में शहरी
3 प्रतिशत तथा ग्रामीण
6 प्रतिशत, फल उत्पादन
क्षेत्र में शहरी
3 प्रतिशत व ग्रामीण
11 प्रतिशत, ब्यूटी पाॅर्लर
क्षेत्र में शहरी
18 प्रतिशत व ग्रामीण
4 प्रतिशत, जूस/चटनी/अचार क्षेत्र
में शहरी 10 प्रतिशत
तथा ग्रामीण 9 प्रतिशत,
मत्स्य पालन में
केवल ग्रामीण का
2 प्रतिशत है। गुलाब
की खेती में
शहरी 7 प्रतिशत व
ग्रामीण 4 प्रतिशत, कृषि क्षेत्र
में शहरी 5 प्रतिशत
व ग्रामीण 8 प्रतिशत,
रिंगाल आदि के कार्य में
केवल ग्रामीण महिलाए
5 प्रतिशत संलग्न हैं।
होम स्टे स्वरोजगार
क्षेत्र में शहरी
उत्तरदाता 12 प्रतिशत जबकि ग्रामीण
उत्तरदाता केवल 3 प्रतिशत
संलग्न हैं।
उपरोक्त विश्लेषण से
जानकारी प्राप्त होती
है कि शहरी उत्तरदाता कम शारीरिक
श्रम वाले स्वरोजगार
जबकि ग्रामीण उत्तरदाता
अधिक शारीरिक श्रम
वाले स्वरोजगार में
संलग्न हैं।
तालिका क्रमांक
- 03
चयनित उत्तरदाताओं
की स्वरोजगार से
प्राप्त मासिक आय
क्र.सं. |
मसिक आय |
शहरी |
ग्रामीण |
|
|
संख्या |
प्रतिशत |
संख्या |
प्रतिशत |
1 |
4 से कम |
06 |
6 |
15 |
2 |
4-6 |
09 |
9 |
36 |
3 |
6-8 |
15 |
15 |
22 |
4 |
8-10 |
22 |
22 |
17 |
5 |
10 से अधिक |
48 |
48 |
10 |
|
योग |
100 |
100 |
100 |
तलिका क्रमांक
03 से स्पष्ट होता
है कि स्वरोजगार
क्षेत्र में संलग्न
उत्तरदाता महिलाओं में 4 हजार
रुपये तक प्रतिमाह
कमाने वाली शहरी
6 प्रतिशत जबकि ग्रामीण
15 प्रतिशत हैं। 4-6 हजार रुपये
प्रतिमाह आमदनी में
शहरी 9 प्रतिशत व
ग्रामीण 36 प्रतिशत हैं।6-8 हजार
रुपये प्रतिमाह कमाने
वाली शहरी 15 प्रतिशत
जबकि ग्रामीण 22 प्रतिशत
हैं, 8-10 हजार रुपये
प्रतिमाह आमदनी में
शहरी 22 प्रतिशत व
ग्रामीण 17 प्रतिशत हैं तथा
10 हजार रुपये से
अधिक प्रतिमाह कमाने
में शहरी उत्तरदाता
सर्वाधिक 48 प्रतिशत जबकि ग्रामीण
न्यूनतम 10 प्रतिशत हैं।
उपरोक्त विश्लेषण से
स्पष्ट है कि शहरी उत्तरदाता
महिलाओं की मासिक
कमाई ग्रामीण उत्तरदाताओं
की तुलना में
अधिक है।
तालिका क्रमांक
- 04
‘‘चयनित उत्तरदाताओं
की शैक्षिक स्थिति’’
क्र.सं. |
शैक्षिक स्तर |
शहरी |
ग्रामीण |
||
संख्या |
प्रतिशत |
संख्या |
प्रतिशत |
||
1 |
निरक्षर |
- |
- |
3 |
3 |
2 |
5वीं |
06 |
6 |
11 |
11 |
3 |
8वीं |
09 |
9 |
13 |
13 |
4 |
10वीं |
12 |
12 |
18 |
18 |
5 |
12वीं |
29 |
29 |
38 |
38 |
6 |
स्नातक |
24 |
24 |
10 |
10 |
7 |
स्नातकोत्तर |
12 |
12 |
04 |
4 |
8 |
अन्य |
08 |
8 |
03 |
3 |
|
योग |
100 |
100 |
100 |
100 |
तलिका संख्या
-04 से उत्तरदाता महिलाओं
की शैक्षणिक स्थिति
को देखें तो
पता चलता है कि स्वरोजगार
में संलग्न महिला
उत्तरदाताओं में शहरी
कोई भी निरक्षर
नहीं है जबकि ग्रामीण में सबसे
कम 3 प्रतिशत निरक्षर
हैं। 5वीं में शहरी 6 प्रतिशत
व ग्रामीण 11 प्रतिशत,
8वीं तक शहरी
9 प्रतिशत व ग्रामीण
13 प्रतिशत, 10वीं तक
शहरी 12 प्रतिशत तथा
ग्रामीण 18 प्रतिशत, 12वीं तक शहरी 29 प्रतिशत जबकि
ग्रामीण 38 प्रतिशत, स्नातक तक
शहरी 24 प्रतिशत व
ग्रामीण 10 प्रतिशत, स्नातकोत्तर तक
शहरी 12 प्रतिशत जबकि
ग्रामीण 4 प्रतिशत हैं। अन्य
प्रकार के व्यवसायिक
डिप्लोमा आदि में
शहरी उत्तरदाता 8 प्रतिशत
जबकि ग्रामीण 3 प्रतिशत
हैं।
उपर्युक्त विश्लेषण से
पता चलता है कि वर्तमान
समय में स्वरोजगाररत्
शहरी महिला उत्तरदाताओं
की शैक्षणिक स्तर,
ग्रामीण उत्तरदाता महिलाओं
की तुलना में
उच्च है। जिस कारण शहरी
उत्तरदाता महिलाओं ने ऐसे स्वरोजगार क्षेत्र चुने
हैं जिसमें शारीरिक
श्रम कम व आय अधिक
होती है।
सुझाव-
1. किसी भी देश
के ग्रामीण एवं
शहरी क्षेत्रों की
स्वरोजगार करने वाली
महिलाओं को आत्मनिर्भर
व सशक्त बनाने
के लिए शासन
को महिला स्वरोजगार
के क्षेत्र में
कई नवीन कार्यक्रम
व योजनाओं का
संचालन करना चाहिए।
2. स्वरोजगारपरक
महिलाओं की समस्याओं
के लिए महिलाओं
सम्बन्धी कार्यक्रमों को प्रोत्साहित
किया जाना चाहिए।
3. स्वरोजगार को बढ़ावा
देने के लिए विद्यालय स्तर से ही व्यावसायक
शिक्षा पर भी जोर दिया
जाना चाहिए।
4. महिलाओं को अपना
व्यवसाय शुरू करने
क ेलिए उचित
लोन की व्यवस्था
होनी चाहिए।
5. महिलाओं को उनके
खुद के व्यवसाय
सम्बन्धी प्रशिक्षणों के लिए ग्रामीण स्तर पर समय-समय
पर गोष्ठियां करायी
जानी चाहिए।
6. ग्रामीण एवं शहरी
क्षेत्रों में महिला
समूहों, महिला मंगलदल
व अन्य महिला
संगठनों को आगे बढ़ने की
दिशा में नवीन
प्रयास किये जाने
चाहिए।
निष्कर्ष-
स्वरोजगार महिला सशक्तिकरण
का एक महत्वपूर्ण
साधन है। यह महिलाओं को अपने निर्णय लेने
के अधिकार देता
है। महिलाओं को
अपने व्यवसाय को
चुनने की स्वतन्त्रता
देता है। स्वरोजगार
के द्वारा महिलाओं
ने देश में अनेकों क्षेत्रों
में अपनी नयी
पहचान बनायी है।
हमारे देश में जहां जन
संख्या की अधिकता
है, वहां पर सभी को
रोजगार देना सरकार
के लिए सम्भव
नहीं है। इसलिए
स्वरोजगार महिलाओं के लिए सशक्तिकरण का अच्छा
माध्यम है। स्वरोजगार
से महिलाओ ने
समाज में अपनी
एक अलग पहचान
बना रखी है, जो कि
देश के विकास
में भी पुरुषों
के बराबर योगदान
दे रही है। सरकार द्वारा
महिलाओं को आर्थिक
रूप से मजबूत
बनाने के लिए स्वयं सहायता
समूह बनाये गये
हैं जिनके अन्तर्गत
अनेकों महिला समूहों
में स्वरोजगार के
कई रूप देखने
को मिल रहे हैं। जिससे
महिलाओं के जीवन पर सकारात्मक
प्रभाव देखने को
मिल रहा है। जिससे महिलाओं
में आत्मविश्वास व
अपने निर्णय लेने
की क्षमता का
भी विकास हुआ
है व अपने निर्णय लेने
की क्षमता का
भी विकास हुआ
है व अपनी सामाजिक आर्थिक स्थिति
में सुधार किया
है।
स्वरोजगार के क्षेत्र
में बढ़ती हुयी
महिलाओं की भागीदारी
को हम कह सकते हैं
कि महिलाएं अपनी
पारिवारिक जिम्मेदारियों को सम्भालने
के साथ-साथ समाज में
अपनी एक अलग पहचान बना
रही है। महिलाएं
अपने घर से ही अपने
छोटे व्यवसाय
को शुरु कर अपनी व
देश के आर्थिक
विकास में अहम भूमिका निभा
रही है।
अतः अन्त
में हम कह सकते हैं
कि हमारे उत्तराखण्ड
राज्य की ग्रामीण
एवं शहरी क्षेत्रों
की महिलाएं भी
पुरुषों के समान स्वरोजगार को अपना कर आत्मनिर्भर
एवं सशक्त बन
अपने देश व राज्य का
नाम रोशन कर रही हैं।
सन्दर्भ-
1. https://www.pravakta
.com.women
2. https://devbhoomidarshan.in/women-empower.in uttarakhand/.
3. https://m.khaskkabar.com-news
4. अनिल कुमार इंटरप्राइज लोकेशन उद्यमियों की पसंद।
5. डा0 राकेश कुमार आर्य; महिला सशक्तिकरण और भारत
प्रकाशक डायमंड पाॅकेट बुक्स (प्रा.) लि. ग्- 30 ओखला इंडस्ट्रियल एरिया, फेज-2, नई
दिल्ली- 110020
6. स्वरोजगार
मार्गदर्शिका द्वितीय संस्करण उद्यमिता विकास केंद्र मध्य प्रदेश 60 जेल रोड जहागीराबाद
भोपाल 1999
7. दासगुप्ता भी (फरवरी 2004) एंटरप्रेन्योरल मोटिवेशन
पुरुष और महिला उद्यमियों का तुलनात्मक अध्ययन रिसर्च पेपर नेशनल मे प्रस्तुत किया
गया महिला उद्यमिता एमएस विश्वविद्यालय बड़ोदरा पर संगोष्ठी
डा0
भोपाल सिंह रावत नीरू
बिष्ट
एसोसिएट
प्रोफेसर शोधार्थी
शिक्षा
विभाग शिक्षा
विभाग
हिमगिरी
जी विश्वविद्यालय हिमगिरी
जी विश्वविद्यालय
देहरादून देहरादून
ईमेल - neerubist.838@gmail.com
अपनी माटी (ISSN 2322-0724 Apni Maati) अंक-39, जनवरी-मार्च 2022
UGC Care Listed Issue चित्रांकन : संत कुमार (श्री गंगानगर )
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