चित्तौड़गढ़ (राजस्थान) से प्रकाशित त्रैमासिक पत्रिका
अपनी स्थापना के 12वें वर्ष में प्रवेश
अपनी माटी
( साहित्य और समाज का दस्तावेज़ीकरण )
दृश्यकला विशेषांक
अतिथि संपादक
तनुजा सिंह
प्रोफ़ेसर, चित्रकला विभाग, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर(राज.), tanujaji30@gmail.com
संदीप कुमार मेघवाल
सहायक आचार्य, दृश्यकला विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश, sandeepart01@gmail.com
सहयोग : दिव्या त्रिपाठी, जूही यादव एवं शेरिल गुप्ता
आवरण सज्जा : सुरेन्द्र सिंह चुण्डावत (उदयपुर)
आवरण चित्र : संदीप कुमार मेघवाल
अनुक्रमणिका
सम्पादकीय
लोक एवं शास्त्रीय परम्परा
- भारतीय लोक संस्कृति में शगुन प्रतीक चिन्हों की अवधारणा / शकुन्तला महावर
- पिछवाई चित्रण में युगांतर बदलते प्रतिमान / पुष्कर लोहार
- नरक की अवधारणा और दृश्यगत अभिव्यक्ति / शाहिद परवेज
- आदिम कला का अमूर्तवादी दृष्टिकोण / शेरिल गुप्ता
- भारतीय पौराणिक साहित्य में चित्रकला का उल्लेख / जगदीश प्रसाद मीणा
- भारतीय शास्त्रीय चित्रकला में नव-शास्त्रीयता के बीज / संदीप कुमार मेघवाल एवं दिव्या त्रिपाठी
- श्रृंगार और विरह के प्रतीकात्मक भावों का तुलनात्मक अध्ययन : रसिकप्रिया के संदर्भ में / श्रेया शर्मा एवं बीना जैन
- लिखित आख्यान और चित्र : भारतीय चित्रकला में लिखित आख्यानों के सौंदर्य संबंधी पहलुओं की खोज / प्रतिमा
- रामगोपाल विजयवर्गीय के चित्र सृजन में नारी सौन्दर्य का रूपांकन / सुनिता मीणा
- चित्तौड़गढ़ दुर्ग के स्थापत्य परिदृश्य में गणेश प्रतिमाओं का स्थान और संदर्भ / संजय कुमार मोची एवं लक्ष्मण लाल सरगडा
सौन्दर्य मान
समानान्तर कला
- समकालीन कला में युवा उपस्थिति / चेतन औदिच्य
- भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में समकालीन राष्ट्रवादी कला का प्रभाव / सदाय चन्द्र दास
- समसामयिक कला प्रवृत्तियां और कला समीक्षा / स्वाति लोढा एवं मदन सिंह राठौड़
- भारतीय भूमि लोक चित्रण का समकालीन तंत्र चित्रकला पर प्रभाव / अभिषेक चौरसिया एवं किशोर इंगले
- भारतीय समकालीन महिला कलाकारों की कला में प्रयोगशीलता के स्वर / अर्चना रानी
- भारतीय समकालीन चित्रकला में सामाजिक दृष्टिकोण और उसकी प्रयोगात्मक दिशा / प्रशांत कुवर एवं शिवानंद बंटानूर
- स्वाधीन भारत में आधुनिक कला की नई परिभाषा गढ़ते अग्रणी दृश्य कलाकार / अनिता यादव एवं आई. यू. खान
- उत्तर प्रदेश के कला में क्षेत्रीय कला केंद्र लखनऊ का योगदान / त्रिभुवन कुमार
- भारतीय दृश्य कला का समकालीन परिदृश्य एवं प्रयोगवादी प्रवृतियाँ / चानण मल एवं लोकेश जैन
- राजस्थान की समसामयिक कला में आराइश की चित्रण विधि एक परिचय / कमल कुमार मीना
- समकालीन कला में संकेत, प्रतिरूप और व्यवस्था / निधि शर्मा
- कला में सामग्रियों का नव विनियोग / रमाकांत
- कोच्चि-मुजिरिस बिनाले : संस्कृति और रचनात्मकता का कैनवास / कुमुदिनी भरावा
छापाचित्रण
कला शिक्षा
वैश्विक कला दर्शन
- वैश्विक कला परिदृश्य में भारतीय दृश्य कला की अवस्थिति / विजय मा. ढोरे, गुरुचरण सिंह एवं लकी टोक
- वैश्विक कला परिदृश्य में भारतीय नारी सौन्दर्य : किशनगढ़ चित्र शैली के सन्दर्भ में / महेश कुमार कुमावत
- भारतीय समकालीन दृश्यकला का वैश्विक परिदृश्य / सोनल भारद्वाज एवं कृष्ण कुंद्रा
- उत्तरप्रदेश में समकालीन कला की प्रवृतियाँ और उनका वैश्विक प्रभाव / जूही यादव एवं संदीप कुमार मेघवाल
नए विधि विधान
- समकालीन कला में एक माध्यम के रूप में कागज की खोज तकनीक, सौंदर्यशास्त्र और अभिव्यक्ति / नैना सोमानी
- डिजिटल कला में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग (ML) का उपयोग / रितेश जोशी एवं मनीष कुमार भट्ट
- ग्रामीण भारत में महिला सशक्तिकरण पर सामाजिक विज्ञापन का प्रभाव, एक सर्वेक्षणात्मक अध्ययन / ऐश्वर्या जायसवालएवं कुमार जिगीषु
- केनवास से डिजिटल स्क्रीन : कलात्मक अभिव्यक्ति के बदलते आधार / सूरज सोनी
- दृश्य कला में नए रुझान और रंग योजनाएँ / मनोज कुमार एवं गगन गंभीर
साक्षात्कार/कला सर्जक
- कागज़ और कलम का रिश्ता, जो रोशनाई से रोशन है : हरिशंकर बालोठिया से सुरेश चंद्र जाँगिड़ की बातचीत / सुरेश चन्द्र जांगिड
- चित्रकला में शारीरिक भाषा, भाव-भंगिमा एवं अभिव्यक्ति : कला विशेषज्ञों से संवाद / सचिन सैनी
- मारिना अब्रामोविच की परफ़ॉर्मेंस कला में मौन की भूमिका / बिलासेंदु शिल एवं स्वप्ना बिस्वास
- कलाकार रामकुमार के चित्रों की अभिव्यक्ति / विकास चन्द्र
- प्रमुख समकालीन दृश्य कलाकार : अमूर्त चित्रकार श्री प्रकाश बाल जोशी / मधु सिंह
- गोपालस्वामी खेतांची के चित्रों में नारीत्व सौन्दर्य / रवि प्रसाद कोली
कला यात्रा वृतांत
चित्र से चलचित्र
काव्य एवं चित्र
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परामर्श मंडल
राजेश चौधरी, अशोक जमनानी, गजेन्द्र पाठक, पयोद जोशी, तनुजा सिंह, नीलम राठी, मनीष रंजन, गजेन्द्र मीणा, राजकुमार व्यास, विंध्याचल यादव, मोहम्मद फ़िरोज़ अहमद, मुकेश कुमार मिरोठा, दीनानाथ मौर्य, जितेंद्र थदानी, गंगा सहाय मीणा
सम्पादकीय मंडल
सौरभ कुमार, प्रवीण कुमार जोशी, विष्णु कुमार शर्मा, मैना शर्मा, गोपाल गुर्जर, प्रशान्त कुमार, कविता सिंह, अभिनव सरोवा,
संदीप कुमार मेघवाल, बृजेश यादव, हेमेन्द्र सिंह सारंग देवोत, संतोष विश्नोई, हेमंत कुमार, भावना, विशाल विक्रम सिंह
प्रूफ रीडर्स क्लब
शेरिल गुप्ता, जितेन्द्र कुमार, विकास शुक्ल
पोर्टल प्रबंधन एवं प्रकाशन
गुणवंत कुमार, अर्जुन कुमार, दीपक कुमार, विक्रम कुमार
डिजायन एवं डिजिटल मार्केटिंग
चंद्रशेखर चंगेरिया (कुमावत), चेतन प्रकाशन चित्तौड़गढ़
आर्थिक सहयोग
Apni Maati Sansthan, A/c. Nu.: 33444603964, IFSC Code : SBIN0006097
State Bank of India, Branch : Chittorgarh (Rajasthan)
प्रकाशक
'अपनी माटी संस्थान चित्तौड़गढ़' ( पंजीयन संख्या 50 /चित्तौड़गढ़/2013 )
सम्पादकीय / पंजीकृत कार्यालय
कंचन-मोहन हाऊस,1, उदय विहार, महेशपुरम रोड़, चित्तौड़गढ़-312001,राजस्थान
वाट्स एप : 9460711896 (माणिक) 9001092806 (जितेन्द्र यादव)
*सभी कानूनी विवादों के लिये क्षेत्राधिकार चित्तौड़गढ़, राजस्थान होगा। प्रकाशित सभी सामग्री के विषय में किसी भी कार्यवाही हेतु संचालक/संचालकों का सीधा उत्तरदायित्त्व नही है अपितु लेखक उत्तरदायी है। आलेख की विषयवस्तु से संचालक की सहमति/सम्मति अनिवार्य नहीं है। यदि कोई भी असंवैधानिक सामग्री प्रकाशित हो जाती है तो वह तुंरत प्रभाव से हटा दी जाएगी। पाठक कोई भी आपत्तिजनक सामग्री पाते हैं तो तत्काल सूचित करिएगा।
दृश्यकला के विविध आयामों पर मौलिक नजरिया पेश करता हुआ अंक!
जवाब देंहटाएंसम्माननीय संपादकीय एवं संपादक मंडल,
जवाब देंहटाएं"अपनी माटी" द्वारा प्रकाशित दृश्यकला विशेषांक और बाल साहित्य विशेषांक को देखकर मन अत्यंत प्रसन्न हुआ। इन विशेषांकों में प्रस्तुत सामग्री ने न केवल साहित्य और कला के प्रति गहरी समझ विकसित की है, बल्कि यह एक अमूल्य संग्रह के रूप में उभरा है।
आप सभी की मेहनत, लगन और दृष्टिकोण सराहनीय है। हर आलेख, रचना और विचार में आपकी संपादकीय टीम की उत्कृष्टता झलकती है। बाल साहित्य विशेषांक ने बच्चों की कल्पना और जिज्ञासा को नया आयाम देने का कार्य किया है, वहीं दृश्यकला विशेषांक ने कला की बारीकियों और सौंदर्य को बखूबी उजागर किया है।
आपके इस प्रयास ने साहित्य और कला प्रेमियों के लिए प्रेरणादायक सामग्री प्रस्तुत की है। मैं अपनी ओर से पूरी संपादकीय टीम और संपादक मंडल को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई देता हूँ। भविष्य में भी आपकी पत्रिका इसी तरह नए आयाम स्थापित करती रहे, यही मेरी कामना है।
सादर,
डॉ मोहन लाल जाट
उदयपुर
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