शोध आलेख: केनवास से डिजिटल स्क्रीन : कलात्मक अभिव्यक्ति के बदलते आधार / सूरज सोनी

केनवास से डिजिटल स्क्रीन: कलात्मक अभिव्यक्ति के बदलते आधार
- सूरज सोनी

चित्र-3, 'स्टडीज़ इन परसेप्शन'1967

शोध सार : तकनीकी प्रगति और वैश्वीकरण की अवधारणा से कला अनुभवों की एक नयी दुनिया का जन्म हुआ। इलेक्ट्रॉनिक रूप से जुड़े विश्व ने विचार संप्रेषण और संवाद का एक बड़ा मंच प्रदान किया।अभिव्यक्ति के साधन के रूप में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का सामग्री के रूप में उपयोगकर अभ्यास करने वाले कलाकारों ने वीडियोऔर तस्वीरों में डिजिटल रूप से हेरफेर कर रचनाओं का निर्माण शुरू कर दिया। इन कार्यों के संपादन हेतु कंप्यूटर ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा इन कलाकृतियों को कला शब्दकोश में कंप्यूटर कला या डिजिटल आर्ट के संबोधन से अभिहित किया गया। कंप्यूटर कला का इतिहास और कालांतर में हुआ कंप्यूटर कला का विकास पूरी तरह से कंप्यूटर के इतिहास से जुड़ा है।

बीज शब्द : न्यू मीडिया आर्ट, कंप्यूटर कला, डिजिटल आर्ट, इंटरैक्टिव कला, वीडियो आर्ट, कांसेप्चुअल आर्ट, मल्टीमीडिया आर्ट, एवोल्यूशनरी आर्ट, इंटरनेट आर्ट, वर्चुअल रियलिटी, डिजिटल इंस्टॉलेशन, वेब आर्ट, पार्टिसिपेटरी आर्ट।

मूल आलेख : निःसंदेह20वीं सदीका उत्तरार्द्ध कला के इतिहास में एक रोमांचकारी अध्याय प्रस्तुत करता है। दृश्यकला के क्षेत्र में जितने प्रयोग इस दौरान हुएहैं उनसे न केवल कला के स्वरूप में परिवर्तन हुआ है बल्किकला के प्रति हमारे दृष्टिकोण में भी बदलाव आया है। माध्यम के उपयोग व इसके प्रयोजनों के लिए समकालीन कला बहुत स्वच्छंद हो चुकी है तथा विभिन्न कलाएँ अपने प्रदर्शन क्षेत्र से निकलकर एक-दूसरे से गहरा अंतर्संबंध बनाए हुए हैं।

आदिकाल से निरन्तर हर युग में कलाकार कला में नवीनतम तकनीक व माध्यमों का सहारा लेते रहे हैं। ऐसे ही समय के साथ-साथ चलते हुए कलाकार ने अपनी कलात्मक अभिव्यक्ति को नवीनतम तकनीक के माध्यम से प्रस्तुत किया है। जब विज्ञान और तकनीक का हर ओर बोलबाला है तो कला भी कैसे इससे अछूती रह सकती है। जाहिर सी बात है, समकालीन कला परिवेश में भी तकनीक व प्रौद्योगिकी के जरिए कलाकार ने अपने आपको संप्रेषित करने का जतन किया है।

कंप्यूटर तकनीक का कलात्मक उपयोग -

उभरती हुई मीडिया प्रौद्योगिकी का उपयोग करने वाली कला परियोजनाओं का वर्णन करने के लिए हम न्यू मीडिया आर्ट शब्द का उपयोग करते हैं। इसी क्षेत्र में नयी और बहुप्रचलित विधा है कंप्यूटर कला या डिजिटल आर्ट। न्यू मीडिया आर्ट में डिजिटल आर्ट, कंप्यूटर आर्ट, मल्टीमीडिया आर्टऔर इंटरैक्टिव आर्ट जैसे स्पष्ट नाम अक्सर एक दूसरे के लिए उपयोग किए जाते हैंक्योंकि समकालीन कला का कोई निश्चित माध्यम नहीं रहा है।

तकनीकी नवाचार के दौर में कंप्यूटर के आविष्कार ने तकनीक आधारित कला को नई संभावनाओं के मार्ग पर ला दिया। कंप्यूटर कला वह है जहाँ कलाकृति के सृजन में या उसके प्रदर्शन में कंप्यूटर का उपयोग माध्यम के रूप में किया जाता है। वह एक इमेज, साउंड आर्ट, वीडियो आर्ट, वीडियो गेम, वेब आर्ट, पार्टिसिपेटरी आर्ट, डिजिटल पेंटिंग या कंप्यूटर नियंत्रित इंस्टॉलेशन हो सकता है। कई पारंपरिक शैलियाँ अब डिजिटल टेक्नोलॉजी के साथ एकीकृत हो रही हैं।

कंप्यूटर कला को माध्यम की प्रकृति के आधार पर दो व्यापक श्रेणियों के समुच्च्य के रूप में वर्णित कर सकते हैंजिनमें एक कला और दूसरी प्रौद्योगिकी है। कलाकार ने रचनात्मकता के क्षेत्र में कंप्यूटर की संभावनाओं का उपयोग कर कला को एक नयी दिशा प्रदान की है। कंप्यूटर कला का इतिहास और कालांतर में हुआ कंप्यूटर कला का विकास पूरी तरह से कंप्यूटर के इतिहास से जुड़ा है।

कंप्यूटर कला का इतिहास -

कंप्यूटर जनित कला आज बहुत अधिक क्रांतिकारी हैक्योंकि इसमें लगभग पूर्ण कलात्मक स्वतंत्रता प्राप्त करने की क्षमता है। जब 1950 के दशक में कंप्यूटर कला के पहले अनगढ रूप सामने आएतो कई आलोचकों ने सवाल किया कि क्या यह वास्तव में कला है? क्या अर्थ, अभिव्यक्ति या रूप जैसी अवधारणाएँ कंप्यूटर कला पर लागू हो सकती हैं? जैसे-जैसे तकनीक आगे बढ़ी, वैसे-वैसे कंप्यूटर कलाकारों और उनकी कलाकृतियों का रचनात्मक उत्पादन धीरे-धीरे स्थापित कला जगत् में स्वीकार भी किया जाने लगा।

“1951 में प्रथम व्यावसायिक रूप में उपलब्ध कंप्यूटर UNIVACन्यूमेरिक और टेक्सचरल इंफॉर्मेशन का उपयोग कर सकता था। 1960 के आरंभिक दशक में कंप्यूटर केवल रिसर्च लैब और अकादमिक संस्थानों में ही उपलब्ध थेतथा काफी महंगे भी थे। इसलिए 1960 के दशक के मध्य तक कंप्यूटर कला के निर्माण में अधिकांश व्यक्ति कलाकार न होकर पेशे से वैज्ञानिक या इंजीनियर थे।”(1) उस समय कंप्यूटर आज की तरह एकल यूनिट नहीं थाबल्कि पूरी लैब में कई हिस्सों में स्थापित किया जाता था तथा इसको चलाने के लिए तकनीकी स्टाफ की भी आवश्यकता होती थी।

कलाकारों ने पहली बार 1950 के दशक में कंप्यूटर के साथ प्रयोग करना शुरू किया था। 1956-1958 में सैग एयर डिफेन्स इंस्टॉलेशन (sag air defence installation)में पहली बार कंप्यूटर स्क्रीन पर किसी मनुष्य की छवि 'पिन अप गर्ल' ने कंप्यूटर कला के लिए प्रेरणा का काम किया जो कलाकार जार्ज पेटी (George petty)की कला से प्रभावित करती थी।

डिजिटल कंप्यूटर कला, 3डी एनीमेशन और वोकल-विजुअल संचार के शुरुआती अन्वेषक अमेरीकी इंजीनियर ए. माइकल नोल (A. Michael Noll) ने 1962 में न्यू जर्सी के मुर्रे हिल (Murray Hill)में स्थापित बेल टेलीफोन लैबोरेट्रीज में कंप्यूटर प्रोग्राम के सहयोग से कलात्मक पैटर्न बनाने का प्रयास किया। उनके बाद के कंप्यूटर जेनरेटेड पैटर्न पिएट मोंद्रियान (Piet Mondrian) और ब्रिगेट रिले (Bridget Riley) की कलाकृतियों के समकक्ष थे।

चित्र-1 कंप्यूटर जनित पैटर्न, ए. माइकल नोल चित्र-2, पिएट मोंद्रियान की पेन्टिंग

“बेल लैब्स से निकलने वाली सबसे प्रसिद्ध कृतियों में से एक थी लियोन हार्मन (Leon Harmon) और केन नोल्टन (Ken Knowlton) की 'स्टडीज़ इन परसेप्शन', 1967जिसे न्यूड के नाम से भी जाना जाता है। यह छवि छोटे इलेक्ट्रॉनिक प्रतीकों से बनी थी जो एक स्कैन की गई तस्वीर को ग्रे स्केल में बदलकर बनाई गई थी। पीछे हटकर देखने से यह छवि प्रतीकों का विलय करके एक लेटी हुई नग्न आकृति बनाती थी।”(2)

1965 में कंप्यूटर आर्ट की दो मुख्य प्रदर्शनी आयोजित की गईं।एक तो 'जेनरेटिक कंप्यूटरग्राफिक' फरवरी 1965 में जर्मनी स्टूटगार्ड के टेक्नीश होचस्चुले में तथा दूसरी 'कंप्यूटर जनरेटेड पिक्चर' अप्रैल 1965 में न्यूयॉर्क की हावर्ड वाइस गैलरी में की गई। स्टुटगार्ट प्रदर्शनी में विशेष रूप से जॉर्ज नीस की कृतियों का प्रदर्शन किया गया तथा न्यूयॉर्क की गैलरी में बेला जूल्स और ए. माइकल नोल के कार्यों को प्रदर्शित किया गया। इसके पश्चात् नवंबर 1965 में ही जर्मनी स्टुटगार्ट की गैलरी वेंडेलिन नीडलिस (Wendelin Niedlich)में तीसरी कंप्यूटर कला की प्रदर्शनी आयोजित की गईजिसमें फ्राइडर नेक (Frieder Nake) और जॉर्ज नीस (Georg Nees) की कलाकृतियाँ लगाई गईं। मौगन मैसन (MaughanMason) की एनालॉग कंप्यूटर आर्ट और नोल की डिजिटल कंप्यूटर आर्ट 1965 के अंत में लॉस वेगास में आयोजित 'एएफआईपीएस फॉल जॉइंट कंप्यूटर कॉन्फ्रेंस'(AFIPS Fall Joint Computer Conference)में भी प्रदर्शित की गई।

कंप्यूटर कलाकृति की एक और बड़े पैमाने पर प्रदर्शनी ’साइबरनेटिक सेरेन्डिपिटी’ शीर्षक सेअगस्त 1968 में लंदन के इंस्टीट्यूट फॉर कंटेम्पररी आर्ट (ICA) में आयोजित की गई थी। यह एक महत्त्वपूर्ण प्रदर्शनी थी जिसमें चित्र, फिल्म, संगीत और मूर्तिकला शामिल थे।इसमें दिखाया गया था कि कंप्यूटर का उपयोग कलात्मक अभिव्यक्ति के लिए किया जा सकता है। इस प्रदर्शनी में डिजिटल कला की प्रथम पीढ़ी के कई कलाकार शामिल थेजिसमें नेम जून पाइक, फ्राइडर नेक, लेसली मेजी, जॉर्ज नीस, माइकल नोल, जॉन विटनी और चार्ल्स क्यूरी मुख्य थे। इस प्रदर्शनी के एक साल पश्चात् लंदन में कंप्यूटर आर्ट सोसाइटी की स्थापना की गई। इस समय उत्पादित अधिकांश कलाकृति मुख्यतः अनियमित ज्यामितीय आकृतियाँ ही थीं। आज ये ग्राफिकल ज्यामितीय आकृतियाँ चाहे विशेष रूप से रोमांचक नहीं लगती होंलेकिन अपने समय में ये अभूतपूर्व रचनाएँ थीं।

चित्र-4 वेरा मोल्नार की कृति

1970 के दशक के मध्य कलाकार मेनफ्रेंड मोहर (Manfred Mohr), जॉन डन (John Dunn), डांन सैंडिन (Dan Sandin) और वुड़ी वास्लूका (Woody Vasulka) ने द्विआयामी और त्रिआयामी छवियों के निर्माण के लिए सॉफ्टवेयर विकसित कर लिया था। कंप्यूटर कला की अग्रणी कलाकार वेरा मोल्नार (Vera Molnar) ने सूक्ष्म संवेदनशीलता को कंप्यूटर इमेज में रूपांतरित किया। 1976 में कंप्यूटर जनित उनकी कृति ‘पार्कोर्स’ (Parcours) पहली नजर में मात्र जल्दबाजी में की गई अनियंत्रित रेखाओं की शृंखला जैसी दिखती है।

“जिरॉक्स कार्पोरेशन के 'पाउलो अल्टो रिसर्च सेंटर' ने 1970 में प्रथम ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (GUI) डिजाइन किया तथा पहला मैकिनटोश (Macintosh) कंप्यूटर 1984 में जारी किया गया थालेकिन तब GUI काफी लोकप्रिय हो चुका था।”(3) काफी ग्राफिक डिजाइनर्स ने एक रचनात्मक उपकरण के रूप में इसकी क्षमता को स्वीकार कर लिया था।

पहली बार कंप्यूटर को सार्वजनिक रूप से जुलाई 1985 में लिन्कोन सेंटर (Lincon Center) न्यूयॉर्क में पेश किया गया।तब कलाकार ऐंडी वॉरहोल को केमोडोर इंटरनेशनल ने अपना पहला 'अमिगा 1000' होम कंप्यूटर दिया और कंपनी का ब्रांड एंबेसडर बनाया। “ऐंडी वारहोल ने कंप्यूटर केमोडोर एमिगा (Commodore Amiga) का उपयोग कर दर्शकों के सामने'डेबी हैरी' का एक चित्र बनाने के लिए नए कंप्यूटर सॉफ़्टवेयर प्रोपेंट का उपयोग किया।”(4) एक वीडियो कैमरे के द्वारा डेबी हैरी (Debbie Harry) की इमेज को मोनोक्रोम रूप में कैप्चर किया व प्रोपेंट ग्राफिक प्रोग्राम में इसे डिजिटल रूपांतरित कर रंग भर दिये। बाद में उन्होंने कैंपबेल के सूप कैन, बोटिसेल्ली के द बर्थ ऑफ वीनस और फूलों सहित डिजिटल चित्रों की एक शृंखला बनाई।

“1980 के दशक में जब कंप्यूटर किफायती और अधिक सुलभ हो गए तब कलाकारों के विस्तृत वर्ग द्वारा इसका उपयोग किया जाने लगा। कंप्यूटर की सुलभता ने कंप्यूटर आधारित कला की व्यापकता में विस्तार कर दियाजिनमें कंप्यूटर ग्राफिक, एनीमेशन, डिजिटल इमेज, साइबरनेटिक स्कल्पचर, लेजर शो, काइनेटिक और टेलीकम्युनिकेशन जैसी विधाएँ शामिल हैं।”(5) इसके साथ ही कंप्यूटर आधारित इंटरेक्टिव कला के भी कई तरीके इजाद किए गए जो साथ ही दर्शकों व आगंतुकों की भागीदारी भी सुनिश्चित करता है।

शुरुआती अमूर्त रचनाओं के बाद 1980 के दशक में डिजीटल रूप से बदलाव करने वाली इमेजिंग तकनीक की संभावनाओं के साथ कलाकारों ने कंप्यूटर कला में वापसी की। कलाकारों ने कंप्यूटर सॉफ्टवेयर टूल्स की मदद से छवियों में हेरफेर कर रचना करने पर ध्यान केंद्रित किया। इस प्रकार “1982 में लॉन्च 'एडोब' जैसी नई कंपनियों ने अपने वेक्टर ड्राइंग प्रोग्राम 'एडोब इलस्ट्रेटर' जैसे सॉफ़्टवेयर का कलाकार के लिए उपयोग करना आसान बना दिया।”(6) यह आज भी कंप्यूटर कलाकारों द्वारा उपयोग किए जाने वाले मुख्य सॉफ्टवेयर में से एक है। फोटोशॉप जैसे सॉफ्टवेयर प्रोग्राम के साथ तस्वीरों के डिजिटल हेरफेर ने एंड्रियास गर्स्की और जेफ वॉल जैसे रोमांचक समकालीन कलाकारों की एक नई पीढ़ी तैयार की है। “लेरा लुबिन (Lera Lubin) की रचना 'मेमोरी ऑफ़ हिस्ट्री मीट्स मेमोरी ऑफ द कंप्यूटर'1985 आर्ट हिस्टोरिकल रचना थी। अमेरिकी कलाकार कीथ कोटिंघम (Keith Cottingham) और एंथोनी अज़ीज़ (Anthony Aziz) ने अपनी फोटोग्राफी में कंप्यूटर से हेरफेर कर उसे नया दृश्य बोध प्रदान किया।अमेरिकी कलाकार एंथोनी अज़ीज़ और सैमी कुचर (Sammy Cucher) 1990 मेंसैन फ्रांसिस्को कला संस्थान में ग्रेजुएट में मिलने के बाद से एक जोड़ी के रूप में काम कर रहे हैं।”(7)उन्हें डिजिटल इमेजिंग और पोस्ट-फोटोग्राफी के क्षेत्र में अग्रणी माना जाता है। डेविड होकनी और ब्रिटिश चित्रकार व कोलाज कलाकार रिचर्ड हैमिल्टन जैसे प्रसिद्ध कलाकारों ने भी इस प्रौद्योगिकी के साथ काफी प्रयोग किये।

'वर्ल्ड वाइड वेब' के आगमन के साथ और पर्सनल कंप्यूटरके बड़े पैमाने पर वितरण के साथयह स्थिति मौलिक रूप से बदल गई। आजक्यूरेटर कंप्यूटर कला को डिजिटल कला या न्यू मीडिया कला के रूप में संदर्भित करना पसंद करते हैं। एक नए माध्यम के रुप में यह अधिक गंभीर और मौलिक है।

आज इक्कीसवीं सदी की कला विविध प्रकार की सामग्रियों और साधनों से उभरी है। कुछ प्रारंभिक विरोध के पश्चात् डिजिटल तकनीक के प्रभाव ने पेंटिग, ड्रांइग, मूर्तिकला और संगीत या ध्वनि कला जैसी कला परम्पराओं को बदल कर नये रूप में प्रस्तुत किया है तथा कंप्यूटर जनित 2D व 3D आर्ट, नेट आर्ट, वर्चुअल रियलिटी डिजिटल इंस्टॉलेशन आदि आज नयी मान्यता प्राप्त कला विधाएँ बन गई हैं।इनमें डिजिटल इमेजिंग और इंटरनेट जैसी नवीनतम इलेक्ट्रॉनिक प्रौद्योगिकी शामिल हैं। 3डी प्रिंटिंग के उद्भव ने कला के लिए एक नयी अवधारणा को पेश कियाजो आभासी और भौतिक दुनिया को जोड़ती है। इसी के साथ नई क्रांतिकारी कला गतिविधियों के रूप में इंटरैक्टिव कला शैलियों का विस्तार होने लगा। इंटरनेट और कंप्यूटर कला ने पार्टिसिपेटरी आर्ट के रूप में अपना नया क्षेत्र निर्माण कियाजिसमें दर्शकों की भागीदारी कला को पूर्ण करती थी। इंटरनेट आर्ट डिजिटल कला की ही एक शाखा है जिसमें नेटवर्क के द्वारा कलाकार कला का निर्माण या संप्रेषण करता है।

भारतीय कला परिवेश में कंप्यूटर कला -

चित्र-5, आकाश चोयल की ट्रायोग्राफ कलाकृति

भारत में कंप्यूटर का प्राथमिक रूप से कलात्मक उपयोग पोस्टर डिजाइन पुस्तक निर्माण में किया गया, किंतु कंप्यूटर की सहज उपलब्धता व पहुँच ने भारतीय कलाकारों को भी नवीन कलात्मक संभावनाएँ तलाशने का अवसर प्रदान किया।बहुत से समकालीन प्रतिष्ठित व युवाभारतीय कलाकार भी आज पारंपरिक माध्यमों से कला निर्माण के साथ डिजिटल कला का उपयोग कर रचनाएँ कर रहे हैं।वीडियो आर्ट, वीडियो इंस्टॉलेशन, कांसेप्चुअल आर्ट, डिजिटल आर्ट, एनीमेशन, मल्टीमीडिया आर्ट, एवोल्यूशनरी आर्ट, रोबोटिक आर्ट, इंटरनेट आर्ट इत्यादि कमोबेश तकनीक और यांत्रिकता आधारित विधाएँ हैं और कंप्यूटर इनकी रचना का मुख्य आधार है। इनके लिए कलाकार का प्रयोगोंमुखी होने के साथ ही तकनीक को भी जानना ही नहीं अपितु उससे अति सहज होना भी आवश्यक है। भारत के कई ख्याति प्राप्त कलाकार कंप्यूटर, डिजिटल आर्ट, वीडियो इंस्टॉलेशन या रोबोटिक आर्ट व अन्य इस तरह के मीडिया के उपयोग में सहज नहीं है।

जो युवा कलाकार विज्ञान व नयी तकनीकों से सहज हैं और दक्षता के साथ नए विचारों, नयी खोजों से स्वयं को सहज कर पाए हैं और जिन्हें अपनी कला प्रदर्शन का अवसर प्राप्त हुआ है वही इस ओर प्रयोगोंमुख हैं। “डिजिटल माध्यम में काम करने वाले कलाकारों में बैजू पार्थन, जितिश कल्लाट, जी.आर इरन्ना, नलिनी मलानी, शिबा छाछी, अतुल डोडिया, शिल्पा गुप्ता, मंजुनाथ कामथ, ठुकराल एण्ड टागरा, तेजल शाह, किरण सुबैया, प्रयास अभिनव चित्रा गणेश,अबीर करमाकर, विभा गहरोत्रा आदि मुख्य रूप से प्रकाश-वृत्त में हैं।”(8) ये कलाकार आज भारतवर्ष में न्यू मीडिया को लोकप्रिय बनाने के लिए अनेकानेक प्रयोग कर रहे हैं और अपनी विधा को विकसित, प्रसारित करने के लिए विश्व के कोंने-कोंनेमें जाकर लोगों से विचारों का विनिमय भी कर रहे हैं।21वीं सदी के समकालीन भारतीय कलाकार विश्व स्तर पर सांस्कृतिक और तकनीकी रूप से प्रगतिशील दुनिया के साथ काम कर रहे हैं। उनकी कला सामग्री, विधियों, अवधारणाओं और विषयों का एक गतिशील संयोजन है।

निष्कर्ष : कला का इतिहास कलाकारों, उनके कार्यों, शैलियों, शैलीगत परिवर्तनों, सामग्रियों, विषयों और उनके अर्थ, संदर्भों, संस्कृतियों और संरक्षकों का इतिहास होता है। कंप्यूटर कला के इतिहास में जायें तो इसका बीजारोपण बीसवीं सदी के मध्य में पाश्चात्य कला में हो चुका था। कला में सामग्री चयन की स्वतंत्रता ने नई विधियों और कलात्मक दृष्टिकोण को पैदा किया। प्रौद्योगिकी के विकास ने इस नई धारा को दिशा प्रदान की। जैसे-जैसे दुनियाँ में तकनीक व प्रौद्योगिकी का विकास होता गया, समय के साथ कलात्मक अभिव्यक्ति के माध्यम व उपकरण भी बदलते गए। संचार के साधनों के विकास ने विश्व को एक सूत्र में बांध दिया जिससे कला व संस्कृतियों का तीव्र गति से आदान-प्रदान होने लगा, फलस्वरूप भारतीय कला जगत् भी वैश्विक स्तर पर कला में हो रहे प्रयोगात्मक नवाचारों के प्रभाव से अछूता नहीं रहा।

सन्दर्भ :
1-Michael Rush :New Media In Late 20th Century Art, Thames and Hudson Ltd, London, 2001, page 172
2-www.vam.ac.uk/content/articles/a/computer-art-history
3-Domenico Quaranta :Beyond New Media Art, LINK Editions, Brescia, 2013, page 74
4-www.warhol.org/exhibition/warhol-and-the-amiga
5-John Pijnappal : 'Art in Exile', Art India (Volume XVIII, Issue II), January 2014, page 43
6-Christiane Paul :Digital Art, Thames and Hudson Ltd, London, 2003
7-Stephen Orne :'Computers take art in new directions, challenging the meaning of creativity',PNAS(Volume-116), March 12, 2019
8-Nancy Adajania :New Media Overtures Before New Media Practice in India, Art and Visual Culture in India, Marg Publications, 2009, page 273

सूरज सोनी
सहायक आचार्य,कला शिक्षा प्रकोष्ठ, राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, उदयपुर

दृश्यकला विशेषांक
अतिथि सम्पादक  तनुजा सिंह एवं संदीप कुमार मेघवाल
चित्तौड़गढ़ (राजस्थान) से प्रकाशित पत्रिका 
  अपनी माटी (ISSN 2322-0724 Apni Maati) अंक-55, अक्टूबर, 2024 UGC CARE Approved Journal

1 टिप्पणियाँ

  1. कला क्षेत्र पर हिंदी भाषी पाठ्य सामग्री का अभाव अकसर कला विधार्थियों को महसूस होता है। कला विशेषांक प्रकाशित करने के लिये अपनी माटी के संपादक एवम् इस अंक के संपादकों का बहुत बहुत आभार । इस अंक की एक और मुख्य विशेषता यह रही कि इसने पुरातन से लेकर आधुनिक तक के लगभग सभी कला विषयों को समाहित किया है जो की कला प्रेमियों तथा कला के विद्यार्थियों के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगा।

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