शोध आलेख: ग्रामीण विकास में सरकारी योजनाओं के विज्ञापनों का सामाजिक प्रभाव : विश्लेषणात्मक अध्ययन/चैताली बाघ पाण्डेय एवं डॉ.संतोष गौतम


ग्रामीण विकास में सरकारी योजनाओं के विज्ञापनों का सामाजिक प्रभाव : विश्लेषणात्मक अध्ययन

(छत्तीसगढ़ ग्रामीण विकास योजनाओं के प्रिंट विज्ञापनों के विशेष संदर्भ में)


चैताली बाघ पाण्डेय एवं डॉ.संतोष गौतम

 


शोध सारांश- 
भारत गांव का राष्ट्र है यहां की आधी से ज्यादा आबादी गांव में बसती है भारत देश विभिन्न राज्यों की संस्कृति व सभ्यता का मिश्रण है इन्हीं विभिन्न राज्यों में से एक है, छत्तीसगढ़ राज्य छत्तीसगढ़ ग्रामीण बाहुल्य राज्य है छत्तीसगढ़ की अधिकतर जनता खेती-किसानी अर्थात कृषि पर निर्भर है चूंकि छत्तीसगढ़ गांव में निवास करता है अतः यहां की सरकार सदैव ग्रामीण विकास के लिए तात्पर्य रहती है गांव में निरंतर विकास कार्य करने के लिए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा विभिन्न योजनाओं का निर्माण कराया जाता है यह योजनाएं छत्तीसगढ़ राज्य में निवास करने वाले प्रत्येक अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे यह जिम्मेदारी भी सरकार की होती है किंतु सरकार व जनता के मध्य बेहतर संवाद स्थापित करने के लिए प्रभावी जनसंपर्क का होना आवश्यक होता है ऐसे में सरकार की योजना निर्माण से लेकर, उस योजना का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए जनसंचार की प्रणाली को प्रमुखता से अपनाया जाता है यदि बात योजनाओं के प्रचार-प्रसार व जागरूकता से संबंधित है, तो विज्ञापन सबसे प्रभावी उपकरण है समाचार पत्रों में प्रकाशित होने वाले प्रिंट विज्ञापनों की पहुंच आम जनता तक आसानी से देखने को मिलती है प्रस्तुत शोध इसी मुख्य विषय पर आधारित है अत: प्रस्तुत शोध में ग्रामीण समाज के विकास के लिए निर्मित सरकारी योजनाओं के विज्ञापन संचार की भूमिका का अध्ययन किया जाना है

शब्द कुंजी -  सरकारी योजनाएं, विज्ञापन, ग्रामीण विकास, छत्तीसगढ़ सरकारी योजनाएं

प्रस्तावना

 प्रस्तुत शोध विषय "ग्रामीण विकास में सरकारी योजनाओं के विज्ञापनों का सामाजिक प्रभाव: विश्लेषणात्मक अध्ययन" पर आधारित है चूंकि भारत देश का हृदय गांव में बसता है अत: संपूर्ण भारत देश का सर्वांगिण विकास तभी संभव है, जब यहां बसने वाले सभी ग्रामीण क्षेत्रों में विकास हो "महात्मा गांधी जी" ने भी कहा है कि- "भारत की आत्मा गांव में बसती है" भारत देश की संपूर्ण आबादी का 3/4 हिस्सा गांव में बसता है अत: देश के आबादी के इतने बड़े हिस्से की सामाजिक-आर्थिक समस्याओं को प्रभावी ढंग से समझे बिना, कल्याणकारी राज्य के लक्ष्य को पूर्ण नहीं किया जा सकता यही वजह है कि भारत के स्वतंत्रता के तुरंत बाद से ही इस क्षेत्र में प्रभावी सरकारी योजनाओं की आवश्यकता महसूस की जाने लगी ताकि ग्रामीण समुदाय को प्रभावी सरकारी योजनाओं के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि व सामाजिक-आर्थिक स्तर पर विकास की दिशा प्रदान की जा सके किंतु उपरोक्त लक्ष्य की प्राप्ति के लिए आवश्यक है कि गांव में निवासरप्रत्येक व्यक्ति की जनभागीदारी सुनिश्चित की जाए

ग्रामीण विकास की अवधारणा- ग्रामीण विकास को सामुदायिक विकास का पर्याय माना गया है ग्रामीण विकास से तात्पर्य है, कि गांव में निवास करने वाले गरीब व आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को विभिन्न सरकारी योजनाओं के माध्यम से सहायता प्रदान कर  सामाजिक, आर्थिक व मनोवैज्ञानिक स्तर पर ऊंचा उठाना अतः ग्रामीण स्तर से संबंधित सभी समस्याओं का निदान कर ग्रामीण जनों को एक बेहतर सामाजिक जीवन जीने योग्य बनाना ही ग्रामीण विकास का प्रमुख उद्देश्य कहा जा सकता है

        चूँकि छत्तीसगढ़ गांवों का राज्य है, अतः छत्तीसगढ़ की सरकार गांव के विकास के लिए निरंतर प्रभावशाली योजनाओं का निर्माण करती है वर्तमान में भी ग्रामीण एवं कृषि विकास से संबंधित विभिन्न योजनाएं यहांसंचालित हो रही है इन योजनाओं का लाभ ग्रामीण जनों व किसान भाइयों को प्राप्त हो रहा है छत्तीसगढ़ में संचालित होने वाली विभिन्न ग्रामीण विकास से संबंधित योजनाएं निम्नलिखित है-

1.      मुख्यमंत्री समग्र ग्रामीण विकास योजना - इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों की मूलभूत व मौलिक सुविधाओं तथा स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप अद्योसंरचना निर्माण के कार्यों को स्वीकृत किये जाते है। यह योजना मुख्यमंत्री ग्राम उत्कर्ष योजना, छत्तीसगढ़ ग्रामीण निर्माण योजना, ग्राम विकास योजनाछत्तीसगढ़ गौरव एवं हमारा छत्तीसगढ़ योजना का एकीकरण है

2.      गोधन न्याय योजना- इस योजना के अनुसार, सरकार किसानों और पशुपालकों से 2 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से गाय का गोबर खरीदती है। यह योजना 20 जुलाई 2020 छत्तीसगढ़ सरकार ने जैविक खेती को बढ़ावा देने, ग्रामीण और शहरी स्तर पर रोजगार के नए अवसर पैदा करने, गाय पालन और गाय संरक्षण को बढ़ावा देने के व पशुपालकों को आर्थिक रूप से लाभान्वित करने के उद्देश्य से शुरू की है।

3.      प्रौद्योगिकी ग्राम योजना- प्रौद्योगिकी ग्राम योजना का मूल उद्देश्य ग्रामीण आबादी के जीवन की गुणवत्ता में सुधार, अनुकुल प्रौद्योगिकियों पर प्रशिक्षण, जागरुकता एवं प्रदर्शन के माध्यम से गरीबी और बेरोजगारी को कम करना है

4.      'बिहान' योजना- छत्तीसगढ़ के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ‘बिहान’ की शुरुआत की गई है इस योजना के तहत राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के रोजगार एवं आजीविका सृजन के लिए महिला समूहों को मछली पालन के साथ-साथ बत्तख पालन का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है

5.      राजीव गांधी किसान न्याय योजना-राजीव गांधी किसान न्याय योजना छत्तीसगढ़ के किसानों को फसल उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने और कृषि क्षेत्र में वृद्धि करने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शुरू की गई है। यह देश में किसानों के लिए अपनी तरह की बड़ी योजना है।

प्रस्तुति योजनाओं के अलावा भी अनेक योजनाओं का संचालन ग्रामीण विकास के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा किया जा रहा है जिसमें स्वास्थ्य संबंधित योजना, सुपोषण योजना कौशल विकास योजना जैसी विभिन्न योजनाएं शामिल है

ग्रामीण विकास संबंधित सरकारी योजनाओं के विज्ञापन गांव में निवास करने वाले गरीब असहाय व असाक्षर ग्रामीण जनों को समाज के मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनाये संचालित की जाती है। किन्तु संबंधित योजनायों की जानकारी ग्रामीण अंचल में रहने वाले जरूरतमंद लोगों तक किस रूप में पहुंचती है? और वे संबंधित योजनाओं के प्रति कितना जागरूक है? यह अध्ययन का मुख्य विषय है। चूँकि सामाजिक परिवर्तन व सामाजिक जागरूकता के लिए समाज में प्रभावी संचार का होना अति आवश्यक है। अतः ग्रामीण विकास से संबंधित सरकारी योजनाओं को जन-जन तक पहुचने के लिए भी सरकार द्वारा प्रभावी संचार की रणनीति तैयार की जाती है। इसके तहत सरकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसाविज्ञापनों के माध्यम से किया जाता है। विज्ञापन समाज के जरूरतमंद लोगों तक सूचनाओं को पहुंचाने के साथ-साथ संबंधित सूचनाओं की जानकारी के प्रति जागरूकता निर्मित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ग्रामीण क्षेत्र में टेलीविजन, रेडियो के अलावा प्रिंट मीडिया अर्थात समाचार पत्रों के  विज्ञापन की पहुंच देखी जा सकती हैग्राम पंचायत में चौपाल, सामुदायिक क्षेत्र तथा नुक्कड़ एवं चौक चौराहों पर लोग एकत्रित होकर समाचार पत्रों से संबंधित सूचनाओं का आदान-प्रदान करते हैं

उद्देश्य:-

  प्रस्तुत शोध उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए निम्नलिखित बिंदुओं को आधार बनाकर कार्य किया जाना है -

1.      ग्रामीण विकास के क्षेत्र में सरकारी योजना की भूमिका का अध्ययन करना

2.      ग्रामीण क्षेत्र के विभिन्न तबके के लोगों तक संबंधित योजनाओं की जानकारी व पहुंच का अध्ययन करना

3.      ग्रामीण विकास से संबंधित सरकारी योजनाओं के प्रचार प्रसार में विज्ञापन की भूमिका का अध्ययन करना

महत्व

  भारत देश में अच्छी शिक्षा, भोजन व स्वास्थ्य का सभी को सामान्य अधिकार हैसमाज के सभी क्षेत्रों में निवासरत लोगों को सामान अधिकार प्रदान कर सभी तबके के लोगों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं का संचालन किया जाता है किंतु इन योजनाओं का सही रूप में प्रचार-प्रसार होना भी अनिवार्य होता हैग्रामीण विकास के अंतर्गत ग्रामीण जनों को शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार व आवास जैसी मुलभुत सुविधाओं की पूर्ति की जाती हैकिंतु इन मुलभुत सुविधाओं को गांव में निवासरत प्रत्येक व्यक्ति तक पहुँचने के लिए मीडिया के अधिक से अधिक योगदान को सुनिश्चित करने एवं विज्ञापनों द्वारा गांवो में निवासरत लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने में यह शोध अध्ययन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है

परिकल्पना:-

1. सरकारी योजनाए समाज के लिए महत्व्पूर्ण होती है।

2. ग्रामीण विकास में सरकारी योजनाए महत्व्पूर्ण भूमिका निभाती है।

3. ग्रामीण पृष्ठभूमि में भेदभाव व कुरीतियों के प्रति सामाजिक जागरूकता स्थापित करने में विज्ञापन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

4. ग्रामीण विकास से संबंधित विभिन्न सरकारी योजनाएं संचलित होती है तथा इन योजनाओं के प्रचार-प्रसार में जनमाध्यमों की भूमिका अहम होती है

शोध प्रविधि:- 

 प्रस्तुत शोध विषय के अनुसार ग्रामीण विकास के लिए आवश्यक सरकारी योजनाओं की सामाजिक प्रासंगिकता का अध्ययन किया जाना है। साथ ही संबंधित विषय पर विभिन्न सरकारी योजनाओं के विज्ञापनों की सामाजिक पहुंच व प्रभाव का भी अध्ययन किया जाना है। अध्ययन हेतु प्राथमिक एवं द्वितीयक दोनों स्रोतों का प्रयोग किया गया है अध्ययन में प्राथमिक स्रोत के रूप में प्रश्नावली अनुसूची, अवलोकन, सर्वे, आदि पद्धतियों का प्रयोग किया गया। वहीं द्वितीयक स्रोत में शोध जनरल, पुस्तकें एवं पूर्व में किए गए शोध का अध्ययन व शोधगंगा जैसे इंफबैल्ड का प्रयोग, रिकॉर्ड,फिल्म, इवेंट्स, यूट्यूब, टीवी चैनल्स आदि कार्यक्रमों का अध्ययन किया गया।

आँकड़ा प्रस्तुतिकरण-

प्रश्नावली का विश्लेषण करने से पहले उत्तरदाताओं का जनसांख्यिकी विश्लेषण किया गया है। जिससे उत्तरदाताओं की शैक्षिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति का अनुमान लगाया जा सके। यह विश्लेषण निम्नलिखित आधार पर किया गया है। ये आधार इस प्रकार से हैं - लिंग, आयु, आय, पारिवारिक सदस्यों की संख्या और शिक्षा।

तालिका 1 . लिंग

क्रम

 लिंग

सं.

प्रतिशत

1.

स्त्री

140

46.67%

2.

पुरुष

160

53.33%

प्रस्तुत शोध कुल 300 लोगों में 46.67% स्त्रियाँ और 53.33% पुरुष शामिल हैं।

तालिका 2 . आयु

क्रम

 आयु

वर्ग सं.

प्रतिशत

1.

20 से 30 वर्ष

37

12.33%

2.

30 से 40 वर्ष

128

42.67%

3.

40 से 50 वर्ष

135

45%

प्रस्तुत शोध में 20 से 30 आयु वर्ग के 12.33% उत्तरदाता, 30 से 40 आयु वर्ग के 42.67% और 40 से 50 वर्ष के 45%, कुल 300 उत्तरदाता हैं ।

तालिका 3 . आय

क्रम

 आय

 सं.

प्रतिशत

1.

5000 रुपये से कम

187

63.33%

2.

5000 से 10,000 के बीच

67

22.33%

3.

10,000 रुपये से ज्यादा

46

15.33%

(कुल योग 300 - 100%) प्रस्तुत शोध में शामिल उत्तरदाताओं में 63.33% की मासिक आय 5000 रुपये के कम है, 22.33% उत्तरदाताओं की आय 5000 से 10,000 रुपये के बीच है और केवल 15.33% उत्तरदाताओं की आय 10,000 रुपये से अधिक है ।

तालिका 4 . परिवार की संख्या

क्रम

 परिवार में सदस्य संख्या

 परिवार सं.

प्रतिशत

1.

5 से 8 सदस्य

119

39.67%

2.

8 से 10 सदस्य

100

33.33%

3.

10 से ज्यादा सदस्य

81

27%

(कुल योग 300 - 100%) प्रस्तुत शोध में शामिल उत्तरदाताओं में 5 से 8 सदस्य वाले परिवार 39.67%, 8 से 10 सदस्य वाले परिवार 33.33% और 10 से ज्यादा सदस्य वाले परिवार 27% है।

तालिका 5 . व्यवसाय

क्रम

 व्यवसाय

 सं.

प्रतिशत

1.

कृषक

87

29%

2.

मजदूर

156

52%

3.

 पशु पालक

21

7%

4.

गृहणी

16

5.33%

5.

अन्य

20

6.67%

(कुल योग 300 - 100%) प्रस्तुत शोध में शामिल उत्तरदाताओं में कृषक 29%, मजदूर 52%, पशु पालक 7%, गृहणी 5.33% और अन्य 6.67% है।

प्रश्नावली विश्लेषण

प्रश्न-1 . सरकारी योंजनायें समाजिक विकास का महत्वपूर्ण अंग है

पहली परिकल्पना की पुष्टि हेतु शोधकर्ता ने प्रश्नावली के माध्यम से उत्तरदाताओं के दृष्टिकोण को जानने के लिए प्रश्न पूछा गया कि - “ क्या सरकारी योजनाए सामाजिक विकास का महत्वपूर्ण अंग हैं? उत्तरदाताओं के दृष्टिकोण से संबंधित आकड़ों के प्राप्ति के लिए उत्तरदाताओं को कुल 300 लोगों ने उत्तर दिए। इनमें से 60% लोग ने कथन को “पूर्णता सत्य” मानते है, 20% लोगो का मानना है की “कुछ कहा नहीं जा सकता” , 10% लोग इसे “पूर्णता असत्य” मानते हैं, तो 10% लोग का मानना है की “ हो भी सकता है और नहीं भी” । अतः अधिकतर लोगों का मानना है कि “सरकारी योजनाए सामाजिक विकास का महत्वपूर्ण अंग होती है”।

प्रश्न-2 विज्ञापन प्रदान करता है

शोध अध्ययन की दूसरी परिकल्पना की पुष्टि हेतु शोधकर्ता ने प्रश्नावली के माध्यम से उत्तरदाताओं के दृष्टिकोण को जानने के लिए अगला प्रश्न पूछा गया कि-विज्ञापन प्रदान करता है?”  उपरोक्त कथन के संबंध में 10% लोग ने कहा कि “केवल मनोरंजन”, 20% लोगों ने कहा “बेवजह की जानकारी”, 30% लोगों ने कहा “केवल वस्तुओं का भाव बताता है” और 50% लोगों मानते है कि विज्ञापन-“जनसूचना और जनजागरूकता” प्रदान करता है। अतः प्राप्त आकड़ों के अनुसार विज्ञापन समाज को जानकारी दे सूचित भी करते हैं।

प्रश्न-3 प्रदेश सरकार की योजनाए संचालित होती है

तीसरी परिकल्पना की पुष्टि हेतु शोधकर्ता ने प्रश्नावली के माध्यम से अगला प्रश्न पूछा  कि-“ प्रदेश सरकार की संचालित होती है”? उपरोक्त कथन के संबंध में 5% लोग ने कहा “साल में एकाद बार”, 5% लोगों ने कहा “सरकारी दफ्तरों में केवल” और 90% लोगों ने कहा कि “लगातार जनता के मध्य” प्रदेश सरकार की सरकारी योजनाओं संचालित होते रहती है। अतः अधिकतर जनता यह मानती है की प्रदेश में संचालित सरकारी योजनायें लगातार सामाजिक क्षेत्रों में संचालित होती ही है।

प्रश्न-4 जनसूचनाओ के जनसंचार कि क्रिया में विज्ञापन सर्वोपरि साधन सिद्ध हो चूका है

चौथी परिकल्पना की पुष्टि हेतु शोधकर्ता ने प्रश्नावली के माध्यम से उत्तरदाताओं  से अंतिम प्रश्न पूछा गया कि-जनसूचनाओ के जनसंचार कि क्रिया में विज्ञापन सर्वोपरि साधन सिद्ध हो चूका है?”  उपरोक्त कथन के संबंध में 15% लोग ने कहा कि “अभी नहीं”, 15% लोगों ने कहा “कुछ कहा नहीं जा सकता”, 30% लोगों ने कहा “हो सकता है” और 40% लोग मानते है-“हां पुरी तरह से” जनसूचनाओ  की क्रिया में विज्ञापन सर्वोपरि साधन सिद्ध हो चूका है। अतः प्राप्त आकड़ों के अनुसार विज्ञापन समाज में सूचनाओं के संचार के लिए उपयोगी सिद्ध हो गया है।

निष्कर्ष

गाँव के सभी लोगों के पास टेलीविजन नहीं है। किंतु समाचार पत्रों के माध्यम से लोग को सूचनाओं की जानकारी लगातार प्राप्त होते रहती है ग्रामीण विकास से संबंधित विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही है कृषि संबंधित योजना, स्वास्थ्य सहायता योजना, आवास योजना, रोजगार आरक्षण, शिक्षा से संबंधित योजना जैसी इसमेंयोजनाएं शामिल है संबंधित योजना व सुविधाओं के माध्यम से केंद्र व राज्य सरकार ग्रामीण विकास के लिए निरंतर प्रयासरत है इन सुविधाओं की जानकारियों को प्रत्येक जन व जरूरतमंद तक पहुंचाने के लिए सरकार द्वारा निरंतर प्रचार-प्रसार के कार्य विभिन्न जनमाध्यम द्वारा किये जाते हैं इन योजनाओं के संदर्भ में अधिक से अधिक सरकारी विज्ञापन जारी होते है ग्रामीण विकास के क्षेत्र में अब पहले की तुलना में अधिक कार्य देखने को मिल रहे हैं। इससे ग्रामीण जनों में अब अधिकम आत्मविश्वास जागा है और अब ये लोग अलग-अलग क्षेत्रों में बढ़चढ़ कर आगे आने लगे हैं।  

सुझाव:-

1.       राज्य व केंद्र की सरकार ग्रामीण विकास के लिए योजनाएं संचालित कर रही है किंतु इसके सामाजिक पहुंच व प्रभाव के लिए विशेष ठोस कार्यों की कमी देखने को मिलती है। आवश्यक है कि समय-समय पर संबंधित क्षेत्रों में जाकर उनसे सीधी प्रतिक्रिया की प्राप्ति की जाये ताकि संचालित योजनाओं के सटीक परिणाम को जाना जा सकें।

2.       सरकारी योजनाओं की प्रक्रिया सरल व सुलभ होनी चाहिए। क्योकि योजनाओं की प्रक्रिया जटिल होने के कारण कभी-कभी पिछड़े व कम पढ़े-लिखे लोग सही समय में योजनाओं का उचित लाभ नहीं ले पते।

3.        संबंधित योजनाओं के बेहतर कार्य देखने को मिल रहे हैं किंतु आज भी कुछ ऐसे स्थान हैं, जहां पक्षपात, भेदभाव, तृस्कार व सामाजिक अंधविश्वास आदि के चलते प्रत्येक व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ नहीं पहुँच पातासरकार को आवश्यकता है कि योजनाओं के साथ-साथ सामाजिक रुढ़िवादी विचारधारा को बदलने के लिए जमीनी स्तर से सामाजिक जागरूकता अभियान चलाये।

4.       इसके लिए सरकार विभिन्न क्षेत्रों में पारंपरिक माध्यमों का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा कर सकती है जैसे कि नुक्कड़ नाटक, चौपाल व रंगमंच जैसे कार्यक्रमों का आयोजन कर ग्रामीण क्षेत्रीय लोगों में जागरूकता को बढ़ाया जा सकता है

5.       आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में साक्षरता दर कम देखी जाती है। ऐसे लोगों को शिक्षित करने की दिशा में सरकार को विशेष पहल किया जाना चाहिए शिक्षित व्यक्ति स्वयं ही अपने विकास को एक नई दिशा प्रदान कर सकते हैं।

संदर्भ सूची

1. टेलिस, गेरार्ड जे. (2009). इफेक्टिव एडवरटाइजिंग. न्यू डेल्ही : रेस्पोंस बुक्स.

2. सलमोन, चार्ल्स, टी. (1989). इनफार्मेशन कैंपेन्स. न्यू डेल्ही : सेज पब्लिकेशन.

3. तिवारी, अर्जुन. (2007). संपूर्ण पत्रकारिता. वाराणसी : विश्वविद्यालय प्रकशन.

4. आहूजा, राम. (2008). सामाजिक सर्वेक्षण. जयपुर : रावत पब्लिकेशन.

5. पंत, एन.सी. (2008). जनसंपर्क, विज्ञापन एवं प्रसार माध्यम. दिल्ली : तक्षशिला प्रकाशन.

6. धवन, मधु. (2015). विज्ञापन कला. दिल्लीः वाणी प्रकाशन.

7. सेठी, डॉ रेखा.(2016). विज्ञापन भाषा और संरचना. दिल्ली : वाणी प्रकाशन.

8. भानावत, डॉ. संजीव, (2010). जनसंपर्क एवं विज्ञापन. जयपुर : राजस्थान हिंदी ग्रंथ अकादमी

9. प्रसाद, राजीव रंजन, (2009). एडवरटाइजिंग. दिल्ली, स्वस्तिक पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर

10. https://www.youtube.com/watch?v=xS9o9Ag5ZA

 

डॉ.संतोष गौतम

असिस्टेंट प्रोफेसर विश्वविद्यालय,

जनसंचार विभाग

मंग्लायातन विश्वविद्यालय, अलीगढ़-मथुरा (उ.प्र.)

 

शोधार्थी चैताली बाघ पाण्डेय

जनसंचार विभाग

मंग्लायातन विश्वविद्यालय, अलीगढ़-मथुरा (उ.प्र.)

ईमेल-pandeychaitaai05@gmai.com

 

अपनी माटी (ISSN 2322-0724 Apni Maati)  अंक-41, अप्रैल-जून 2022 UGC Care Listed Issue

सम्पादक-द्वय : माणिक एवं जितेन्द्र यादव, चित्रांकन : सत्या कुमारी (पटना)

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