शिक्षा और साहित्य किसी भी समाज के विकास के मूल आधार होते हैं। जब हम बच्चों की शिक्षा की बात करते हैं, तो इसमें न केवल अकादमिक ज्ञान शामिल होता है, बल्कि यह उनकी रचनात्मकता, कल्पना, और नैतिकता कोभी प्रभावित करता है। बाल साहित्य, जो विशेष रूप से बच्चों के लिए लिखा गया होता है, उनकी मानसिक और भावनात्मक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह न केवल बच्चों को पढ़ने के प्रति प्रोत्साहित करता है, बल्कि उन्हें जीवन के महत्वपूर्ण मूल्यों और आदर्शों से भी परिचित कराता है। पाठ्य पुस्तकों के साथ यदि बाल साहित्य की रचनाओं एवं अन्य पुस्तकों को भी जोड़ दिया जाए तो उसमें से बालकों को और अप्रत्याशित लाभ होने की संभावनाएँ होती हैं।
आइए हम देखते हैं कि स्कूली शिक्षा में बाल साहित्य का क्या महत्व है।
रचनात्मकता और कल्पना का विकास
: बाल साहित्य की कहानियाँ, कविताएँ और उपन्यास बच्चों की रचनात्मकता को विकसित करने में सहायक होती हैं। जब बच्चे दिलचस्प कहानियाँ पढ़ते हैं, तो वे अपनी कल्पना की उड़ान भरने लगते हैं। यह उन्हें अपने दृष्टिकोण से सोचने और नयी चीज़ों की खोज करने के लिए प्रेरित करता है। उदाहरण के लिए पंचतंत्र की कहानियाँ बच्चों को नैतिकता के साथ-साथ सोचने और समस्या हल करने की क्षमता को भी विकसित करती हैं।
भाषाई कौशल में सुधार : नियमित रूप से बाल साहित्य पढ़ने से बच्चों की भाषा पर पकड़ मजबूत होती है। वे नये शब्द सीखते हैं, वाक्य निर्माण के तरीके समझते हैं, और अपनी संप्रेषण क्षमता में सुधार करते हैं। रामचंद्र गुहा जैसे लेखकों की कहानियाँ बच्चों को न केवल हिंदी भाषा की समझ विकसित करने में मदद करती हैं, बल्कि उन्हें सांस्कृतिक धरोहरों से भी परिचित कराती हैं।
नैतिक और सामाजिक मूल्यों की शिक्षा : बाल साहित्य के माध्यम से बच्चों को नैतिकता, ईमानदारी, साहस और करुणा जैसे मूल्यों की शिक्षा दी जाती है। जैसे कि 'महात्मा गाँधी की कहानियाँ' बच्चों को अहिंसा और सत्य की ताकत का संदेश देती हैं, जबकि रस्किन बॉन्ड की कहानियाँ उन्हें प्रकृति और जानवरों के प्रति प्रेम का महत्व सिखाती हैं।
भावनात्मक विकास : कहानियाँ पढ़ने से बच्चे भावनात्मक रूप से जुड़ते हैं। वे पात्रों के दुख-सुख से जुड़ते हैं और उनकी भावनाओं को समझने का प्रयास करते हैं। यह उन्हें सहानुभूति और समझदारी सिखाता है। 'माल्गुडी डेज़' जैसे उपन्यास बच्चों को विभिन्न प्रकार के लोगों और उनकी समस्याओं के बारे में सिखाते हैं, जिससे वे अधिक संवेदनशील और सहानुभूतिपूर्ण बनते हैं।
सांस्कृतिक पहचान और इतिहास की समझ : बाल साहित्य बच्चों को उनके देश और संस्कृति के बारे में जानकारी देता है। 'अमर चित्र कथा' जैसी कॉमिक्स भारतीय इतिहास, पौराणिक कथाओं और महापुरुषों की कहानियों को रोचक ढंग से प्रस्तुत करती हैं। यह बच्चों को उनकी सांस्कृतिक पहचान से जुड़ने में मदद करती हैं और उन्हें अपने देश के महान नायकों के बारे में प्रेरित करती हैं।
स्कूलों में बाल साहित्य का समावेश शिक्षा का महत्वपूर्ण अंग होना चाहिए। इसका कारण यह है कि बाल साहित्य बच्चों को पाठ्यपुस्तकों के कठोरता से बचाकर उनकी शिक्षा को अधिक रोचक और आकर्षक बनाता है। इनको विभिन्न प्रकार से स्कूली शिक्षा में शामिल किया जा सकता है।
पाठ्यक्रम में शामिल करना : पाठ्यक्रम में बाल साहित्य की कहानियों, कविताओं और नाटकों को शामिल करने से बच्चों को अपनी शिक्षा में मजा आता है। उदाहरण के लिए, कई स्कूलों में अब 'सुदर्शन फाकिर', 'प्रेमचंद', और 'सुभद्रा कुमारी चौहान' जैसे साहित्यकारों की रचनाएँ पढ़ायी जाती हैं, जो बच्चों को उनकी भाषा और संस्कृति से जोड़ती हैं।
पुस्तकालय का विकास : स्कूलों में एक अच्छा पुस्तकालय होना चाहिए, जिसमें विभिन्न प्रकार की बाल साहित्य की पुस्तकें हों। यह बच्चों को स्वेच्छा से पढ़ने की आदत डालने के लिए प्रेरित करता है। नियमित रूप से पुस्तकालय सत्र आयोजित करने से बच्चे नयी किताबें पढ़ने के लिए उत्सुक होते हैं। जैसे एक प्राथमिक स्कूल में नियमित पुस्तक मेले का आयोजन किया जाता है, जहाँ बच्चे अपनी पसंदीदा किताबें खरीद सकते हैं।
कहानी सुनाने के सत्र : स्कूलों में कहानी सुनाने के सत्र आयोजित करना बच्चों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह न केवल उन्हें कहानियों से परिचित कराता है, बल्कि उनकी सुनने की क्षमता और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को भी बढ़ाता है। 'गुरु नानक देव पब्लिक स्कूल', जैसे संस्थानों में नियमित रूप से कहानी सुनाने के सत्र आयोजित किये जाते हैं, जहाँ शिक्षक और विद्यार्थी दोनों कहानियाँ सुनाते हैं।
रचनात्मक लेखन के अवसर : बच्चों को बाल साहित्य से प्रेरित होकर खुद लिखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। स्कूलों में लेखन प्रतियोगिताओं, निबंध लेखन, और कविता लेखन सत्र आयोजित करके बच्चों की लेखन क्षमता को प्रोत्साहित किया जा सकता है। 'विद्या भवन स्कूल', उदयपुर जैसे स्कूलों में नियमित रूप से ऐसे कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं, जहाँ बच्चे अपनी लिखी हुई कहानियाँ प्रस्तुत करते हैं।
बाल साहित्य की कई विधाएँ हैं। बाल साहित्य विभिन्न रूपों में आता है, और प्रत्येक प्रकार का अपना एक अलग महत्व होता है।
कहानियाँ : कहानियाँ बच्चों को सबसे अधिक आकर्षित करती हैं। उदाहरण के लिए, 'पंचतंत्र' की कहानियाँ, 'अलिफ़ लैला', और 'हैरी पॉटर' जैसी आधुनिक कहानियाँ बच्चों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय हैं। ये कहानियाँ न केवल मनोरंजक होती हैं, बल्कि बच्चों को जीवन के महत्वपूर्ण सबक भी सिखाती हैं।
कविताएँ : कविताएँ बच्चों की कल्पना को उड़ान देती हैं और उन्हें भाषा की सुंदरता से परिचित कराती हैं। 'सुभद्रा कुमारी चौहान' की 'खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी' जैसी कविताएँ बच्चों में देशभक्ति की भावना जगाती हैं।
चित्र पुस्तकें : छोटे बच्चों के लिए चित्र पुस्तकें बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। 'एरिक कार्ल' की 'द वेरी हंग्री कैटरपिलर' और 'रिचर्ड स्कैरी' की 'बिजी टाउन' जैसी पुस्तकें बच्चों को उनके प्रारंभिक वर्षों में पढ़ने की आदत डालने में मदद करती हैं।
कॉमिक्स और ग्राफिक नॉवेल : 'अमर चित्र कथा', 'तिनटिन', और 'स्पाइडरमैन' जैसी कॉमिक्स बच्चों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय हैं। ये न केवल मनोरंजक होती हैं, बल्कि बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं।
बाल साहित्य का प्रभाव कैसे पड़ता है।
नैतिक शिक्षा : एक बच्चे, रामू, ने 'पंचतंत्र' की एक कहानी पढ़ी, जिसमें एक लोमड़ी और अंगूरों की कहानी थी। इस कहानी से उसे यह समझ में आया कि कभी-कभी जो चीज़ हमें नहीं मिलती, हम उसे बेकार समझते हैं। इस कहानी ने रामू को प्रयास करते रहने और कभी हार न मानने की प्रेरणा दी।
संवेदनशीलता और करुणा : एक स्कूल में एक कार्यक्रम के दौरान, बच्चों को 'रस्किन बॉन्ड' की 'द ब्लू अंब्रेला' पढ़ने के लिए दी गयी। इस कहानी ने बच्चों को यह सिखाया कि दूसरों की भावनाओं की कदर कैसे की जाए। इस कहानी को पढ़ने के बाद, एक बच्ची, साक्षी, ने अपनी छोटी बहन के साथ अधिक संवेदनशीलता से पेश आना शुरू कर दिया।
रचनात्मकता का विकास : एक छात्र, अमन, 'हैरी पॉटर' श्रृंखला से प्रेरित होकर खुद अपनी कहानियाँ लिखने लगा। उसने स्कूल की कहानी लेखन प्रतियोगिता में भाग लिया और उसकी कहानी को प्रथम पुरस्कार मिला। यह बाल साहित्य का एक अद्भुत उदाहरण है जो बच्चों को रचनात्मकता और आत्म-अभिव्यक्ति की दिशा में प्रेरित करता है।
बाल साहित्य और बच्चों का भावनात्मक स्वास्थ्य : बाल साहित्य बच्चों के भावनात्मक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है। जब बच्चे विभिन्न कहानियों में पात्रों के संघर्ष और चुनौतियों को देखते हैं, तो वे अपनी खुद की समस्याओं को समझने और संभालने में बेहतर सक्षम होते हैं। उदाहरण के लिए जादुई यथार्थवाद पर आधारित कहानियाँ जैसे 'पीटर पैन' बच्चों को अपने डर और असुरक्षाओं को समझने और उन्हें प्रबंधित करने के तरीके सिखाती हैं। ऐसी कहानियाँ बच्चों को कल्पना की शक्ति के माध्यम से अपने भीतर के संघर्षों का सामना करने के लिए प्रेरित करती हैं।
समानता और विविधता की शिक्षा : बाल साहित्य बच्चों को समाज में विविधता और समानता की शिक्षा देता है। विभिन्न संस्कृतियों, परंपराओं, और पृष्ठभूमियों से संबंधित कहानियाँ पढ़कर बच्चे विभिन्न दृष्टिकोणों को समझने और उनका सम्मान करने लगते हैं। 'स्टोरी वीवर' जैसे प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कहानियाँ, जो दुनिया भर के बच्चों की कहानियाँ प्रस्तुत करती हैं, उन्हें विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों से जुड़ने का मौका देती हैं। यह बच्चों को एक वैश्विक नागरिक बनने के लिए तैयार करता है।
पर्यावरणीय जागरूकता : आज के युग में, पर्यावरणीय जागरूकता अत्यंत महत्वपूर्ण है। बाल साहित्य इस जागरूकता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। कुसुम अग्रवाल की ‘मारू फिर कब आओगे’ जैसी कहानियाँ बच्चों को पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति के महत्व के बारे में जागरूक करती हैं। ऐसी कहानियाँ पढ़ने से बच्चे पर्यावरणीय मुद्दों के प्रति अधिक संवेदनशील बनते हैं और उन्हें अपने आस-पास की प्रकृति की देखभाल करने के लिए प्रेरित करते हैं।
लैंगिक समानता और सशक्तिकरण : बाल साहित्य के माध्यम से लैंगिक समानता और सशक्तिकरण के संदेश को बच्चों तक पहुँचाया जा सकता है। 'मलाला की कहानी' या ‘एक नया सितारा' (कल्पना चावला) जैसी कहानियाँ लड़कियों को प्रेरित करती हैं और उन्हें अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। यह सिर्फ लड़कियों के लिए ही नहीं, बल्कि लड़कों के लिए भी महत्वपूर्ण है, ताकि वे समाज में लैंगिक समानता की आवश्यकता को समझ सकें।
तकनीकी और वैज्ञानिक रुचि को बढ़ावा : बाल साहित्य बच्चों में तकनीकी और वैज्ञानिक रुचि को भी बढ़ावा दे सकता है। जैसे, 'द मैजिक स्कूल बस' श्रृंखला बच्चों को विज्ञान के विभिन्न सिद्धांतों और अवधारणाओं को सरल और मनोरंजक तरीके से समझाने में मदद करती है। ऐसे साहित्य के माध्यम से बच्चे जिज्ञासा और अन्वेषण की भावना विकसित करते हैं, जो आगे चलकर विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनकी रुचि को बढ़ावा देती है।
सामाजिक समस्याओं की समझ : बाल साहित्य बच्चों को सामाजिक समस्याओं की समझ विकसित करने में भी मदद करता है। 'टू किल अ मॉकिंगबर्ड' जैसी कहानियाँ बच्चों को नस्लवाद, भेदभाव, और अन्य सामाजिक मुद्दों के बारे में सोचने के लिए प्रेरित करती हैं। यह उन्हें समाज में एक जिम्मेदार और जागरूक नागरिक बनने की दिशा में मार्गदर्शन करती हैं।
समूह कार्य और सहयोग : स्कूली शिक्षा के संदर्भ में बाल साहित्य का उपयोग समूह कार्य और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है। बच्चों को समूह में कहानियाँ पढ़ने और उनके बारे में चर्चा करने से वे एक-दूसरे के विचारों को सुनने और समझने के लिए प्रोत्साहित होते हैं। यह उनके टीमवर्क और संवाद कौशल को विकसित करता है। जैसे, 'हैरी पॉटर' श्रृंखला में हॉगवर्ट्स के छात्र एक साथ मिलकर समस्याओं को हल करते हैं, यह बच्चों को सहयोग की शक्ति का महत्व सिखाता है।
आत्मविश्वास और व्यक्तित्व विकास : बाल साहित्य बच्चों में आत्मविश्वास और व्यक्तित्व विकास को भी प्रोत्साहित करता है। जब बच्चे कहानियों में नायक-नायिकाओं की समस्याओं का सामना करते हैं और उन्हें हल करते हैं, तो वे अपनी क्षमताओं पर भी विश्वास करने लगते हैं। 'द लायन, द विच एंड द वार्डरोब' जैसी कहानियाँ बच्चों को यह सिखाती हैं कि कैसे कठिन परिस्थितियों में भी हिम्मत और धैर्य बनाए रखना चाहिए।
समाज में सकारात्मक योगदान : बाल साहित्य बच्चों को समाज में सकारात्मक योगदान देने के लिए प्रेरित करता है। 'द बेयरफुट इन्वेस्टोर फॉर किड्स' जैसी किताबें बच्चों को धन प्रबंधन, उद्यमशीलता, और समाज के प्रति जिम्मेदारी के बारे में सिखाती हैं। इससे वे छोटी उम्र से ही अपने समुदाय और समाज के विकास में योगदान देने के लिए प्रेरित होते हैं।
यदि हम विदेशी बाल साहित्य को छोड़कर केवल हिंदी की बात करें तो हिंदी साहित्य में कई ऐसी पुस्तकें और रचनाएँ हैं, जो स्कूली शिक्षा में अत्यधिक सहायक हैं और बच्चों के सर्वांगीण विकास में योगदान करती हैं। नीचे कुछ प्रमुख हिंदी पुस्तकों और रचनाओं के उदाहरण दिये गये हैं, जो बच्चों की स्कूली शिक्षा में सहायक हो सकती हैं:
मुंशी प्रेमचंद की कहानियाँ : प्रेमचंद को हिंदी साहित्य के महानतम लेखकों में से एक माना जाता है। उनकी कहानियाँ समाज के विभिन्न पहलुओं, समस्याओं, और मानव मन की जटिलताओं को बहुत ही सहज और सरल तरीके से प्रस्तुत करती हैं। स्कूली शिक्षा में उनकी निम्नलिखित कहानियाँ महत्वपूर्ण हैं :
‘ईदगाह’ नामक कहानी में हामिद नामक बालक अपनी गरीबी के बावजूद अपनी दादी के लिए चिमटा खरीदने का निर्णय लेता है, जिससे उसकी दादी रोटी सेकते समय जलने से बच सके। यह कहानी बच्चों को त्याग, ममता, और संवेदनशीलता का पाठ पढ़ाती है।
‘पूस की रात’ कहानी हल्कू नामक एक गरीब किसान की है, जो ठंड में रात भर अपनी फसल की रखवाली करता है। यह कहानी बच्चों को ग्रामीण जीवन की कठिनाइयों से परिचित कराती है और किसानों की समस्याओं के प्रति सहानुभूति विकसित करती है।
सुदर्शन की कहानियाँ भी बच्चों के मानसिक और नैतिक विकास के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। उनकी कहानियाँ बच्चों के सरल और सहज जीवन को चित्रित करती हैं।
"हार की जीत" कहानी में साधु जी नामक चरित्र अपनी हार को भी जीत में बदलने की शिक्षा देता है। यह कहानी बच्चों को धैर्य और दृढ़ता का महत्व सिखाती है।
"नयी इमारत" कहानी के माध्यम से समाज में एकता और सहयोग का संदेश दिया गया है, जो बच्चों को टीमवर्क और समूह में काम करने की प्रेरणा देता है।
सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताएँ बच्चों के भीतर देशभक्ति और साहस की भावना विकसित करती हैं। उनकी रचनाएँ हिंदी पाठ्यक्रम में विशेष स्थान रखती हैं:
"झाँसी की रानी": कविता रानी लक्ष्मीबाई के साहस और बलिदान की गाथा है, जो बच्चों में मातृभूमि के प्रति प्रेम और सम्मान की भावना जाग्रत करती है।
"विदाई": कविता में भारतीय परंपराओं और रीति-रिवाजों का वर्णन है, जो बच्चों को भारतीय संस्कृति के करीब लाने का काम करती है।
हरिवंश राय बच्चन की कविताएँ बच्चों के मन में जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करती हैं।
"अग्निपथ” कविता बच्चों को जीवन की चुनौतियों का साहसपूर्वक सामना करने की प्रेरणा देती है। यह बच्चों को कठिन परिस्थितियों में भी आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती है।
अकबर और बीरबल की कहानियाँ बच्चों में तर्कशक्ति और बुद्धिमानी का विकास करती हैं। ये कहानियाँ हास्यपूर्ण और मनोरंजक होती हैं, साथ ही साथ नैतिक शिक्षा भी प्रदान करती हैं।
"बीरबल की खिचड़ी": कहानी बच्चों को धैर्य और समझदारी का महत्व सिखाती है। बीरबल की बुद्धिमानी और अकबर के साथ उसकी बातचीत बच्चों के लिए मनोरंजन के साथ-साथ शिक्षाप्रद भी होती है।
पंडित विष्णु शर्मा की पंचतंत्र की कहानियाँ नैतिक शिक्षा और बुद्धिमत्ता से भरपूर होती हैं। इन कहानियों में जानवरों के माध्यम से विभिन्न नैतिक शिक्षाएँ दी जाती हैं:
"बन्दर और मगरमच्छ" कहानी में बुद्धिमानी का महत्व बताया गया है। यह बच्चों को सिखाती है कि संकट के समय में समझदारी से काम लेना कितना आवश्यक है।
"कछुआ और खरगोश नामक प्रसिद्ध कहानी धीमी गति और स्थिरता के महत्व को दर्शाती है, जिससे बच्चे सीखते हैं कि निरंतर प्रयास से ही सफलता प्राप्त की जा सकती है।
महादेवी वर्मा की रचनाएँ संवेदनशीलता और करुणा का प्रतीक हैं। उनकी कहानियाँ और कविताएँ बच्चों को मानवीय मूल्यों से परिचित कराती हैं।
"गिल्लू": कहानी महादेवी वर्मा और एक गिलहरी के बीच की दोस्ती पर आधारित है। यह बच्चों को जानवरों के प्रति करुणा और प्रेम की शिक्षा देती है।
रामधारी सिंह दिनकर की कविताएँ बच्चों में देशभक्ति और साहस की भावना उत्पन्न करती हैं।
"रश्मिरथी": कविता महाभारत के कर्ण पर आधारित है और बच्चों को सत्य, धर्म, और साहस के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।
नागार्जुन की कविताएँ बच्चों को समाज के विभिन्न पहलुओं के प्रति जागरूक बनाती हैं। उनकी कविताएँ सरल और समझने में आसान होती हैं।
"बादल को घिरते देखा है”: कविता प्रकृति के सौंदर्य को चित्रित करती है और बच्चों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता और प्रेम की भावना जाग्रत करती है।
निष्कर्ष
: स्कूली शिक्षा और बाल साहित्य के बीच का संबंध बच्चों के समग्र विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन दोनों का संयोजन न केवल बच्चों की शिक्षा को रोचक बनाता है बल्कि उन्हें जीवन के महत्वपूर्ण मूल्यों, नैतिकताओं, और सामाजिक जिम्मेदारियों से भी परिचित कराता है। शिक्षक और अभिभावक दोनों की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों को नियमित रूप से बाल साहित्य पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें और इसे उनकी शिक्षा का एक अभिन्न हिस्सा बनाएं। बाल साहित्य के माध्यम से बच्चों को न केवल एक अच्छे विद्यार्थी बनने के लिए प्रेरित किया जा सकता है, बल्कि उन्हें एक संवेदनशील, जिम्मेदार, और जागरूक नागरिक बनने की दिशा में भी मार्गदर्शन किया जा सकता है।
बाल साहित्य का महत्व आज के डिजिटल युग में और भी बढ़ गया है, जहाँ बच्चों को तकनीकी उपकरणों से दूर रखने के लिए उन्हें रोचक और शिक्षाप्रद साहित्य प्रदान करना आवश्यक है। बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास के लिए बाल साहित्य की भूमिका अति महत्वपूर्ण है और इसे स्कूली शिक्षा का अभिन्न अंग बनाना अत्यावश्यक है।
शिक्षा में बाल साहित्य के महत्व को देखते हुए बहुत से आधुनिक बाल साहित्यकारों की रचनाओं को भी पाठ्यपुस्तकों में स्थान दिया जा रहा है। बदलते वक़्त के साथ बालकों की ज़रूरतें, समस्याएं तथा मानसिकता में परिवर्तन हुआ है। केवल समकालीन बाल साहित्यकार ही उनके इस बदलते परिवेश के साथ संयोजन बनाकर रचनाएँ लिख सकते हैं तथा उनकी जिज्ञासाओं को शांत कर सकते हैं। मैं सौभाग्यशाली हूँ कि मेरी कई विधाओं की तक़रीबन 11 रचनाओं को जिनमें बालगीत, जीवनी-लेख, नाटक तथा निबंध आदि हैं, को पाठ्यपुस्तकों में सम्मलित किया गया है। मेरे साथ-साथ मेरे मित्र साहित्यकारों की रचनाओं को भी पाठ्यपुस्तकों में स्थान मिला है। यह प्रयास बाल साहित्य का स्कूली शिक्षा में महत्व को पुख़्ता करता है।
90- महावीर नगर, 100 फीट रोड, कांकरोली (राजसंमद ) राजस्थान- 313324
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