छोटी बहन को स्नेह की पाती
- अदिति सिंह राजपुरोहित
राधिका,
आज पहली बार तुम्हें बोलकर नहीं लिखकर कुछ कह रही हूँ और इसे पढ़ कर शायद तुम भी आश्चर्य करोगी कि मैने तुम्हारे बारे में इतना सब कैसे लिख लिया? हालांकि इसकी वजह कुछ ज्यादा बड़ी नहीं है, बस इतनी सी है कि तुमने कक्षा 12th पास कर ली है और अब तुम वह मेंढ़क बनने जा रही हो जो अब तक कुँए में था और पहली बार कुँए से बाहर निकलेगा, तो घबराहट उसके हिस्से में आएगी ही। याद है, उस दिन जब तुमने रोते हुए मुझे मैसेज किया, जिसमें तुम्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि तुम्हारे साथ क्या हो रहा है, बस तुम्हें रोना आ रहा था। उसे देख मुझे आज से ठीक दो साल पहले वाली अदिति याद आयी, फर्क बस इतना था कि तुमने मैसेज मुझे किया था और मैंने अपने किसी दोस्त को।
आजकल मैं तुममें अपने आप को देखने लगी हूँ। मैं कभी नहीं चाहती थी कि तुम मुझ जैसी बनो, पर तुम उसी रास्ते पर हो। हालांकि मैं तुम्हें रोकूंगी नहीं क्योंकि मै तुम्हें चाह कर भी जीवन में आने वाली ठोकरों से बचा नहीं सकती। पर हां, मैं तुम्हें उनका सामना करने के लिए तैयार जरूर कर सकती हूं। मैं ज्यादा कुछ नहीं कहूंगी क्योंकि समय, सभी को अपने हिस्से की समझदारी उपहार में दे ही देता है पर फिर भी कुछ बातें हैं जो मैं तुम्हें तुम्हारी बड़ी बहन और दोस्त का कोंबो होने के नाते कहना चाहती हूँ।
पहली बात, तुम जैसी भी हो बहुत खूबसूरत हो। तो अपने आप को कमतर समझना जल्दी से छोड़ देना क्योंकि जैसा हम खुद को देखने लगते हैं, दुनिया भी हमें ठीक वैसा ही देखने लगती है। इसका मतलब ये नहीं कि तुम अपना ध्यान रखना ही छोड़ दो और हाँ, अपनी दवाईयां समय से लेते रहना।
दूसरी बात, तुम जो चाहती हो वह सब करना। जैसे चाहती हो वैसे करना। पर एक बात जो हमेशा याद रखना कि केंद्र में तुम हमेशा खुद को रखना। हम हमेशा अपनी खुशी बाहर ढूंढते हैं, लोगों में, दोस्तों में या अपने फोन में। सच बस इतना है कि खुशी तुम्हारे खुद के अंदर है। हो सके तो उसे बचाए रखना और उसका ध्यान रखना। अपनी पसंद–नापसंद को और अपनी इच्छाओं को हमेशा प्राथमिकता देना क्योंकि तुम किसी को सिर्फ तभी खुश रख पाओगी जब तुम खुद को खुश रखना सीखोगी। किसी का साथ तभी दे पाओगी जब तुम अपने साथ खड़ी रहोगी, किसी से प्यार भी तभी कर पाओगी जब तुम खुद से प्यार करोगी। तुम 'हम' में अपने 'मै' को सहेज कर रखना, बड़े प्यार से। हालांकि इतना आसान नहीं है पर आसान बनाया जा सकता है, एक छोटी शुरुआत करके। अक्सर हम हमेशा शुरुआत करने से ही झिझकते हैं।
तीसरी बात, गलतियां करना बिल्कुल भी गलत नहीं है पर एक गलती बार-बार दोहराना एकदम गलत है। याद रखना कि तुम्हें बना बनाया कुछ नहीं मिलेगा। तुम्हें अपना रास्ता खुद बनाना होगा और रास्ते के पत्थर भी खुद ही हटाने होंगे। इस बीच हर बार परिस्थितियाँ तुम्हारे अनुकूल नहीं होगी तो परेशान होने या किस्मत को कोसने के बजाय तुम उसे अपने अनुसार बनाना। इन सब से कभी घबराना मत फिर देखना रास्ता खुद-ब-खुद निकलेगा। हमेशा अपने आंख, कान, नाक खुले रखना। जहाँ से जो सीखने को मिले वहां से सीखना। याद रखना कि डरना और रुकना दोनों सख्त मना हैं। हालांकि तुम अब किताबें भी पढ़ने लगी हो, तो इस आदत को हमेशा कायम रखना। ये किताबें तुम्हे परिपक्व बनाने में अहम भूमिका निभाएगी। मैं जानती हूँ कि मुझसे छोटी होने के कारण तुम्हें कभी भी खुद को साबित करने की जरूरत नहीं पड़ी, लेकिन मेरी बहन ,आगे बहुत से मौके आएंगे जब तुम्हे ये दिखाना होगा कि तुम औरो से बेहतर हो, तो ऐसे में याद रखना कि तुम सब कुछ कर सकती हो, सब कुछl बस जो भी करना दिल से करना, न कि अकारण किसी का दिल दुखाकर। जब भी किसी चीज को करते हुए ऐसा लगे कि अब तुमसे नहीं होगा,या तुम्हारी हिम्मत जवाब देने लग जाए तब थोड़ा रुककर और थोड़ी हिम्मत जुटाकर उसे बस एक बार और करना l ऐसा मै क्यों कह रही हूँ ये तुम समय आने पर अपने आप समझ जाओगी।
राधिका, इसके अलावा, बहुत सी चीजें ऐसी होंगी जो तुम्हारे हाथ में नहीं होंगी, जिसमें तुम चाहकर भी कुछ नहीं कर पाओगी, तो उस पर बिल्कुल भी समय मत गंवाना क्योंकि इससे एकतरफा नुकसान केवल तुम्हें ही होगा l ऐसे में बस आंख बंद करके, सब अस्तित्व पर छोड़ देना, फिर जो भी हो उसे स्वीकार करना। तुम्हें हमेशा मनचाहा परिणाम नहीं मिलेगा, जरूरी नहीं कि तुम अब तक अच्छा करती आयी हो तो आगे भी सब अच्छा ही होगा,तो खुद को हर स्थिति के लिए तैयार रखना। बस आत्मविश्वास और धैर्य, इन दोनों को अपना सबसे अच्छा मित्र बनाना, इनके होने से सब सध जाएगा। तुम्हें पता है, एक बार पापा ने मुझसे कहा था कि “अदिति, जिंदगी में प्रभावित किसी से मत होना”। और आज यही बात मैं तुमसे कह रही, क्योंकि हम सभी की पृष्ठभूमि अलग होती है, वातावरण अलग होता है, आवश्यकताएं अलग होती हैं। हो सकता कि वहीं वातावरण तुम्हें मिला होता तो तुम उससे कुछ अलग करती, कुछ बेहतर करती l इसलिए कभी भी कोई अच्छा करते दिखे तो उससे प्रभावित होने के बजाय उससे सीखना और खुद को बेहतर बनाना।
मुझे तुम पर हमेशा से गर्व था और रहेगा। बस तुम भी अपने आप को इसी तरह प्यार से सींचते रहना और अपना ध्यान रखना क्योंकि तुम खास हो, बेहद खास।
लव यू माय गर्ल, गो अहेड एंड रॉक द लाइफ।
All The Very Best.
तुम्हारी अपनी
अदिति
अदिति सिंह राजपुरोहित
aditisinghpurohit@gmail.com, 8107822334
अपनी माटी
( साहित्य और समाज का दस्तावेज़ीकरण )
चित्तौड़गढ़ (राजस्थान) से प्रकाशित त्रैमासिक पत्रिका
Peer Reviewed & Refereed Journal , (ISSN 2322-0724 Apni Maati) अंक-60, अप्रैल-जून, 2025
सम्पादक माणिक एवं जितेन्द्र यादव कथेतर-सम्पादक विष्णु कुमार शर्मा छायाचित्र दीपक चंदवानी
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