शोध आलेख : डिजिटल अर्थव्यवस्था पर मीडिया प्रभाव / देवेंद्र राज सिंह

 शोध आलेख : डिजिटल अर्थव्यवस्था पर मीडिया प्रभाव

- देवेंद्र राज सिंह


शोध सार : प्रस्तुत शोध पत्र में मीडिया द्वारा वर्तमान चुनौतियों से जूझते हुए समाज को डिजिटल अर्थव्यवस्था के अनेक लाभ बताए गए हैं। जिससे आम जनमानस भी डिजिटल अर्थव्यवस्था के प्रति सकारात्मक सोच रखते हुए अपने जीवन में डिजिटल नवाचार को अपनाने में सहजता महसूस कर रहा है। डिजिटल अर्थव्यवस्था की कल्पना करना भारत जैसे देश में बहुत कठिन है परंतु सरकार द्वारा इस क्षेत्र के विकास हेतु बहुत प्रयास किए गए हैं। लेकिन मीडिया के अभाव में इसे आमजन तक पहुंचाना शायद बहुत कठिन होता। मीडिया ने अपने माध्यम से डिजिटल क्रांति को जन-जन तक पहुंचाने का सराहनीय कार्य किया है। प्रस्तुत शोधपत्र में मीडिया के डिजिटल अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभावों की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है कि सरकार ने जितने सराहनीय प्रयास इस ओर किए हैं, उतने ही प्रयास मीडिया ने भी इसे प्रकाशित कर अंतिम जनमानस तक पहुंचाने का कार्य किया है, सरकार का समावेशी विकास मीडिया के अभाव में अधूरा ही रह जाता। डिजिटल अर्थव्यवस्था में प्रेरणा का कार्य मीडिया के माध्यम से ही संभव हो पाया है। प्रस्तुत शोधपत्र मीडिया के कार्य, प्रकाशन, प्रभाव व उत्तरदायित्व की ओर विशेष रूप से इंगित करता है। कभी-कभी मीडिया का पथभ्रष्ट होना भी पाया गया है। जिसकी ओर प्रस्तुत शोधपत्र में इंगित किया गया है। प्रस्तुत शोधपत्र मीडिया के डिजिटल अर्थव्यवस्था के निष्पक्ष प्रकाशन की ओर इंगित करता है। वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए मीडिया की उपयोगिता, महत्त्व एवं भूमिका निरंतर बढ़ रही है। डिजिटल अर्थव्यवस्था को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य मीडिया द्वारा ही संभव बनाया जा सकता है।

 

बीज-शब्द-: मीडिया, डिजिटल, अर्थव्यवस्था, आरबीआई, साइबर, इंटरनेट, नगद विहीन, तकनीक(इलेक्ट्रॉनिक)।

 

मूल आलेख : मीडिया मतलब संचार माध्यम जिसमें हमारे देश की आर्थिक तसवीर सरल व साफ नजर आती है। जिसके माध्यम से आम जनता भी देश का हाल आसानी से समझ सकती है। देश नवाचार को बढ़ावा देने में अपनी भूमिका निभा सकता है। बेरोजगारी के मुद्दे आर्थिक व सामाजिक समस्याओं पर प्रकाश डालकर उन्हें दूर करने हेतु संबंधित संस्था का इस ओर ध्यान आकर्षित करती है। आज के परिपेक्ष में मीडिया केवल एक माध्यम न रहकर यह एक वृहद स्तर पर अपना योगदान प्रदान कर रहा है। छोटी से छोटी समस्या को बारीकी से प्रस्तुत कर जनजागृति पैदा करने का भी कार्य करता है और समस्याओं के निराकरण तक संबंधित संस्थाओं का लगातार ध्यान आकर्षित करता है। मीडिया का कार्यक्षेत्र अब वृहद स्तर तक विस्तृत हो गया है। यूं ही नहीं इसे देश का चतुर्थ स्तंभ कहते हैं। आज के परिप्रेक्ष्य में मीडिया में बढ़ते राजनीतीकरण प्रभाव के कारण इसकी पारदर्शिता व यथार्थता पर प्रश्न चिह्न ज़रूर लगा है। परंतु ईमानदारी से यदि मीडिया काम करें तो यह देश के लिए बहुत फायदेमंद होगा। वर्तमान समय को देखते हुए मीडिया की भूमिका निरंतर बढ़ रही है। हमारे आर्थिक जीवन में मीडिया एक अनिवार्य आवश्यकता बन गई है। मीडिया समाज को भी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है। मीडिया के वर्तमान में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पक्ष सामने आए हैं। मीडिया राजनीतिक प्रभाव में आकर व अपनी धन कमाने की लालसा के कारण सूचनाओं को तोड़-मरोड़कर, चटपटी बनाकर उन्हें अपने मूल बिंदु से इतर केवल अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए प्रकाशित करती है। जिससे उसकी छवि आम जनमानस में थोड़ी धूमिल हुई है। आर्थिक परिवेश की यथार्थता को प्रस्तुत करने में मीडिया की भूमिका पर प्रश्नचिह्न ज़रूर लगे हैं। परंतु मीडिया की भूमिका इन सबके बावजूद बढ़ रही है। डिजिटल अर्थव्यवस्था में ऑनलाइन पेमेंट डिजिटल खरीददारी, डिजिटल सर्टिफिकेट, डिजिटल मीडिया आदि सब आते हैं। डिजिटल अर्थव्यवस्था में आर्थिक गतिविधियां डिजिटल प्रौद्योगिकी पर आधारित होती है। डिजिटल अर्थव्यवस्था इंटरनेट कनेक्टिविटी व डिजिटल उपकरणों पर आधारित होती है। हमारे देश का समग्र समाज बहुत तेजी से बदल रहा है और अर्थव्यवस्था तेजी से डिजिटल होने की ओर अग्रसर है। जिसे मीडिया के माध्यम से और तेज गति से आगे की ओर बढ़ाया जा रहा है। मीडिया देश का चौथा स्तंभ है। जो डिजिटल क्रांति को सफल बनाने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान निभा रहा है। कोविड-19 महामारी के बाद से डिजिटल अर्थव्यवस्था में और तेजी देखने को मिली है। लोगों की ऑनलाइन गतिविधियों में वृद्धि दर्ज की गई है। मीडिया द्वारा ऑनलाइन प्लेटफार्म की जानकारी अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाई जा रही है। जिससे प्रत्येक व्यक्ति इनके बारे में जानकारी प्राप्त कर इनका लाभ प्राप्त कर रहा है। मीडिया के अभाव में यह जानकारी कुछ लोगों तक ही सीमित रह जाती। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम भारत सरकार की एक फ्लैगशिप योजना है। जिसे मीडिया ने आम जनमानस तक पहुंचाने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान प्रदान किया है और काफी हद तक डिजिटल कार्यक्रम के सफल होने के पीछे मीडिया का ही हाथ माना जाना चाहिए। मीडिया हमेशा यथार्थपरक सूचना प्रदान करने वाला होना चाहिए। जिससे जनता के समक्ष विशुद्ध रूप में सूचनाएं उपलब्ध हो सकें। खबरों एवं घटनाओं का प्रस्तुतीकरण जनता के मार्गदर्शन रूप में होना चाहिए क्योंकि मीडिया ही जनता की विचारधारा में परिवर्तन लाकर डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को सार्थक बना सकती है।

 

उद्देश्य-:

  1. सूचना की अंतिम व्यक्ति तक पहुंच बनाना  ।
  2. मीडिया का डिजिटल अर्थव्यवस्था के विस्तार में योगदान  ।
  3. डिजिटल अर्थव्यवस्था से प्रबंधन लागत कम होना  ।
  4. डिजिटल अर्थव्यवस्था सुगम, पारदर्शी व सरल होना  ।
  5. अर्थव्यवस्था से राजस्व में वृद्धि  ।
  6. मीडिया द्वारा डिजिटल समावेशन को पूरा करना  ।

 

साहित्य पुनरवलोकन-:

(नायडू M.V. 2016)7 द्वारा नगद विहीन आधारित अर्थव्यवस्था का उल्लेख किया गया है। जिसमें डिजिटल अर्थव्यवस्था के अनेक लाभ बताए गए हैं। जैसे लागत का कम होना, अर्थव्यवस्था का पारदर्शी होना, समावेशी विकास संभव हो पाना आदि उनके अनुसार नगद विहीन समाज किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए बहुत फायदेमंद तो है परंतु भारत जैसे देश में इसे लागू करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।

 

(BBC NEWS, 24 NOV. 2016)14 नगद विहीन अर्थव्यवस्था के प्रति भारत कितना तैयार है, के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है क्योंकि हमारी आधी से ज्यादा आबादी ग्रामीण क्षेत्र में निवास करती है। जहां पर स्मार्टफोन, इंटरनेट, कनेक्टिविटी आदि का अभाव है। इन सभी बातों का समावेश इसके अंतर्गत किया गया है।

 

विश्वास 2016 “Digital India : A unique step towards E-learning in India” इन्होंने अपने लेख में शिक्षा में नवाचार को प्रस्तुत किया है। जिसके माध्यम से घर बैठे ही ई-लर्निंग के माध्यम से आसानी से कम खर्च में व रोचकतापूर्ण तरीके से शिक्षा प्राप्त की जा सकती है। यह भी डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर होने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान निभा पायेंगे।

 

चन्द्रशेखर 2016, द्वारा प्रस्तुत लेख “स्मार्ट शहरों में डिजिटल गवर्नेंस” में डिजिटल क्रांति के बारे में संक्षिप्त चर्चा कर यह बताया गया है कि इससे शहरी क्षेत्र में समावेशी विकास संभव हो पाया है व पारदर्शिता में वृद्धि दर्ज की गई है।

 

अनुसंधान क्रियाविधि- प्रस्तुत शोध पत्र का अध्ययन डाटा और सूचनाएं द्वितीय स्रोतों पर आधारित है। संबंधित पुस्तकों, पत्रिकाओं, समाचार पत्रों और प्रासंगिक वेबसाइटों से भी सूचना और डाटा एकत्रित किए गए हैं।

 

डिजिटल कार्यक्रम-

एक पहल यह कार्यक्रम भारत सरकार का एक महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम है। जिसमें सरकार का उद्देश्य कागज रहित, कम लागत, कम समय, समावेशी पहुंच, पारदर्शी अर्थव्यवस्था समाज को देना है। सरकार के सभी कार्य इलेक्ट्रॉनिक रूप से जनता को उपलब्ध करवाकर प्रत्येक व्यक्ति तक संबंधित योजना का लाभ पहुंचाना है। जिससे बिचौलियों से मुक्ति मिल सके। डिजिटल कार्यक्रम के 3 घटक हैं-

1. डिजिटल आधारभूत ढांचे का निर्माण करना  ।

2. इलेक्ट्रॉनिक रूप से सेवा को जनता तक पहुंचाना  ।

3. डिजिटल साक्षरता  ।

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य देश के सभी विभागों को देश की जनता के साथ डिजिटल रूप से जोड़ना है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम 1 जुलाई 2015 को इंदिरा गांधी स्टेडियम में जारी किया गया। यह सरकार की प्राथमिकता वाली योजनाओं में से एक है, डिजिटल भारत के 9 स्तंभ हैं- (इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना तकनीकी विभाग, भारत सरकार)

1. राजमार्ग पर ब्रॉडबैंड सुविधा।

2. मोबाइल कनेक्टिविटी के लिए यूनिवर्सल एक्सेस।

3. पब्लिक के लिए इंटरनेट एक्सेस प्रोग्राम।

4.-गवर्नेंस द्वारा प्रौद्योगिकी के माध्यम से सरकार को सुधारना।

5.-क्रांति द्वारा सेवाओं का इलेक्ट्रॉनिक वितरण।

6. सभी के लिए जानकारी।

7. इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण।

8. नौकरियों के लिए आईटी।

9. प्रारंभिक कृषि कार्यक्रम।

भारत सरकार द्वारा डिजिटल इंडिया को प्रभावी बनाने के कुछ प्रमुख कार्यक्रम निम्न है-

1.     स्वच्छ भारत मिशन मोबाइल एप्प।

2.     डिजिटल हस्ताक्षरित ऑनलाइन दस्तावेज।

3.     नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल।

4.     भारत नेट कार्यक्रम।

 

डिजिटल अर्थव्यवस्था के लाभ-

1. समय की बचत- डिजिटल होने से आम जनता अपना समय बचा सकती है। उसे बैंक जाकर नगद जमा व निकासी करने की आवश्यकता नहीं है।

2. भ्रष्टाचार में कमी- पहले कोई भी कार्य बिना रिश्वत के संभव नहीं होता था, परंतु अब सब कुछ ऑनलाइन होने से पेमेंट सीधा हमारे खाते में आता है, जिससे रिश्वत की आदत में भी कमी आई है।

3. नकदविहीन भुगतान- डिजिटल अर्थव्यवस्था में सबकुछ डिजिटल अर्थात ऑनलाइन हो गया है। हमें नगद रखने की आवश्यकता नहीं है। हम अपने सभी भुगतान ऑनलाइन कर सकते हैं। विभिन्न प्रकार के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म अब उपलब्ध हैं, जैसे- फोनपे, पेटीएम, Amazonpay, भीम एप्प, गूगलपे, इत्यादि।

4.अर्थव्यवस्था में सुधार- किसी भी अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए पारदर्शिता होना अत्यंत आवश्यक है। डिजिटल अर्थव्यवस्था के माध्यम से ही पारदर्शिता लाई जा सकती है। सभी जानकारियां ऑनलाइन उपलब्ध होने से देश की अर्थव्यवस्था में काफी सुधार होगा।(आइ.एम.एफ. 2018)5

 

डिजिटल अर्थव्यवस्था की चुनौतियाँ- भारत जैसे देश में जहां अधिकतर आबादी ग्रामीण क्षेत्र में निवास करती है। वहां इसे पूर्ण रुप से लागू करना एक बड़ी चुनौती है। वही मीडिया का दायित्व प्रारंभ हो जाता है कि किस प्रकार जन-जागरूकता फैलाई जाए जिससे डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को सफल बनाया जा सके। जिससे हमारे देश की अर्थव्यवस्था तेजी से विकास की ओर अग्रसर हो सके। सर्वप्रथम हम चुनौतियों के बारे में जानते हैं तत्पश्चात मीडिया की भूमिका को जानेंगे- (चौहान, 2016)1

  1. तकनीकी ज्ञान की कमी- हमारे देश में उम्रदराज व्यक्तियों की अच्छी खासी संख्या है, जिनके चलते उनमें इस नई तकनीकी को इस्तेमाल करने के लिए पर्याप्त ज्ञान का अभाव है। जो कि अपने आप को आधुनिक मोबाइल, इंटरनेट, कंप्यूटर आदि के साथ

सहज महसूस करते हैं।

2. नेटवर्क कनेक्टिविटी- हमारे देश में नेटवर्क कनेक्टिविटी एक प्रमुख समस्या है। दूरदराज के इलाकों में यह और अधिक गहरा जाती है। इसके कारण भी डिजिटल अर्थव्यवस्था का सपना साकार होने में समस्या उत्पन्न होती है।

4. इन्टरनेट की लागत- हमारे देश में काफी अधिक संख्या में गरीबी व्याप्त है और इंटरनेट डाटा पैक काफी महंगे हो गए हैं। जिससे आमजन इसका उपयोग करने में कतराने लगा है।

5. डेटा सुरक्षा- डिजिटल अर्थव्यवस्था में डेटा को देश की संपत्ति के रूप में देखा जाने लगा है। डेटा सुरक्षा के अभाव में करोड़ों लोगों की व्यक्तिगत जानकारियां दांव पर हैं। ऐसे में सरकार निजी डाटा चुराने बेचने वाली कंपनियों पर नकेल कसने की तैयारी में है। हाल ही डाटा लीक की घटना सामने आई जिसमें हेकर ने ग्रॉसरी ई-कॉमर्स प्लेटफार्म बिग बॉस्केट के दो करोड़ ग्राहकों के निजी डाटा चुरा लिए। हैकर ने इस डाटा को $40000 में बेचने के लिए डार्क वेब पर डाल दिया। यह कोई पहली बार नहीं है, इससे पहले भी 2.9 करोड़ भारतीयों का व्यक्तिगत डाटा डार्क वेब पर लीक हुआ था। हैरानी की बात यह है कि आपके डाटा की कीमत रोजाना के हिसाब से सिर्फ ₹140 लगाई गई है। डार्क वेब पर मौजूद इस डाटा में आपके अकाउंट का पासवर्ड, आपका टेलीफोन नंबर और ईमेल आईडी शामिल है।(पत्रिका,23,नव.2020) 13

6. तकनीकी बदलाव- सरकार द्वारा समय-समय पर 2G, 4G और 5G स्पेक्ट्रम लॉन्च किया जा रहा है। जिसके कारण पुराने मोबाइल अनुपयोगी साबित हो रहे हैं और नए मोबाइल खरीदने में लागत अगर अधिक आती है यह भी डिजिटल अर्थव्यवस्था की एक प्रमुख समस्या है।

 

डिजिटल मीडिया - डिजिटल अर्थव्यवस्था में सर्वप्रथम मीडिया ने अपने आप को डिजिटल मीडिया में परिवर्तित किया है। डिजिटल मीडिया किसी भी देश के सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक ताने-बाने के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मीडिया का लोगों के जीवन पर जबरदस्त प्रभाव पड़ा है और तेजी से लगातार बदलते सूचना और संचार प्रौद्योगिकी परिदृश्य के कारण इसकी परिभाषा और दायरा बदलता रहता है। मीडिया ने डिजिटल क्रांति के युग में एक बड़ा परिवर्तन देखा है। इससे यह बहुत तेज गति से देश के कोने-कोने तक पहुंच रहा है। डिजिटल पैठ की भूमिका इंटरनेट तक पहुंच पर निर्भर करती है, जिसका हाल के वर्षों में भारत में अत्यधिक विस्तार हुआ है।

ट्राई के अनुसार मार्च 2021 के अंत तक देश में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 825.30 मिलियन तक पहुंच गई थी। इंटरनेट वर्ल्ड स्टेट्स के अनुसार वर्तमान में चीन के बाद भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट उपयोग करता है। यह ध्यान रखना उचित है कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए डिजिटल इंडिया कार्यक्रम में बुनियादी ढांचे को एक प्रमुख उपयोगिता के रूप में प्रदान करके, भारत में डिजिटल मीडिया को प्रत्येक शासन और सेवाओं की मांग और नागरिकों के डिजिटल सशक्तिकरण के लिए महत्त्वपूर्ण बढ़ावा दिया है।

जनसंचार का प्रत्येक माध्यम जैसे प्रिंट, रेडियो, टेलीविजन और सिनेमा अब डिजिटल प्लेटफार्म में परिवर्तित हो गया है। आजकल हर अखबार, रेडियो, टेलीविजन का अपना डिजिटल न्यूजरूम है।

 

डिजिटलीकरण के आगमन ने डेटा संग्रह और विश्लेषण को बहुत आसान बना दिया है और यह वर्तमान चलन है कि प्रत्येक संगठन डाटा को डिजिटल रूप से संरक्षित रखता है जिसे विभिन्न स्रोतों जैसे वेबसाइटों, मोबाइल एप्लीकेशन और सोशल नेटवर्किंग साइटों आदि से विभिन्न उद्देश्यों के लिए संसाधित और विश्लेषण किया जा सकता है।

 

डिजिटल मीडिया का कार्य - डिजिटल मीडिया प्रौद्योगिकी और सामग्री का एक सम्मलेन है जिसके लिए अनिवार्य रूप से तकनीकी, कलात्मक, विश्लेषणात्मक और प्रोडक्शन जैसे क्षेत्रों में कुशल पेशेवरों के एक पुल की आवश्यकता होती है। जिसका उद्देश्य सर्वोत्तम उपयोगकर्ता अनुभव प्रदान करना है। डिजिटल मीडिया का कार्य प्रणाली तंत्र सामग्री के निर्माण में सभी प्रकार के टेक्स्ट, ऑडियो, वीडियो, फोटोग्राफ, इंफोग्राफिक्स, लोगो, एनिमेशन आदि शामिल होते हैं। जिनका उपभोग उपयोगकर्ता द्वारा किया जाता है। जो टिप्पणियों, विचारों को पोस्ट करके और सर्वेक्षण आदि के माध्यम से सक्रिय रूप से भाग ले सकते हैं। इसके साथ ही सामग्री को विभिन्न आभासी प्लेटफार्म के माध्यम से प्राप्त और साझा किया जा सकता है। जो दुनिया भर में विभिन्न क्षेत्रों में स्थित लाखों लोगों तक तुरंत पहुंच सकता है। पूरी प्रक्रिया बहुत तेज होती है।

 

डिजिटल भुगतान में तेजी - सरकार के वित्त सेवा विभाग ने एक कैंपेन की शुरुआत की थी जिसका असर अब दिख रहा है। विभाग ने जो आंकड़े शेयर किए हैं, उनके अनुसार 5.09 करोड़ कस्टमर ऑन बोर्ड डिजिटल पेमेंट मोड्स का प्रयोग कर रहे हैं। 1.06 लाख न्यू पीओएस और 48.5 हजार लोग भीम आधार से पेमेंट कर रहे हैं।

 

विश्वास - डिजिटल पेमेंट की मांग इसलिए भी तेज हुई है क्योंकि लॉकडाउन के दौरान पैसे निकालने के लिए लोगों को परेशान होना पड़ा था। जिसके कारण लोग ऑनलाइन पेमेंट की तरफ बढ़ने लगे हैं। मीडिया ने भी इन खबरों को प्रकाशित कर जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया है, जिससे लोगों में डिजिटल पेमेंट के प्रति जागरूकता व विश्वास आया है। (पत्रिका 18 नव., 2020)13

 

ऑनलाइन शॉपिंग - कोविड-19 के चलते भारतीय उपभोक्ताओं में ऑनलाइन शॉपिंग करने की प्रवृत्ति में काफी ज्यादा इजाफा देखने को मिला है। कंप्यूटर सुरक्षा से संबंधित कंपनी मेंकेफी ने कहा कि उसके द्वारा किए गए सर्वे में कोविड-19  के बाद से ऑनलाइन शॉपिंग में 68% तक का इजाफा देखने को मिला है। मीडिया के माध्यम से आमजन को भी उन प्लेटफार्म की जानकारी उपलब्ध करवाई जाती है, जिससे कि वह ऑनलाइन शॉपिंग करने के अनेक विकल्पों को जान सकें। ऑनलाइन शॉपिंग वृद्धि में भी मीडिया का महत्वपूर्ण योगदान है। (पत्रिका18 नव., 2020)13

 

आरबीआई रिपोर्ट - भारतीय रिजर्व बैंक के अर्थव्यवस्था में नगद की जगह दूसरे माध्यमों से लेनदेन को बढ़ावा देने के प्रयासों का असर दिखने लगा है। इसके चलते पिछले 5 वर्षों के दौरान देश में डिजिटल भुगतान कई गुना बढ़ा है। केंद्रीय बैंक के मुताबिक 2015-16 से 2019 के बीच डिजिटल भुगतान 55.1 प्रतिशत वार्षिक दर से बढ़ा है। इस दौरान डिजिटल भुगतान की मात्रा मार्च 2016 में 593.61 करोड रुपए से बढ़कर मार्च 2020 तक343456 करोड रुपए हो गई। (भारतीय रिजर्व बैंक रिपोर्ट)9


सेवाओं का कम्प्यूटरीकरण
- राजस्थान में माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा पहले राजस्व दिवस पर राजस्व विभाग की सभी सेवाओं का कंप्यूटरीकरण किया गया है जिससे आम लोगों के जीवन से जुड़ी विभिन्न महत्त्वपूर्ण सेवाओं का कंप्यूटरीकरण क्रांतिकारी कदम है। भू-नामांतरण,-गिरदावरी रिपोर्ट, पंजीयन जैसे कामों के ऑनलाइन होने से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को राजस्व विभाग के कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ते हैं। मुख्यमंत्री महोदय द्वारा राजस्व विभाग की अपना खाता,-गिरदावरी, कृषि ऋण रहन पोर्टल,-पंजीयन आदि सेवाओं का लोकार्पण किया गया और मीडिया के माध्यम से इन सेवाओं की जानकारी जन-जन तक पहुंचाई गई, जिससे अंतिम से अंतिम व्यक्ति भी लाभान्वित हो सके। (पत्रिका16 अक्टूबर, 2020)13


निवेश का डिजिटल तरीका
- कंसलटिंग फर्म कैपजेमिनी की 2021 वेल्थ मैनेजमेंट ट्रेंड रिपोर्ट बता रही है, कि अब बचत और निवेश पर बढ़ेगा। निवेश करने के साथ जानकारी की मांग रहेगी और लोग अपने निवेश की ग्रोथ को ट्रैक करेंगे। कोरोनाकाल का सबसे बड़ा सबक यही रहा कि तैयारी और निवेश की ज़्यादा से ज़्यादा जानकारी ज़रूरी है। आमने-सामने बैठकर बात करना और निवेश के प्रोडक्ट समझने का वक्त गया है, अब सब कुछ ऑनलाइन होगा।(पत्रिका 19 दिस., 2020)13

 

डिजिटल इंडिया बन रहा पसंद - कैपजेमिनी की रिपोर्ट, डिजिटल बन रहे इकोसिस्टम को 2021 का टॉप ट्रेंड बता रही है। वेल्थ मैनेज करने वाली जो कंपनियां डिजिटल चैनल्स के जरिए अपने ग्राहकों से जुड़ी रहीं, उन्होंने अपने आप को आर्थिक झटके से बचा लिया। वीसी भी दुगुनी तेजी से बढ़ी है।

 

बाय नाऊ पे लेटर - मोबिक्विक की को-फाउंडर उपासना टाकू द्वारा एक पत्रिका में दिए लेख के अनुसार मोबाइल वॉलेट पेमेंट में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है। बाय नाउ पे लेटर की इंडस्ट्री अभी 20 से 40000 करोड रुपए की है जो अगले साल में लगभग 12 से 15 गुना बढ़कर 3 से 500000 करोड रुपए होने की उम्मीद है। उनके मुताबिक भारत में ज्यादा वॉलेट पेमेंट होने की वजह इसलिए है क्योंकि हमारे देश में मोबाइल और मोबाइल डेटा का उपयोग अमेरिका जैसे बड़े देशों के मुकाबले अधिक है। इसके अलावा जहां अमेरिका और अन्य देशों में लोग नेट बैंकिंग या क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करते हैं, वही भारत में इंटरनेट और क्रेडिट कार्ड की पहुंच सीमित है। अधिकांश आबादी मोबाइल डाटा से ट्रांजैक्शन और अन्य फाइनेंसियल एक्टिविटी करते हैं।(दैनिक भास्कर 16 दिस., 2021)12

 

मायरा - यह छोटे कारोबारियों को आधुनिक बनाने और डिजिटल पहचान में मदद करेगी। टेक्नोलॉजी आधारित कंपनी मायरा टीयर-2 शहरों में छोटे कारोबारियों को आधुनिक बनाने तथा ग्राहकों तक बेहतर ढंग से पहुंचने में मदद के लिए डिजिटल अभियान चला रही है। उद्यमियों और व्यवसायों में डिजिटल उपस्थिति बनाने और मैनेज करने के लिए मायरा का उपयोग किया जा रहा है। कंपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस  का उपयोग करती है, ताकि छोटे कारोबारियों तथा पेशेवरों को विभिन्न भारतीय भाषाओं में डिजिटल आईडेंटिटी उपलब्ध हो सके। भारत में लगभग 6.3 करोड़ एमएसएमई है।(दैनिक भास्कर 18 जन., 2022)12

 

क्रिप्टो करेंसी - देश और दुनिया में बिटकॉइन जैसी क्रिप्टो करेंसी की बढ़ती लोकप्रियता के बीच रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इस पर चिंता जताई है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि क्रिप्टो करेंसी भारतीय अर्थव्यवस्था की वित्तीय स्थिरता को प्रभावित कर सकती है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक इस बारे में अपनी चिंता से सरकार को अवगत करा दिया है।

दास ने कहा कि डिजिटल करेंसी से मनी लॉन्ड्रिंग के मामले बढ़ सकते हैं और आतंकियों को फंडिंग की जा सकती है। मीडिया ने इस खबर को जोर-शोर से प्रचारित किया है। जिससे आमजन भी इसकी गंभीरता को समझ सकता है और डिजिटल करेंसी से देश को होने वाले संभावित हानि को कम किया जा सकता है। लोग अब जागरूक हो रहे हैं तथा इसमें कम निवेश करने लगे हैं। (आर.बी.आई.)9

 

साइबर हमले - ज्यों-ज्यों  हम डिजिटलाइजेशन की तरफ़ बढ़ रहे हैं। साइबर हमलों की संख्या भी बढ़ रही है। लोग साइबर ठगी के शिकार अधिक हो रहे हैं। अलवर, भरतपुर मेवात क्षेत्र विशेष में पहाड़ी गांव इस गतिविधि के हॉटस्पॉट बने हुए हैं। हाल ही में जारी 2021 एक्स फोर्स एंड इंटेलिजेंस रिपोर्ट के अनुसार भारत 2020 में एशिया पेसिफिक में जापान के बाद दूसरा ऐसा देश रहा है, जहां उसे सबसे अधिक साइबर हमलों का सामना करना पड़ा है। 2020 में क्षेत्र में हुए कुल साइबर हमलों में से भारत में 7% दर्ज किए गए हैं। वित्त एवं बीमा क्षेत्र में भारत में शीर्ष हमले दर्ज किए गए हैं जबकि विनिर्माण और पेशेवर सेवाओं में भी हमलों की घटनाएं सामने आई। कोरोना काल में कोविड-19 वेरिफिकेशन के नाम पर भी ठगी हो रही है, मीडिया इन खबरों को आमजन तक पहुंचा रहा है, जिससे आमजन अनजान कॉल से सतर्क रह सकें और अपने आप को ठगी से बचा सके। (दैनिक भास्कर 18 दिसं., 2021)12

 

जागरूकता - मीडिया के माध्यम से जन-जन तक ऑनलाइन ठगी से बचने के तरीके बताए जा रहे हैं; जैसे- ऑनलाइन कोविड-19 के नाम पर साइबर-क्रिमिनल्स लोगों के अकाउंट साफ कर रहे हैं। अगर आप कोविड टेस्ट करवाना चाहते हैं तो इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की ओर से अपलोड लैब से ही टेस्ट बुक करें। कोरोना से बचाव के लिए सरकार ने वैक्सीन लेने के लिए कोविन एप्प पर लोगों को रजिस्ट्रेशन करने के लिए कहा है। साइबर अपराधियों ने इसका फायदा उठाते हुए कोविन के रूप में एप्प जारी करना शुरू कर दिया, एप्प डाउनलोड करते समय क्रिएटर देखें, सत्यापित करें कि यह एक अधिकारिक स्रोत से है।

किसी भी लिंक पर क्लिक करने से पहले लिंक और ई-मेल पते को दोबारा जांच लें, किसी भी अनजान कॉल पर ओटीपी पूछने पर कभी ना बताए, मीडिया इन सभी बातों को बारंबार प्रकाशित कर आमजन को जागरूक करने का प्रयास करती रहती है।

 

निष्कर्ष और सुझाव :

हमारे देश में मीडिया को चतुर्थ स्तंभ माना गया है और डिजिटल युग में मीडिया ने अपने आप को तेजी से बदला है। आधुनिक परिप्रेक्ष्य को देखते हुए सूचनाएं त्वरित गति से जन-जन तक पहुंच रही है। मीडिया के अभाव में सूचना का जन-जन तक प्रसारण असंभव-सा नज़र आता है। जनमानस में जागरूकता लाने के लिए मीडिया ही एकमात्र सहारा है। मीडिया द्वारा सरकार की योजनाओं या विश्व में हो रहे डिजिटल परिवर्तनों को जनता तक पहुंचाने में समय नहीं लगता है क्योंकि विश्व बहुत तेज गति से आगे बढ़ रहा है। सरकार द्वारा डिजिटल क्रांति लाने का प्रयास किया, उसे सफल बनाने में बहुत बड़ा हाथ मीडिया का है, क्योंकि बिना सूचना प्रसारण के आम जनमानस तक यह संदेश जन-जन तक पहुंचना असंभव है। मीडिया किसी भी देश की आंख और मुँह की तरह होती है, जो किसी भी घटना का प्रसारण तुरंत आमजन तक पहुंचाने का प्रयास करती है। मीडिया का डिजिटलस्वरूप होने से यह और प्रभावी हो गई है तथा दूरदराज के इलाकों तक भी इसने अपनी पहुंच बना ली है।

डिजिटल अर्थव्यवस्था में मीडिया को राजनीतिक महत्त्वाकांक्षाओं से प्रभावित हुए बगैर अपनी पत्रकारिता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। पारदर्शी व यथार्थ समाचार ही जनता के समक्ष प्रस्तुत कर अपना भरोसा जनता के मन में बरकरार रखना चाहिए। डिजिटल मीडिया का यह दायित्व भी है कि विश्व की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का विश्लेषण वह लगातार करती रहे तथा उनके गुण- दोषों के आधार पर एहतियाती उपायों की चर्चा डिजिटल मीडिया का व्यापक हिस्सा बने। हमारे देश की अधिकतर आबादी कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्र में निवास करती है, मीडिया को इस क्षेत्र का विशेष ध्यान रखते हुए कृषि एवं कृषि आधारित डिजिटल योजनाओं तथा ग्रामीण विकास के कार्यक्रमों का कवरेज करना चाहिए।

 

संदर्भ:

 

  1. Chauhan, A. (2016), December). Cashless economy: The way ahead. Retrieved December,2016,from

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देवेंद्र राज सिंह

शोधार्थी, राज ऋषि भर्तृहरि मत्स्य विश्वविद्यालय, अलवर, राजस्थान

devendrarajsingh491@gmail.com, 9782496034


अपनी माटी (ISSN 2322-0724 Apni Maati) 
अंक-39, जनवरी-मार्च  2022 UGC Care Listed Issue चित्रांकन : संत कुमार (श्री गंगानगर )

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