शोध सार : भारतीय आधुनिक स्त्री-चेतना के निर्माण
में सामाजिक और साहित्यिक आंदोलनों का महत्त्वपूर्ण योगदान है. भारत के विभिन्न समाज-सुधारकों ने नवजागरण काल में स्त्री-प्रश्न को प्रमुख बना दिया था. पंडिता रमाबाई,
सावित्रीबाई फुले, ताराबाई शिंदे, रुकैया बेगम आदि स्त्रियों ने भी इस काल में स्त्री-चेतना
को अभिव्यक्त किया. इस तरह से आधुनिक युग में नवीन स्त्री-चेतना की शुरुआत हुई. हिंदी साहित्य में भी स्त्री-विमर्श की शुरुआत के साथ स्त्री-अभिव्यक्ति को नया स्वर
और नई दिशा मिली. छायावाद की महत्त्वपूर्ण हस्ताक्षर महादेवी
वर्मा ने अपने लेखन और चिंतन के माध्यम से इसे नया और ठोस आधार प्रदान किया.
आधुनिक युग में भारतीय स्त्रियों ने किस तरह अपनी उपस्थिति दर्ज की?
भारतीय समाज और साहित्य में किस तरह से आधुनिक स्त्री-चेतना का निर्माण हुआ? इसका स्वरूप क्या है? इसकी वर्तमान दशा और दिशा क्या है? इस शोध आलेख में इन्हीं
प्रश्नों की पड़ताल की गई है.संदर्भ :
1.
राधा कुमार, स्त्री संघर्ष का इतिहास, वाणी प्रकाशन, संस्करण-2014, पृ. 23
2.
बिपिन चंद्रा, भारत का स्वतंत्रता संघर्ष, पृ. 46
3.
राधा कुमार, स्त्री संघर्ष का इतिहास, वाणी प्रकाशन, संस्करण-2014, पृ. 39
4.
वही, पृ. 40
5.
गोपा जोशी, भारत में स्त्री असमानता, हिंदी माध्यम
कार्यान्वय निदेशालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, संस्करण-2015, पृ. 115
6.
वीरभारत तलवार, रस्साकशी, सारांश प्रकाशन, संस्करण-2006, पृ. 39
7.
वही, पृ. 37
8.
वही, पृ. 43
9.
वही, पृ. 46
10. गोपा जोशी, भारत में स्त्री
असमानता, हिंदी माध्यम
कार्यान्वय निदेशालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, संस्करण-2015, पृ. 124
11. के.एम. मालती, स्त्री-विमर्श: भारतीय परिप्रेक्ष्य, वाणी प्रकाशन, संस्करण-2010, पृ.सं. 57-58
12. गरिमा श्रीवास्त्व, अथ सवर्ण स्त्री प्रति-आख्यान, हिंदी समय
13. राधा कुमार, स्त्री संघर्ष का
इतिहास, वाणी प्रकाशन, संस्करण-2014, पृ. 12
14. वही, पृ. 202
15. राधा कुमार, स्त्री संघर्ष का
इतिहास, वाणी प्रकाशन, संस्करण-2014, पृ. 15
16. गोपा जोशी, भारत में स्त्री
असमानता, हिंदी माध्यम
कार्यान्वय निदेशालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, संस्करण-2015, पृ. 338
17. महादेवी वर्मा, श्रृंखला की कड़ियां, लोकभारती प्रकाशन, संस्करण-2017, पृ. 14
18. वही, पृ. 86-87
19. वही, पृ. 95
20. मैत्रेयी पुष्पा, हंस, अक्टूबर 1996, पृ.सं. 7
21. प्रभा खेतान, हंस, अक्टूबर, 1996, पृ.सं. 75
22. महादेवी वर्मा, श्रृंखला की कड़ियां, लोकभारती प्रकाशन, संस्करण-2017, पृ. 63
23. रोहिणी अग्रवाल, साहित्य की स्त्री
दृष्टि, हिंदी समय
24. भारत की जनगणना, 2011
25. वही, 2011
26. राष्ट्रीय अपराध
रिकॉर्ड ब्यूरो, 2015 की रिपोर्ट
27. राहुल सांस्कृत्यान, मानव समाज, लोकभारती पेपरबैक्स, संस्करण-2016, पृ. 24
28. महादेवी वर्मा, श्रृंखला की कड़ियां, लोकभारती प्रकाशन, संस्करण-2017, पृ. 23-24

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