आगामी विशेषांक / Special Issue

आगामी विशेषांक (1)


चित्तौड़गढ़ (राजस्थान) से प्रकाशित त्रैमासिक ई-पत्रिका
अपनी स्थापना के 11वें वर्ष में प्रवेश
अपनी माटी
( साहित्य और समाज का दस्तावेज़ीकरण )
UGC Care Listed ( Under List 'Multi Disciplinary' Sr. Nu. 03 )
(ISSN 2322-0724 Apni Maati)  अंक-.... सितम्बर 2024

संस्कृतियाँ जोड़ते शब्द(अनुवाद विशेषांक)

अतिथि संपादक

डॉ. गंगा सहाय मीणा, एसोसिएट प्रोफेसर (हिंदी अनुवाद)
भारतीय भाषा केंद्र, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली

डॉ. बृजेश यादव, सह-सम्पादक,अपनी माटी एवं पोस्ट-डॉक्टोरल फेलो
भारतीय भाषा केंद्र, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली

विकास शुक्ल, शोधार्थी (हिंदी अनुवाद)
भारतीय भाषा केंद्र, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली

आलेख स्वीकारने की अंतिम तिथि 30 जून 2024
आलेख भेजने का पता  translationapnimaatijnu@gmail.com
गूगल फार्म https://tinyurl.com/mz5z8hd

प्रस्तावना-

शैक्षणिक जगत में वैश्विक रूप से अनुवाद अध्ययन प्रमुख अनुशासन के रूप में विकसित हो रहा है। ज्ञान के विभिन्न अनुशासनों में अनुवाद की उपयोगिता को झुठलाया नहीं जा सकता। भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों में अनुवाद अध्ययन की पढाई लम्बे समय से होती रही है। सर्वप्रथम दिल्ली विश्वविद्यालय में डॉ नगेन्द्र के प्रयास सेअनुवाद डिप्लोमापाठ्यक्रम की शुरूआत हुई, वर्तमान में उसका विस्तार स्नातक, परास्नातक और पीएच.डी तक पहुँच चुका है।

भारतीय परम्परा में अनुवाद का इतिहास अन्य देशों की अपेक्षा बहुत प्राचीन है। Routledge Encyclopaedia of Translation Studies के अध्ययन से भारतीय अनुवाद की प्राचीनता का स्पष्ट पता चलता हैवेदों की रचना के तुरंत बाद ही छह वेदांगों की रचना में अनुवाद के प्राचीन सूत्र दिखाई देते हैं। अनुवाद के साथ शब्दकोशों का संबंध भी होता है, सरल शब्दों में कहे तो अनुवाद के मद्देनज़र ही शब्दकोशों की रचना संभव हो सकी। निरुक्त्त और निघंटु ऐसे ही शब्दकोश के प्रमुख उदाहरण हैं। बुद्ध साहित्य के प्रचार-प्रसार में अनुवाद की भूमिका सबसे प्रमुख रही है। कुमारजीव ने भारत से चीन जाकर वहाँ बुद्ध साहित्य का बड़े पैमाने पर अनुवाद कार्य किया। प्राचीन साहित्य के बाद भक्तिकालीन साहित्य में भी अनुवाद की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। हिंदी साहित्य के विकास और विस्तार में अनुवाद महत्त्वपूर्ण रूप से संवाद करता दिखाई पड़ता है। मध्यकाल में भक्ति साहित्य के विकास में आत्मसातीकरण अनुवाद प्रक्रिया का उपयोग राम और कृष्णभक्ति शाखा के कवियों द्वारा बखूबी किया गया। मुगलों के समय में भी अनुवाद कार्यों को महत्त्वपूर्ण दर्जा प्राप्त था। अकबर से लेकर दाराशुकोह तक के मुग़ल शासकों ने अनुवाद को पवित्र कार्य मानते हुए महाभारत और रामायण जैसे प्राचीन साहित्य का अनुवाद फ़ारसी भाषा में करवायादाराशुकोह के द्वारा उपनिषदों का अनुवाद प्रसिद्ध है। आगे चलकर दाराशुकोह ने इन्हीं अनुवादों को आधार बनाकर मज्म उल बहरैन  (समुद्र-संगम) नाम से पुस्तक लिखकर हिन्दू-मुस्लिम धर्मों के मध्य सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास किया  

अनुवाद के माध्यम से मध्यपूर्व के देशों के साथ भारत के प्राचीन संबंध भी स्थापित हुए हैं। पंचतंत्र का अनुवाद इसके प्रमुख उदाहरणों में से एक है। आगे चलकर पंचतंत्र का अनुवाद यूरोप की विभिन्न भाषाओं में हुआ। हिंदी के साथ-साथ मध्यपूर्व के कुछ पुस्तकालयों का विकास अनुवाद के माध्यम से संभव हुआ। अब्बासियों के दौर में बगदाद में स्थापित पुस्तकालय मुख्य रूप से अनुवाद कार्यों को समर्पित किया गया है।हाउस ऑफ़ विजडमनाम से आज भी यह पुस्तकालय दुनिया में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। स्वाधीनता आंदोलन के दौरान भी अनुवाद राष्ट्रीय एकता को स्थापित करने में अपनी भूमिका को स्थापित करता है।  नवजागरणकालीन लेखक साहित्यकार होने के साथ-साथ पत्रकार एवं अनुवादक भी थे। भारतेन्दु द्वारा अनूदित नाटक इस पक्ष को प्रमुख रूप से उजागर करते हैं कि आधुनिक काल के साहित्यिक विकास में अनुवाद केन्द्रीय चेतना के रूप में कार्य करता दिखाई देता है। उपनिवेश के दौरान मिशनरियों ने भी अपने वैचारिक और धार्मिक विकास के लिए अनुवाद को प्रमुख हथियार के रूप में उपयोग किया। 

एक ओर जहाँ अनुवाद कार्य राष्ट्रीय एकता के प्रमुख चिंतन का आधार बना, वहीं दूसरी ओर उपनिवेश के दौरान अनुवाद की औपनिवेशिक भूमिका भी दिखाई देती है। ऐसे उतार-चढाव से भरे हिंदी अनुवाद की परम्परा की पड़ताल के लिए आवश्यक है कि विशेषांक के माध्यम से इस मुद्दे पर पुनः विचार किया जाए। आगे चलकर अनुवाद की सैद्धांतिक व्याख्याओं का भी प्रारंभ होता है। यूरोप के विभिन्न विद्वानों के साथ-साथ भारत के विभिन्न विद्वानों ने अनुवाद के सिद्धांत को स्थापित करने में अपना योगदान दिया। वैश्वीकरण के बढ़ते प्रभाव और संचार के नए-नए उपकरणों ने अनुवाद के समक्ष नई चुनौतियों प्रस्तुत की है। रंगमंच और सिनेमा के क्षेत्र में भी अनुवाद की भूमिका प्रमुख रूप से हमारे सामने आई है। विभिन्न उपन्यासों, नाटकों, कहानियों आत्मकथाओं, जीवनियों का रूपांतरण (अंतर-प्रतीकात्मक अनुवाद ) होता रहा है। 1970 दशक के बाद अनुवाद में भी हाशियों की भूमिका पर विचार प्रारंभ हुआ। अनुवाद की राजनीति से आगे बढ़कर अनुवाद का समाजशास्त्र तक सफ़र अनुवाद चिंतन की दृष्टि से बहुत रोचक रहा है। 

अनुवाद विशेषांक के अंतर्गत कुछ प्रमुख विषय पर विचार करना हमारा लक्ष्य होगा।

1.        भारत में अनुवाद की परम्परा
2.        अनुवाद के प्राचीनतम पाठ : भारतीय साहित्य के विशेष संदर्भ में 
3.        बौद्ध साहित्य के प्रचार प्रसार में अनुवाद की भूमिका 
4.        शब्दकोशों की परम्परा और अनुवाद 
5.        प्राचीन संस्कृत साहित्य का लोकभाषाएं में आत्मसातीकरण
6.        भक्ति साहित्य और अनुवाद
7.        बाइबल के अनुवाद 
8.        हिंदी नवजागरण के विकास में अनुवाद की भूमिका 
9.        भारतीय राष्ट्रीयता के आधार के रूप में अनुवाद
10.      औपनिवेशिकता से मुक्ति की चेतना में अनुवाद की भूमिका 
11.      हिंदी के विभिन्न साहित्यिक आन्दोलन के विकास में अनुवाद की भूमिका 
12.      यूरोपीय देशों में अनुवाद अध्ययन की परम्परा
13.      यूरोपीय अनुवाद अध्ययन के प्रमुख संप्रदाय
14.      भारतीय और यूरोपीय विद्वानों के अनुवाद चिंतन का तुलनात्मक अध्ययन 
15.      अंतर-प्रतीकात्मक अनुवाद और रूपांतरण 
16.      यूरोपीय और भारतीय निर्देशकों की साहित्य आश्रित फिल्मों के चुनाव और निर्माण की रूपरेखा
17.      अनुवाद और सामाजिक आंदोलन
18.      अनुवाद एवं अस्मितावाद के मध्य वैचारिक संबंध 
19.      मार्क्सवादी साहित्य का अनुवाद, प्रकाशन एवं वितरण
20.      दलित एवं स्त्री साहित्य के विकास में अनूदित साहित्य की भूमिका
21.      प्राचीन साहित्यिक अनूदित पाठों का विभिन्न विमर्शों के प्रकाश में पुनर्पाठ 
22.      आदिवासी साहित्य आन्दोलन और अनुवाद 
23.      भारतीय साहित्य की अवधारण और अनुवाद 
24.      राष्ट्रीय एकता के मद्देनज़र अनुवाद और उसकी चुनौतियां
25.      मशीनी अनुवाद का ऐतिहासिक अध्ययन 
26.      परिभाषिक शब्दावलियों का निर्माण 
27.      इन्टरनेट और अनुवाद 
28.      फिल्मों के वैश्वीकरण पर अनुवाद की भूमिका 
29.    संचार माध्यम और अनुवाद 
 

नोट- लेख में संदर्भों का अधोलिखित रूप से करें-

1.   लेख में अंग्रेजी या अन्य किसी भाषा के उदाहरण का उपयोग करते हुए उसका मूल फुटनोट में अवश्य दें, उदाहरण के स्थान पर उसके अनुवाद का उपयोग करें।

2.   संदर्भ के लिए एम.एल.ए शैली का उपयोग करें, उदाहरण के लिए अपनी माटी पत्रिका के संदर्भ शैली यहाँ देखे- https://www.apnimaati.com/p/infoapnimaati.html

(नोट : विशेषांक के बारे में केवल अतिथि संपादक से सम्पर्क : translationapnimaatijnu@gmail.com पर ही संवाद करिएगा. )
( यह अंक सितम्बर 2024 में प्रकाशित किया जाएगा )

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