साहित्य और संस्कृति का प्रकल्प
अपनी माटी
मासिक ई-पत्रिका
अप्रैल,2013 अंक
- सम्पादकीय हाशिये से बाहर होती संस्कृति
- झरोखा हरिशंकर परसाई का व्यंग्य 'आध्यात्मिक पागलों का मिशन'
- डॉ. धर्मवीर भारती के काव्य में आस्था और अनास्था का द्वंद्व:डॉ राजेन्द्र कुमार सिंघवी
- विमर्श:नए विमर्शों के बीच साहित्य की सत्ता के सवाल / डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा
- विमर्श:कविता और कवियों के लिये कठिन समय / प्रो. सूरज पालीवाल
- फीचर:'गुलाब की खेती' /नटवर त्रिपाठी
- फीचर:गोवा में रंगो का मेल /नटवर त्रिपाठी
- कहानी:ढ़ाबे की खाट / योगेश कानवा
- कहानी:संकल्प / डॉ. अजमेर सिंह काजल
- कविता: संजीव बख्शी
- कविता: राजीव आनंद
- कविता: रवि कुमार स्वर्णकार
- ऑडियो प्रोजेक्ट: डॉ सत्यनारायण व्यास
- व्यंग्य:मार्च का महीना / जितेन्द्र ‘जीतू’
- व्यंग्य:गायतोंडे जी का गाय गौरव संवर्धन / रंजन माहेश्वरी
- संस्मरण:डॉ. रमेश यादव
- कविता पोस्टर का पर्याय बनता चित्रकार कुँअर रवीन्द्र और उनकी कविता
- नई किताब:मैं एक हरिण और तुम इंसान / सुरेन्द्र डी सोनी