त्रैमासिक ई-पत्रिका 'अपनी माटी' का 15वाँ अंक

        
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सम्पादकीय

झरोखा

संस्कृतिनामा

सिनेमा कल्चर


सतरास्ता


'खड़ा है ओस में चुपचाप हरसिंगार का पेड़' / फ़िराक वाया विशेष कुमार राय
पहाड़ के नायक विद्यासागर नौटियाल/मुकेश कुमार
बेचैनी के आगे की राह / धूमिल वाया अखिलेश गुप्ता
बाबा नागार्जुन के उपन्यासों की कथाभूमि/ डॉ.प्रफुल्ल कुमार मिश्र
डॉ.शंकर शेष के नाटकों में सामाजिक यथार्थ/डॉ.पी.थामस बाबु
नयी इबारत




समीक्षा की आँख





कविता का वर्तमान 
राजेंद्र जोशी
नवनीत पाण्डे


हस्तक्षेप



मित्र पत्रिकाएँ


3 टिप्पणियाँ

  1. भाई
    बड़ी ख़ुशी होती है जब नेट उपयोगकर्ताओं को इतनी कीमती पत्रिकाएं पढने को मिल जा रही हैं...आज एक बड़ा समाज नेट-यूजर है और आन-स्क्रीन पढना चाहता है...अपनी माटी की टीम बधाई की पात्र है

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  2. aapni maati har prant ki mitti ki mahak se jodti hai. Ruchikar samagri....padhneeyata banaye rakhti hai. Samast sampadakeey team ko badhai v shubhkamnayein

    जवाब देंहटाएं

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