बिनु सत्संग विवेक नहि होई
- वक्तव्य : भारतीय संस्कृति के उन्नायक गोस्वामी तुलसीदास : श्रीधर पराड़कर व डॉ. रामशरण गौड़
 - वक्तव्य : तुलसीदास हमारे राष्ट्रीय संस्कृति के उन्नायक हैं : प्रो. जय प्रकाश शर्मा
 - वक्तव्य : तुलसी अपनी बात बहुत सहज ढंग से जनता तक पहुँचा देते हैं : प्रो. पूरनचंद टंडन
 - वक्तव्य : तुलसीदास भारतीय जनता के हृदय पर राज्यकरते है : डॉ. अवनीजेश अवस्थी
 - वक्तव्य : रामराज्य जागतिक समस्याओं का आदर्श समाधान है : प्रो. चन्दन चौबे
 - वक्तव्य : तुलसीदास ने समूचे उत्तर भारत को एक सूत्र में पिरोया था : प्रो. कुलदीप अग्निहोत्री
 - वक्तव्य : रामचरित मानस हमारी जातीय चेतना का अंग है : प्रो. कुमुद शर्मा
 - वक्तव्य : लोक की जुबान में तुलसी : सोहनलाल राम रंग
 
हरि अनंत हरि कथा
अनंता
- ‘रामचरित मानस’ अदभुत जीवनी शक्ति का काव्य : डॉ. तृप्ता
 - तुलसी काव्य में सूक्तियाँ : डॉ. पूनम राठी
 - तुलसीकाव्य में लोकमंगल : डॉ. कमलेश शर्मा
 - आधुनिक सन्दर्भों के परिप्रेक्ष्य में रामचरितमानस : डॉ. प्रीति अग्रवाल
 - तुलसी कृत रामचरितमानस की मिथकीयता : सुस्मित सौरभ
 - रामचरितमानस का सामाजिक संदर्भ : डॉ. स्नेहलता नेगी
 - रामचरितमानस में नीति तत्व : डॉ. गीता कौशिक
 - तुलसीदास के काव्य में मर्यादा : राज कुमार पाण्डेय
 
कहानी 
- जहाँ मैं रहती हूँ (जर्मन कहानी) : ईल्स् आईशिंगर
 - कहानी मूर्ख बूढ़े की (रुसी कहानी) : मिखाइल जोशेन्को
 - साये में घर (स्पेनिश कहानी) : खुलियो कोर्तासार
 - आकाश के नीचे (जर्मन कहानी) : राइनर वेकवेर्थ
 
परहित सरिस धर्म
नहि भाई 
- तुलसीके काव्य में लोकमंगल की प्रतिष्ठा : डॉ. रश्मि शर्मा
 - भक्ति आन्दोलन, तुलसीदास और आधुनिक संदर्भ : जितेन्द्र यादव
 - तुलसी के साहित्य में सामाजिक जीवन मूल्य : कमलेश वधवा
 - तुलसी काव्य में भक्तिभावना : डॉ. ललिता मीना
 
कत बिधि सृजी नारी जग माही 
सियाराम मय सब जग जानी 
- रामभक्ति-साहित्य कवियों की परम्परा और तुलसीदास : डॉ.योगेश राव
 - रामभक्ति काव्य परंपरा में महाकवि तुलसी का स्थान : सतवीर सिंह
 - तुलसीदास के काव्य में समन्वय भावना : पिंकल मीणा
 - तुलसीदास के काव्य में अभिव्यक्त राम का स्वरुप : डॉ. अनिल शर्मा
 
कलिजुग सम जुग आन नहिं
- तुलसी के मानस में कलियुग-प्रसंग : डॉ. राहुल मिश्र
 - तुलसी काव्य में राम का माहात्म्य और कलियुग वर्णन की प्रासंगिकता : डॉ. संध्या वात्स्यायन
 
विशेष 
- तुलसी-साहित्य के प्रचार प्रसार में नवल किशोर प्रेस की भूमिका : हिमांशु बाजपेयी
 - तुलसीदास और आज का मीडिया : डॉ. रजनी राठी
 
कवित्त विवेक एक नहिं मोरे
- सुबोध श्रीवास्तव की कुछ कविताएं
 - शिशिर अग्रवाल की कुछ कविताएं
 - प्रगति गुप्ता की कुछ कविताएं
 - शशांक श्रीवास्तव की कुछ कविताएं
 
जहां सुमति तहं सम्मति
नाना
- गोस्वामी तुलसीदास- एक समन्वय योगी : डॉ. मंजू रानी
 - उत्तर आधुनिक समाज में तुलसी के राम का महत्त्व : डॉ. ममता खांडल
 - आधुनिक संदर्भों में तुलसी के राम : डॉ. मधु लोमेश
 - तुलसीदास के काव्य में लोक : रेखा कुमारी
 - भारतीय संस्कृति के प्रतिनिधि कवि गोस्वामी तुलसीदास : रेनू सिंह
 
सुरसरि सम सब कह हित होई 
- तुलसी के काव्य में प्रकृति : डॉ. प्रणु शुक्ला
 - केवट की भक्ति-भावना : डॉ. पुष्पा सिंह
 - रामकथा,तुलसी और कुमाऊँ : कृष्ण चन्द्र
 - तुलसीदास के विचारों की सामाजिक प्रासंगिकता : डॉ. जायदा सिकंदर शेख
 - तुलसीदास एवं जातिगत आक्षेप : काली सहाय
 - तुलसी की काव्य-कला और कवितावली : धर्मेंद्र
 
मुखिया मुख सो
चाहिए खान पान कौ एक 
- गोस्वामी तुलसीदास का सामाजिक योगदान : डॉ. अलका राठी
 - वर्तमान सन्दर्भों में तुलसी-काव्य की प्रासंगिकता : डॉ. आशा
 - भारतीय संस्कृति के उन्नायक गोस्वामी तुलसीदास का रचना वैविध्य : डॉ. हीरा मीणा
 - तुलसी की काव्य-कला/डॉ. कुसुम नेहरा
 - जनमानस को आलोकित करता ‘मानस’ / डॉ. नवीन नंदवाना
 
अपनी माटी(ISSN 2322-0724 Apni Maati) वर्ष-4,अंक-27 तुलसीदास विशेषांक (अप्रैल-जून,2018)  चित्रांकन: श्रद्धा सोलंकी


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जवाब देंहटाएंपठनीय अंक
जवाब देंहटाएंसुन्दर सराहनीय प्रयास...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
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